UPSC IAS Exam : क्या हिंदी मीडियम वालों को मिलते हैं कम नंबर, जानें यूपीएससी टॉपर का जवाब
UPSC IAS Exam : हाल में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा आयोजित 'सफलता के मंत्र' नाम के कार्यक्रम में यूपीएससी परीक्षा की तैयारी कर रही एक महिला अभ्यर्थी ने सिविल सेवा में चयनित उम्मीदवारों से यह सवाल पूछा कि हिंदी मीडियम वालों को कम नंबर क्यों मिलते हैं? सागर से मोनिका अवस्थी नाम की एक महिला अभ्यर्थी ने पूछा, 'यूपीएससी में हिंदी मीडियम के स्टूडेंट्स के मार्क्स अंग्रेजी मीडियम वाले स्टूडेंट्स से कम देखने को मिल रहे हैं, यही चीज मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षा में भी दिख रही है, ऐसा क्यों है। साथ ही यह भी बताएं कि शन्यू से पद पाने तक में कितना समय लगा?' यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2020 में 18वीं रैंक हासिल करने वाली राधिका गुप्ता ने इस प्रश्न का उत्तर दिया।
मध्य प्रदेश के अलीराजपुर की रहने वाली राधिका ने कहा कि परीक्षा के मीडियम को लेकर यूपीएससी कोई पक्षपात नहीं करता है। किसी भी माध्यम से आप परीक्षा लिख सकती हैं। हो सकता है कि इंग्लिश मीडियम के ज्यादा बच्चे परीक्षा लिख रहे हो। यूपीएससी बहुत पारदर्शिता वाला एग्जाम है। जिन भी भाषाओं में परीक्षा लिखने की अनुमति है, आप उसमें परीक्षा दे सकते हैं। जहां तक समय की बात है तो मेरा मानना है कि दो साल की ईमानदारी से मेहनत करने की जरूरत होती है।'
राधिका ने कहा, 'मैं जिस जिले से हूं वह साक्षरता दर में सबसे नीचे आता है, लेकिन इसने मेरे पर्सनेल्टी को बनाने में मदद की है। यही मेरे लिए सबसे बड़ा प्रेरणा स्रोत भी है। यहां रहने के बाद ही मुझे समझ आया कि शिक्षा किसी के भी जीवन में कितनी बड़ी भूमिका निभाती है। मैंने जीवन के कई महत्वपूर्ण पहलुओं को सीखा। धैर्य एवं संयम इस परीक्षा ने मुझे सिखाया है। एसजीएसआईटीएस इंदौर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग करने वाली राधिका ने यूपीएससी में एंथ्रोपोलॉजी को ऑप्शनल सब्जेक्ट चुना था। उन्होंने कोई कोचिंग नहीं ली।
युवाओं के कामयाबी के मंत्री देते हुए राधिका गुप्ता ने बताया कि इस परीक्षा की तैयारी के लिए हमें दो साल की ईमानदार मेहनत करनी होगी। अगर हमने अच्छी तरह से मेहनत कर ली तो सफल होने के चांस बढ़ जाते हैं। कभी भी उम्मीद नहीं खोनी चाहिए। अपनी क्षमताओं पर अटूट विश्वास रखें। बड़े सपने देखें और उसको पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करें। फेलियर इस परीक्षा का एक हिस्सा है। कई बार दो या पांच बार हम असफल हो जाते हैं। लेकिन आप डटे रहें।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें