NEET PG : इंटर्नशिप पूरी करने की डेडलाइन बढ़ाने की मांग वाली याचिका खारिज
दिल्ली उच्च न्यायालय ने 11 सितंबर को होने वाली नीट-पीजी परीक्षा में भाग लेने के लिए एक अभ्यर्थी को सक्षम बनाने के वास्ते अनिवार्य एक साल का प्रशिक्षण (इंटर्नशिप) पूरा करने की अंतिम तिथि बढ़ाने के लिए अधिकारियों को निर्देश देने से इनकार कर दिया है। अदालत ने कहा कि वह परीक्षा आयोजित करने और कार्यक्रम तय करने का कार्य नहीं कर सकता है।
उच्च न्यायालय ने परीक्षा आयोजित करने वाले अधिकारियों को इंटर्नशिप पूरा करने की तारीख 30 सितंबर से बढ़ाकर 31 अक्टूबर करने का निर्देश देने का अनुरोध करने संबंधी याचिका खारिज कर दी। याचिका एक डॉक्टर ने दाखिल की थी जिन्होंने बरेली के एक मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की है और परास्नातक डिग्री हासिल करना चाहते है। हालांकि, उनकी एक साल की इंटर्नशिप 25 अक्टूबर को ही पूरी होगी।
न्यायमूर्ति प्रतीक जालान ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा मांगी गई राहत से अनिश्चित और बोझिल स्थिति पैदा होगी क्योंकि कुछ अभ्यर्थी हमेशा कट-ऑफ से चूक जाते हैं। अदालत ने कहा कि अगर याचिकाकर्ता की दलीलें माननी हैं तो उन लोगों की शिकायतें सामने आएंगी जिनकी इंटर्नशिप 31 अक्टूबर के बाद जल्द ही पूरी हो जाएगी।
याचिका का विरोध करते हुए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के वकील टी सिंहदेव ने कहा कि अदालत को परीक्षा आयोजित करने वाले अधिकारियों द्वारा तय की गई कट-ऑफ तारीख में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए, जिसे सभी प्रासंगिक कारकों को ध्यान में रखते हुए तय किया गया है।
न्यायमूर्ति जालान ने मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा उसी परीक्षा से संबंधित मामले में पारित एक फैसले का भी उल्लेख किया और कहा, ''मैं मद्रास उच्च न्यायालय के दृष्टिकोण से सहमत हूं। इन कारणों से रिट याचिका, लंबित आवेदन के साथ खारिज की जाती है।
न्यायमूर्ति प्रतीक जालान ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा मांगी गई राहत से अनिश्चित और बोझिल स्थिति पैदा होगी क्योंकि कुछ अभ्यर्थी हमेशा कट-ऑफ से चूक जाते हैं। अदालत ने कहा कि अगर याचिकाकर्ता की दलीलें माननी हैं तो उन लोगों की शिकायतें सामने आएंगी जिनकी इंटर्नशिप 31 अक्टूबर के बाद जल्द ही पूरी हो जाएगी।
याचिका का विरोध करते हुए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के वकील टी सिंहदेव ने कहा कि अदालत को परीक्षा आयोजित करने वाले अधिकारियों द्वारा तय की गई कट-ऑफ तारीख में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए, जिसे सभी प्रासंगिक कारकों को ध्यान में रखते हुए तय किया गया है।
न्यायमूर्ति जालान ने मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा उसी परीक्षा से संबंधित मामले में पारित एक फैसले का भी उल्लेख किया और कहा, ''मैं मद्रास उच्च न्यायालय के दृष्टिकोण से सहमत हूं। इन कारणों से रिट याचिका, लंबित आवेदन के साथ खारिज की जाती है।
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