यह कैसा अभियान: बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के लिए आवंटित बजट का 79 फीसदी हिस्सा विज्ञापन पर किया खर्च
Beti Bachao Beti Padhao campaign: केंद्र सरकार ने अपने प्रमुख कार्यक्रम बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओं के लिए आवंटित बजट का 79 फीसदी हिस्सा केवल विज्ञापन पर खर्च किया है। गुरुवार को संसद में पेश की गई रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2016- 2019 की अवधि के दौरान जारी किए गए कुल 446.72 करोड़ रुपये में से 78.91 फीसदी लड़कियों की शिक्षा और स्वास्थ्य पर कल्याणकारी हस्तक्षेपों के बजाय केवल विज्ञापन पर खर्च किया गया था।
पैनल ने सरकार के इस अभियान पर क्या कहा?
पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि समिति बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के संदेश को लोगों के बीच फैलाने के लिए मीडिया अभियान चलाने की आवश्यकता को समझती है, लेकिन उन्हें लगता है कि योजना के उद्देश्यों को संतुलित करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। बता दें कि पैनल का नेतृत्व महाराष्ट्र भाजपा की लोकसभा सांसद हीना विजयकुमार गावित कर रही हैं। कोविड-19 संकट के कारण, विशेषज्ञों और बाल अधिकार कार्यकर्ताओं ने बताया है कि छात्राओं तक शिक्षा की पहुंच कम है।
राज्य सरकार का खराब प्रदर्शन
इसी अवधि में, नियंत्रक और महालेखा परीक्षक ने 2016-17 में "बहुत कम खर्च" की ओर इशारा करते हुए राज्य स्तर पर योजना का प्रदर्शन को कम बताया। 2014-15 और 2019-20 के बीच, राज्यों ने केवल 156.46 करोड़ रुपये का उपयोग किया है, जो केंद्र सरकार द्वारा जारी 652 करोड़ रुपये का केवल 25.13 फीसदी हिस्सा है। पैनल ने टिप्पणी करते हुए कहा कि योजना के खराब प्रदर्शन के कारण कम बजट का उपयोग हुआ है।
पैनल ने की नियमित समीक्षा की सिफारिश
आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि पोषण अभियान के लि केंद्रीय निधि के रूप में जारी किए गए 5,31,279.08 लाख रुपये में से केवल 2,98,555.92 लाख रुपये का उपयोग किया गया था। यह योजना केंद्र सरकार द्वारा वहन किए जाने वाले बड़े हिस्से के साथ 60:40 के लागत-साझाकरण अनुपात पर चलती है। विज्ञापनों के बजाय बीबीबीपी के तहत शिक्षा और स्वास्थ्य पर ध्यान देने की आवश्यकता पर बल देते हुए, पैनल ने राज्य और केंद्र स्तर पर धन के उचित उपयोग की नियमित समीक्षा की सिफारिश की है।
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