UPTET 2021: परीक्षा शुचितापूर्वक कराने के दावे कागजों में कैद, जमीनी व्यवस्था लचर
उत्तर प्रदेश अध्यापक पात्रता परीक्षा को शुचितापूर्ण करवाने का दावा कागजों तक सिमट कर रह गया। कागजों की चाक चौबंद व्यवस्थाएं जमीन पर उतरते ही लचर हो गई। बीते कई सालों में कोई भी भर्ती परीक्षा बिना विवादों के संपन्न नहीं हो पाई। हालांकि टीईटी रद्द करने की नौबत पहली बार आई। प्रदेश में टीईटी की शुरुआत 2011 से हुई थी और यह परीक्षा इतनी विवादास्पद रही कि तत्कालीन माध्यमिक शिक्षा निदेशक संजय मोहन को जेल तक जाना पड़ा।
शिक्षा का अधिकार कानून 2009 को लागू करने के बाद पहली टीईटी 2011 में करवाई गई। इसकी मेरिट के आधार पर 72825 शिक्षक भर्ती की जानी थी लिहाजा इसमें सेंध लग गई। इस परीक्षा में टीईटी अभ्यार्थियों के परिणाम में गड़बड़ी और नंबर बढ़वाने का खेल हुआ था। इसमें भी प्राइमरी स्कूलों के शिक्षकों की भूमिका पाई गई थी। संजय मोहन को जेल की हवा तक खानी पड़ी। इसकी गड़बड़ियों के चलते यह भर्ती 2013 में शुरू हो पाई। इसी तरह एलटी ग्रेड परीक्षा 2018 में पहली बार लोक सेवा आयोग ने करवाई और यहां भी पेपर लीक होने के मामले में परीक्षा नियंत्रक अंजू कटियार को जेल तक जाना पड़ा। आठ महीने जेल में रहने के बाद उन्हें 2020 में रिहा किया गया। इसी वर्ष अक्तूबर में हुई जूनियर शिक्षक भर्ती परीक्षा का पेपर भी लीक हो गया था। कार्रवाई अब भी जारी है। ये सभी मामले अब भी हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में है।
68500 शिक्षक भर्ती में पेपर भले ही आउट न हुआ हो लेकिन परीक्षा नियामक प्राधिकारी की लापरवाही सामने आई और समेत कई अधिकारियों व कर्मचारियों को निलम्बित किया गया। इसमें फेल अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र दे दिए गए जबकि पास अभ्यर्थियों को फेल कर दिया गया। 69 हजार शिक्षक भर्ती में भी पेपर लीक होने का मामला उठा लेकिन लॉकडाउन के कारण अभ्यर्थियों की आवाज नहीं सुनी गई।
शुचिता के इंतजाम-
- सीसीटीवी की निगरानी में परीक्षा
- कोषागार के डबल लॉकर में प्रश्नपत्र व ओएमआर
- पुलिस एस्कार्ट में प्रश्नपत्र व ओएमआर शीट की केन्द्र तक पहुंचना
- स्टैटिक मजिस्ट्रेट की व्यवस्था
- केन्द्र पर मोबाइल पर बैन
- 200 मीटर की परिधि में आवाजाही पर रोक
- एसटीएफ की निगरानी
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