यूपीटीईटी : प्रिंटिंग प्रेस बदलने की क्या थी मजबूरी, यह हो सकता है इसके पीछे का राज
यूपीटीईटी पेपर लीक प्रकरण में प्रिंटिंग प्रेस की भूमिका सामने आने के बाद सबसे बड़ा सवाल है कि गिरफ्तार सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी संजय कुमार उपाध्याय के ऊपर आखिरकार पुराने प्रेस को बदलने की ऐसी कौन सी मजबूरी या दबाव था। एसटीएफ से पूछताछ में इस बात का खुलासा हुआ है कि पेपर छापने का काम बदरपुर नई दिल्ली की कंपनी आरएसएम फिनसर्व लिमिटेड को परीक्षा से एक महीने पहले 26 अक्तूबर को प्रश्नपत्र छापने का वर्क ऑर्डर दिया गया था। उसने चार अलग-अलग प्रिंटिंग प्रेस में पेपर छपवाए और पेपर लीक का यही मुख्य वजह बनी।
चर्चा है कि क्या संजय कुमार उपाध्याय ने निजी हितों के लिए ऐसी फर्म को प्रश्नपत्र छापने का ठेका दे दिया जिसके पास इतने गोपनीय काम का कोई अनुभव नहीं था या फिर किसी दबाव में यह निर्णय लेना पड़ा। ऐसा इसलिए क्योंकि संजय कुमार उपाध्याय के सचिव पद पर आने से पहले भी यहां तैनात रहे अफसरों पर प्रश्नपत्र छापने के लिए निजी प्रिंटिंग प्रेस और रिजल्ट बनाने के लिए प्राइवेट कम्प्यूटर फर्म के चुनाव के दबाव की सुगबुगाहट सुनने में आती रही है।
चर्चा है कि रसूखदार लोग खुद मोटी कमाई या अपने खास लोगों को अनुचित लाभ दिलाने के लिए पसंदीदा प्रिंटिंग प्रेस और कम्प्यूटर फर्म को काम दिलवाने का दबाव अफसरों पर बनाते हैं। रसूखवालों के चहेतों को छपाई या रिजल्ट का काम न देने पर अफसरों को निलंबन और दूसरी कार्रवाई की धमकी भी मिलती रही है। लेकिन ये बातें कभी सार्वजनिक रूप से सामने नहीं आईं।
प्रदेश के बाहर ही छपता है प्रश्नपत्र
प्रश्नपत्र की छपाई का काम प्रदेश के बाहर होता है। विश्वासपात्र और अच्छे निजी प्रिंटिंग प्रेस गोपनीयता का खास ध्यान रखते हैं। यूपी-टीईटी 2021 का प्रश्नपत्र छापने वाले आरएसएम फिनसर्व की तरह चार अलग प्रेस में पेपर नहीं छपवाते। अच्छी छवि के प्रेस में जाने से पहले अधिकारियों तक की जांच होती है और कोई मोबाइल वगैरह लेकर अंदर नहीं जा सकता। उनके यहां काम करने वाले स्टाफ की भी सुबह-शाम नियमित जांच होती है ताकि किसी कीमत पर गोपनीयता भंग न होने पाए।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें