ओवरएज अभ्यर्थियों के लिए अंतिम मौका
अपर निजी सचिव (एपीएस) भर्ती परीक्षा-2013 निरस्त किए जाने के बाद सबसे बड़ी चुनौती ओवरएज अभ्यर्थियों के सामने है। सामान्य अध्ययन एवं हिंदी की लिखित परीक्षा और शॉर्ट हैंड एवं टाइप टेस्ट क्वालीफाई कर चुके इन अभ्यर्थियों को अब परीक्षा के लिए दोबारा तैयारी करनी होगी। आयोग ने छह माह में भर्ती प्रक्रिया पूरी करने के लिए कहा है। ऐसे में अभ्यर्थियों के पास तैयारी के लिए समय बहुत कम बचा है और सरकारी नौकरी पाने के लिए यह उनके पास आखिरी अवसर है।
एपीएस के 176 पदों पर भर्ती के लिए उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने वर्ष 2013 में विज्ञापन जारी किया था। हिंदी एवं सामान्य अध्ययन और शॉर्ट हैंड एवं टाइप टेस्ट में सफलता अर्जित कर 1047 अभ्यर्थी तीसरे एवं अंतिम चरण की कंप्यूटर ज्ञान परीक्षा के लिए क्वालीफाई कर चुके हैं। इनमें जगदीश गुप्ता, रामकरन विश्वकर्मा, चंदन निषाद, कमलेश, मुमताज जैसे तमाम अभ्यर्थी हैं, जो भर्ती प्रक्रिया पूरी होने के इंतजार में ओवरएज हो चुके हैं। इनकी आयु 44 साल या इससे ऊपर हो चुकी है। तीसरे एवं अंतिम चरण की परीक्षा क्वालीफाई करने के बाद ये अभ्यर्थी केवल अंतिम चरण की परीक्षा की तैयारी में जुटे थे, लेकिन पूरी परीक्षा निरस्त होने के कारण अब इन्हें फिर से सामान्य अध्ययन एवं हिंदी की लिखित परीक्षा और शॉर्ट हैंड एवं टाइप टेस्ट की तैयारी करनी होगी।
अभ्यर्थियों का कहना है कि ओवरएज के कारण वे अन्य भर्ती परीक्षाओं में शामिल नहीं हो सकते थे, ऐसे में प्रतियोगी परीक्षाओं की नियमित तैयारी से वे दूर होते चले गए। शॉर्ट हैंड एवं टाइप टेस्ट में भी नियमित अभ्यास नहीं कर सके, क्योंकि उनका पूरा ध्यान कंप्यूटर ज्ञान परीक्षा पर था। उन्हें सरकारी नौकरी के लिए सिर्फ एक पायदान पार करना था, लेकिन अब उन्हें पूरी परीक्षा की तैयारी फिर से करनी होगी। आयोग की ओर कहा जा रहा है कि भर्ती प्रक्रिया छह माह में पूरी कर ली जाएगी। इतने कम समय में लिखित परीक्षा और शॉर्ट हैंड एवं टाइप टेस्ट की तैयारी कर पाना बहुत मुश्किल है। आयोग ने तो एक झटके में परीक्षा निरस्त करने का फैसला कर लिया, लेकिन आयोग का यह निर्णय अभ्यर्थियों के भविष्य को बड़ा झटका दे गया।
कोई गलती मान्य न होने से कठिन होगी राह
आयोग की ओर से यह स्पष्ट किया जा चुका है कि नए विज्ञापन के तहत शॉर्ट हैंड की परीक्षा में कोई गलती मान्य नहीं होगी, जबकि 2013 में जारी विज्ञापन के अनुसार हुई परीक्षा में आठ फीसदी तक गलती पर छूट प्रदान की गई थी। अभ्यर्थियों का कहना है कि एपीएस-2010 में भी आठ फीसदी तक गलती पर छूट दी गई थी। अगर इस छूट को पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया तो अभ्यर्थियों के लिए क्वालिफाई करना मुश्किल होगा। कम से कम पांच फीसदी गलती तक छूट मिलनी चाहिए।
डिक्टेशन पर भी निर्भर करेगा भविष्य
अभ्यर्थियों का कहना है कि उनका भविष्य अब डिक्टेशन देने वालों पर टिका है। शॉर्ट हैंड की परीक्षा डिक्टेशन देने वाले व्यक्ति के शब्दों के उच्चारण की स्पष्टता पर निर्भर करती है। जरूरी नहीं कि हर बार एक ही तरह का डिक्टेशन दिया जाए। इसमें अंतर हो सकता है और इसका असर शॉर्ट हैंड परीक्षा पर पड़ता है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें