देश में आयुर्वेद की शिक्षण व्यवस्था में व्यापक बदलाव की हो रही तैयारी : डा. अजय गुप्ता
भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग अधिनियम यानी NCISM ने अभी कुछ दिन पहले 16 फरवरी 2022 को नया गजट नोटिफिकेशन जारी किया है जिसमें आयुर्वेद के शिक्षण व्यवस्था में व्यापक बदलाव देखने को मिलेंगे। पिछले साल एन सी आई एस एम एक्ट 2020 को जून 2020 से लागू कर दिया गया है जिसमें बोर्ड ऑफ़ आयुर्वेदा का गठन किया गया है। बोर्ड ऑफ आयुर्वेद के द्वारा एक नोटिफिकेशन जारी किया है जिसमें बीएएमएस के पाठ्यक्रम, एडमिशन, इंटर्नशिप और परीक्षा संबंधी नियमों में व्यापक बदलाव किया गया है। तो यह कौन से बदलाव हैं इसकी विस्तृत जानकारी राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेद महाविद्यालय चौकाघाट वाराणसी में कायचिकित्सा एवं पंचकर्म विभाग के डॉ. अजय गुप्ता दे रहे हैं।
डॉ अजय पिछले कई सालों से महाविद्यालय के सीसीआईएम एवं मान्यता संबंधी कार्यों को देख रहे हैं तथा अपने यूट्यूब चैनल आयुषवाणी के माध्यम से देशभर के छात्र-छात्राओं को आयुर्वेद के क्षेत्र में होने वाले विभिन्न कार्यक्रम तथा नए दिशा निर्देशों की जानकारी देते रहते हैं , तो ऐसे में एन सी आई एस एम द्वारा कौन-कौन से बदलाव किए गए हैं इसकी चर्चा करते हैं -
1-पाठ्यक्रम में बदलाव - कुछ साल पहले तक सीसीआईएम नामक संस्था आयुर्वेद के शिक्षण एवं चिकित्सा संबंधी नियमों को बनाती थी तथा नियमन करती थी लेकिन 2020 के बाद जब एनसीआईएसएम का गठन हो गया उसके बाद यह सभी काम इसी के द्वारा देखे जा रहे हैं । एनसीएसएम ने बीएएमएस (BAMS) के पाठ्यक्रम में व्यापक बदलाव किया है । पहले बीएमएस में 4 व्यवसायिक होते थे लेकिन अब 2022 से केवल तीन व्यवसायिक होंगे अर्थात प्रथम व्यवसायिक , द्वितीय व्यवसायिक तथा तृतीय व्यवसायिक। यह सभी 18 महीने के होंगे और इसके बाद 1 वर्ष का अनिवार्य इंटर्नशिप होगा।
2- इंटर्नशिप में बदलाव - इंटर्नशिप कुल 12 महीने का होता है। जिन राज्यों में एलोपैथी प्रैक्टिस की अनुमति होती है वहां 6 महीने आयुर्वेद चिकित्सालय में इंटर्नशिप होती है तथा 6 महीने जिला चिकित्सालय में इंटर्नशिप होती है, लेकिन जिस राज्य में एलोपैथी प्रैक्टिस की अनुमति नहीं है वहां पर 12 महीने की इंटर्नशिप केवल आयुर्वेद के चिकित्सालय या महाविद्यालय से संबंधित चिकित्सालय में होती है । पहले इंटर्नशिप के दौरान कोई एसेसमेंट या परीक्षा नहीं होती थी लेकिन अब प्रत्येक माह जब किसी विभाग में इंटर्नशिप पूर्ण हो जाएगा उस समय उसके विभाग अध्यक्ष द्वारा मौखिक और लिखित रूप से असेसमेंट किया जाएगा और पास होने पर ही अगले विभाग में इंटर्नशिप के लिए भेजा जाएगा।
3- ऐच्छिक विषयों की पढ़ाई - पहले सभी प्रोफेशनल में सिर्फ आयुर्वेद के विषयों की शिक्षा दी जाती थी लेकिन अब सभी तीनों प्रोफेशनल में तीन तीन विषयों की भी शिक्षा दी जाएगी और इसकी परीक्षाएं भी होगी जिसके मार्क्स अंतिम परीक्षा में जुड़ेंगे।
4- उम्र सीमा का निर्धारण - अब तक बीएमएस में एडमिशन के लिए कोई उम्र सीमा निर्धारित नहीं थी लेकिन 2022 से न्यूनतम उम्र सीमा 17 वर्ष और अधिकतम उम्र सीमा 25 वर्ष निर्धारित कर दी गई है यानी इससे कम उम्र के छात्र और अधिक उम्र के छात्र बीएएमएस में दाखिला नहीं ले पाएंगे
5- पढ़ाई के घंटों का निर्धारण - 2022 से तीनों प्रोफेशनल में शिक्षा के लिए समय का निर्धारण किया कर दिया गया है यानी कि प्रत्येक वर्ष में कितने घंटे पढ़ाने होंगे । प्रथम व्यवसायिक में कुल 18 महीने में मिनिमम 320 दिन कार्य दिवस होंगे जिसमें कुल 1920 घंटे कक्षाएं चलेंगे। द्वितीय एवं तृतीय व्यवसायिक में 18 महीनों में 320 दिन कार्य दिवस होंगे लेकिन इन दोनों प्रोफेशनल में 2240 घंटे कक्षाएं चलेंगे।
6- ट्रांजिशनल करिकुलम- प्रथम व्यवसायिक में शुरुआत के 15 दिन ट्रांजिशनल करिकुलम चलाए जाएंगे जिसमें प्रतिदिन 6 घंटे के हिसाब से कुल 90 घंटे ट्रेनिंग दी जाएगी जिसमें देश-प्रदेश के विद्वानों द्वारा छात्रों को अलग-अलग विषयों पर व्याख्यान दिया जाएगा तथा आसपास के शैक्षणिक संस्थान एवं औषधि निर्माण शालाओं का भ्रमण कराया जाएगा।
7- सिलेबस में व्यापक बदलाव- सिलेबस में व्यापक बदलाव किया गया है इसमें अलग-अलग विषयों को भी जोड़ा गया है तथा आधुनिक रिसर्च, बायोकेमिकल रिसर्च, मेडिकल स्टेटिस्टिक तथा रिसर्च मेथाडोलॉजी जैसे विषयों को ज्यादा से ज्यादा अहमियत दी गई है । साथ ही इमरजेंसी ट्रीटमेंट के लिए आत्ययिक चिकित्सा को अलग से जोड़ा गया है । प्रत्येक विषय का एक कोड नेम दिया गया है ।
8- पाठ्यक्रम समय सीमा एवं आंतरिक परीक्षा - प्रत्येक व्यवसायिक में समय सीमा का निर्धारण कर दिया गया है यानी कि कब एडमिशन होंगे कब परीक्षाएं होंगी और कब इंटर्नशिप प्रारंभ होगा, सब की तिथि निर्धारित कर दी गई है। परीक्षा में भी बहुत बदलाव किए गए हैं । प्रत्येक प्रोफेशनल 18 महीने का है जिसमें प्रत्येक 6 माह पर आंतरिक परीक्षाएं आयोजित की जाएंगी तथा 18 महीने के पश्चात अंतिम मुख्य परीक्षा आयोजित की जाएगी। आंतरिक परीक्षाओं के अंक भी अंतिम परीक्षाओं में जोड़े जाएंगे तथा 75% उपस्थिति को अनिवार्य कर दिया गया है।
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