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रविवार, 9 जनवरी 2022

इस बार यूपी के युवा किसका साथ देंगे, पढ़िए विधानसभा चुनाव में युवाओं के क्या मुद्दे होंगे?



 इस बार यूपी के युवा किसका साथ देंगे, पढ़िए विधानसभा चुनाव में युवाओं के क्या मुद्दे होंगे?

इस बार यूपी के युवा किसका साथ देंगे, पढ़िए विधानसभा चुनाव में युवाओं के क्या मुद्दे होंगे?उत्तर प्रदेश में इस बार 15.02 करोड़ मतदाता वोट डालेंगे। इनमें करीब 32.8% युवा हैं। इनकी उम्र 18 से 29 साल के बीच है। इनमें भी 19.89 लाख ऐसे हैं, जिनकी उम्र 18 से 19 साल के बीच है। ये युवा पहली बार मतदान करेंगे। वहीं, 2017 विधानसभा चुनाव में 14.16 करोड़ वोटर्स थे, जिनमें 60.7 फीसदी यानी 8.59 करोड़ ने मतदान किया था। उस वक्त 18 से 29 साल के 26.03% वोटर्स थे। यानी इस बार युवा वोटर्स की संख्या में अब तक छह प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। 

युवाओं ने उठाए ये तीन बड़े मुद्दे

1.बेरोजगारी: जब युवाओं से सवाल पूछा गया कि क्या मौजूदा समय रोजगार की व्यवस्था ठीक है? ज्यादातर युवाओं ने 'न' में ही जवाब दिया। कुछ युवा ऐसे भी रहे, जिन्होंने कहा कि रोजगार की व्यवस्था ठीक है। ऐसे युवाओं ने तर्क दिया कि जिन युवाओं में काबिलियत है, उन्हें रोजगार मिल रहा है। नौकरियों में पारदर्शिता भी है। अब मेरिट नहीं, बल्कि काबिलियत के बल पर नौकरी मिल रही है। वहीं, दूसरी ओर कई जगह युवाओं ने भर्ती परीक्षाओं के पर्चे लीक होने का भी सवाल उठाया।  अमेठी के मोहम्मद सैमी कहते हैं, 'बेरोजगारी काफी बढ़ गई है। सरकार ने युवाओं के लिए कुछ नहीं किया। इसी तरह बीए द्वितीय वर्ष के छात्र प्रमोद कुमार कश्यप ने भी सरकारी भर्तियों का मसला उठाया। उन्होंने कहा कि नौकरी मिल नहीं रही है। सरकार नई भर्तियां निकाल नहीं रही, इसलिए व्यापार शुरू करेंगे।'  

बीटीसी कर रहे सौरभ मिश्र ने कहा कि पिछले तीन साल से नई भर्तियां नहीं आई हैं। युवा ओवरएज होते जा रहे हैं। कोई सुनवाई नहीं हो रही है। वैकेंसी नहीं आ रही है। पेपर लीक हो रहे हैं। युवा अधमरा हो चुका है। इसी तरह हमीरपुर के आदर्श, बिजनौर के प्रतीक, रायबरेली की तृप्ति, बुलंदशहर के राघव ने भी रोजगार का मुद्दा उठाया। वहीं, टीईटी की तैयारी कर रहे आशुतोष वाजपेयी ने कहा कि पहले की सरकारों में घोटाले होते थे। जो पैसा देता था, उसकी भर्ती होती थी। अब पारदर्शी तरीके से भर्तियां होती हैं।  

2. भर्ती परीक्षाएं: बरेली के आदित्य कहते हैं कि सरकार की भर्ती प्रक्रिया काफी सुस्त है। लेखपाल और पुलिस भर्ती समय से नहीं निकलती। मथुरा के महेश का भी यही मानना है। वह कहते हैं, 'सरकार कोरोना के समय चुनावी रैलियां कर सकती हैं, लेकिन जब बात युवाओं के भविष्य की आती है तो कोविड प्रोटोकॉल की चर्चा करने लगते हैं।' आदित्य-महेश की तरह ही ज्यादातर युवाओं ने कहा कि मौजूदा सरकार में भर्ती प्रक्रिया बहुत धीमी है। कई विभागों में रिक्तियां होने के बावजूद भर्ती नहीं निकाली जाती है। अमर उजाला के सत्ता का संग्राम में सेना भर्ती का मुद्दा भी खूब उठा।  

उन्नाव के दुर्गेश एनसीसी कैडेट हैं। वह कहते हैं, 'ग्रामीण परिवेश से आने वाले ज्यादातर युवाओं का सपना होता है कि वे सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करें। मैं भी इसी सपने को पूरा करने के लिए तैयारी कर रहा हूं, लेकिन दुख इस बात का है कि पिछले दो साल से सेना भर्ती नहीं हो रही है। उन्नाव के ही शिवम गौतम कहते हैं, 'आर्मी में 21 साल की उम्र तक युवाओं की भर्ती होती है। हम लोग किसान हैं। या तो आर्मी में जाएंगे या फिर किसानी करेंगे। अगर भर्ती नहीं होगी तो हम लोगों की उम्र निकल जाएगी।' बरेली के आदित्य, मथुरा के महेश, आगरा के रजत, कन्नौज के प्रदीप और यूपी के न जाने कितने युवाओं की यही मांग है। भले ही यह मुद्दा केंद्र सरकार के अधीन आता है, लेकिन इस बार यूपी चुनाव में भी हर युवा के जुबां पर है।  

3. खेल सुविधाओं का अभाव :  बिजनौर के रोहित बंसल खेल सुविधाओं को लेकर सरकार से नाराज हैं। वह कहते हैं कि कई खेलों के कोच नहीं हैं। खेल इंफ्रास्ट्रक्चर में भी कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। रोहित की तरह ही कई जिलों में खिलाड़ियों ने स्टेडियम की कमी के बारे में कहा। कुछ ने स्टेडियम में स्पोर्ट्स इंस्ट्रूमेंट्स की कमी को लेकर शिकायत की। लगभग सभी जिलों के खिलाड़ियों ने कोच की कमी का जिक्र किया। खिलाड़ियों का कहना था कि कई खेलों में कोच नहीं हैं। सरकार भर्तियां नहीं निकाल रही। जो कोच हैं, उन्हें भी स्थायी नहीं किया जा रहा है। संविदा पर भी भर्ती प्रक्रिया लंबे समय से रुकी हुई है। ऐसे में खिलाड़ियों का काफी नुकसान हो रहा है। 

1. विकास : ज्यादातर युवाओं ने विकास के मुद्दे पर सरकार की तारीफ की। उनका कहना था कि मौजूदा सरकार ने सड़कों, हाईवे, फ्लाईओवर, शहर की स्वच्छता, सौंदर्यीकरण को लेकर काफी काम किया है। कई जगहों पर सड़कें चौड़ी हुई हैं। साफ-सफाई की व्यवस्था भी पहले के मुकाबले बेहतर हुई है। हालांकि, कुछ युवा ऐसे भी थे, जो सड़कों को लेकर नाराज दिखे। ऐसे युवाओं ने अपने आसपास की कुछ सड़कों का नाम बताकर वहां की कमियों को उजागर किया।  

2. कानून व्यवस्था : ज्यादातर युवाओं ने कानून व्यवस्था को पहले के मुकाबले बेहतर बताया। युवाओं का कहना है कि संगठित अपराध पर लगाम लगाने में सरकार कामयाब रही है। चोरी, छिनैती, लूट जैसी घटनाएं कम हुई हैं। अब दंगे नहीं होते हैं। महिला सुरक्षा के मामले में भी सरकार ने अच्छा काम किया है। महिलाएं अब बेखौफ होकर घर से कभी भी निकल सकती हैं। वहीं, कुछ युवाओं ने हाथरस, उन्नाव, पीलीभीत में रेप की घटनाओं का जिक्र करके भाजपा सरकार पर निशाना भी साधा। उन्होंने कहा कि हालात जस के तस हैं। महिलाएं आज भी सुरक्षित नहीं हैं। 

3. योगी-अखिलेश, प्रियंका और मायावती में कौन पसंद? : इस सवाल के जवाब में 90 फीसदी युवाओं ने कहा कि इस चुनाव में लड़ाई अखिलेश और योगी आदित्यनाथ के बीच है। इनमें भी 50 फीसदी युवाओं का कहना है कि रोजगार के मामले में अखिलेश अच्छे थे, जबकि विकास के मामले में योगी आदित्यनाथ उनकी पहली पसंद हैं। वहीं, 50 फीसदी युवा ऐसे थे, जिन्होंने कहा कि भले ही रोजगार के मामले में योगी आदित्यनाथ कमजोर रहे हैं, लेकिन उनके अलावा फिलहाल कोई बेहतर विकल्प भी नहीं है। ऐसे युवाओं ने कहा कि आने वाले समय में योगी बेहतर काम कर सकते हैं।


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