पीएफ घोटाला: सीबीआइ ने तीन आइएएस अफसरों समेत 12 लोगों के खिलाफ जांच की मांगी अनुमति, जानें-क्या है पूरा मामला
उप्र पावर कारपोरेशन लिमिटेड में हुए भविष्य निधि घोटाले में सीबीआइ ने तीन आइएएस अफसरों सहि 12 लोगों के खिलाफ जांच शुरू करने के लिए सरकार से मंजूरी मांगी है। सीबीआइ ने जिन आइएएस अफसरों के खिलाफ जांच के लिए सरकार से अनुमति मांगी हैं, उनमें केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर तैनात कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के सचिव संजय अग्रवाल, ऊर्जा मंत्रालय के सचिव आलोक कुमार और प्रदेश में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की सचिव अपर्णा यू. शामिल हैं। घोटाले की अवधि के दौरान यह तीनों उप्र पावर कारपोरेशन में तैनात थे।
आइएएस के 1984 बैच के अधिकारी संजय अग्रवाल वर्ष 2013 से 2017 तक पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष व ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव व अपर मुख्य सचिव के पद पर तैनात थे। वहीं, 1988 बैच के अधिकारी आलोक कुमार मई 2017 से नवंबर 2019 तक पावर कारपोरेशन के चेयरमैन होने के अलावा ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव थे। 2001 बैच की अफसर अपर्णा यू. पावर कारपोरेशन में प्रबंध निदेशक के पद पर तैनात थीं। सीबीआइ ने पावर कारपोरेशन के अकाउंट अफसर समेत नौ अधिकारियों के खिलाफ भी जांच शुरू करने के लिए अनुमति मांगी है।
यह है मामला : बिजली कर्मियों के जनरल प्राविडेंट फंड व कंट्रीब्यूट्री प्राविडेंट फंड के 4122.70 करोड़ों रुपये दीवान हाउसिंग फाइनेंस कंपनी लिमिटेड (डीएचएफसीएल) में असुरक्षित ढंग से निवेश किए गए थे। मार्च 2017 से दिसंबर 2018 तक यूपी स्टेट सेक्टर पावर इंप्लाइज ट्रस्ट द्वारा जीपीएफ के 2631.20 करोड़ रुपये और यूपीपीसीएल सीपीएफ (कंट्रीब्यूटरी प्राविडेंट फंड) के 1491.50 करोड़ रुपये डीएचएफसीएल में फिक्स्ड डिपॉजिट करा दिए गए थे। इसमें से कुल 1854.80 करोड़ रुपये ही वापस मिल सके हैैं। मुंबई हाईकोर्ट द्वारा डीएचएफसीएल के भुगतान पर रोक लगाने के बाद बिजलीकर्मियों के 2267.90 करोड़ रुपये फंस गए थे।
तीनों आइएएस अधिकारियों से पहले भी हो चुकी है पूछताछ : सीबीआइ ने इस मामले में नौ मई 2020 को आलोक कुमार और अपर्णा यू से कई घंटों तक पूछताछ की थी। संजय अग्रवाल से भी ईओडब्ल्यू और सीबीआई पूछताछ कर चुके हैं। माना जा रहा है कि पड़ताल के दौरान तीनों के खिलाफ साक्ष्य मिलने के बाद सीबीआइ ने उसके आधार पर इनके खिलाफ जांच शुरू करने के लिए अनुमति मांगी है।
हजरतगंज कोतवाली में दर्ज हुई थी पहली एफआइआर : यूपी स्टेट सेक्टर पावर इंप्लाइज ट्रस्ट के सचिव आइएम कौशल की ओर से घोटाले में पहली एफआइआर दो नवंबर 2019 को हजरतगंज कोतवाली में दर्ज कराई थी। सीबीआइ ने इसके चार महीने बाद इस मामले में केस दर्ज किया था जबकि इससे पहले ईओडब्ल्यू प्रकरण की जांच कर रही थी। ईओडब्ल्यू ने प्रकरण में नामजद तत्कालीन ट्रस्ट सचिव पीके गुप्ता व उनके पुत्र अभिनव गुप्ता, तत्कालीन निदेशक वित्त सुधांशु द्विवेदी व तत्कालीन एमडी मध्यांचल विद्युत वितरण निगम एपी मिश्रा समेत 17 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। सीबीआइ ने छह मार्च को केस दर्ज कर मामले की छानबीन अपने हाथों में ले ली थी। प्रवर्तन निदेशालय भी दिसंबर 2019 में पीएफ घोटाले में मनी लांड्रिंग के तहत केस दर्ज कर मामले की जांच कर रहा है।
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