योगी सरकार के लिए 10 बड़ी चुनौतियां : छुट्टा जानवरों से लेकर सरकारी भर्ती तक, ये मुद्दे बढ़ा सकते हैं परेशानी
यूपी में अगले पांच साल तक अब योगी आदित्यनाथ की सरकार होगी। विधानसभा चुनाव में भाजपा को प्रचंड जीत तो मिली, लेकिन कुछ चुनौतियां भी हैं। कई ऐसे मुद्दें हैं जो आने वाले समय में योगी सरकार की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं। छुट्टा जानवरों से लेकर सरकारी भर्ती तक का मुद्दा इसमें शामिल है। आइये जानते हैं ऐसे ही 10 मुद्दों के बारे में…
1. छुट्टा जानवर से निजात दिलवाना : 2017 में सरकार बनते ही योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के सभी अवैध स्लॉटर हाउस को बंद करने आदेश दिया। सरकार की सख्ती का असर भी दिखा और देखते ही देखते सभी बड़े स्लॉटर हाउसों पर ताला पड़ गया। हालांकि, इसकी वजह से सड़कों पर गो-वंश छुट्टा घूमने लगे। सरकार के पास इनके पालन-पोषण के लिए कोई उचित प्लान नहीं था। गांवों में किसानों की फसलें चौपट होने लगीं। शहरों में सांड के चलते सड़क हादसे होने लगे। भूख और प्यास से बौखलाए कई छुट्टा पशु लोगों पर हमला करने लगे। विपक्ष ने चुनाव में इसे मुद्दा बनाया। इसी वजह से सीएम योगी से लेकर डिप्टी सीएम और सभी मंत्रियों को सार्वजनिक मंच से कहना पड़ा कि अबकी सरकार में आएंगे तो इसका उचित प्रबंध करेंगे। प्रधानमंत्री ने गो-वंश से कमाई का प्लान पेश करने तक की बात कही।
2. सरकारी भर्ती : सरकारी भर्तियां योगी सरकार के लिए चुनौती बन सकती हैं। पिछली सरकार में कुछ भर्तियों के पेपर आउट हुए तो कुछ में देरी होने से युवाओं ने कई जगह प्रदर्शन किए। विपक्ष ने युवाओं के रोष को देखते हुए अपने चुनावी घोषणा पत्र में सरकारी नौकरी को लेकर कई वादे किए। हालांकि, इसके बाद योगी सरकार सत्ता में वापसी करने में सफल रही। योगी नई सरकार में इस मुद्दों का हल निकालने की पूरी कोशिश करेंगे।
3. सड़कों का गड्ढा : बीते पांच साल में राज्य में कई फ्लाईओवर, अंडरपास, हाईवे बने हैं। हालांकि, गड्ढा मुक्त सड़कों का वादा पूरा नहीं हो पाया। शहरों के अंदर की सड़क की हालात भी खराब रहीं। इस बार चुनाव में ये मुद्दा भी खूब विपक्ष ने उछाला। नई सरकार में योगी गड्ढा मुक्त सड़क का वादा पूरा करने की कोशिश करेंगे।
4. स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करना : यूं तो कोरोना ने दुनिया के बड़े-बड़े देशों को नुकसान पहुंचाया। स्वास्थ्य मामलों में टॉप पर रहे देश भी कोरोना के दंश को नहीं झेल पाए। यूपी में भी इसका काफी असर देखने को मिला। कोरोना की दूसरी लहर में अस्पतालों में बेड की कमी, डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ की कमी, ऑक्सीजन की कमी ने सरकार को काफी परेशान किया। चुनाव के दौरान भी ये मुद्दा खूब उठा। सरकार ने 2017 में वादा किया था कि हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज बनवाएंगे। काफी हद तक इसपर काम भी हुआ, लेकिन अभी काफी बाकी है। दोबारा सरकार बनने पर अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने की काफी बड़ी चुनौती है।
5. प्रदेश को कर्ज से उबारना : यूपी पर इस वक्त आठ लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। कोरोनाकाल में ये कर्ज बढ़ा है। अब इस कर्ज से प्रदेश को उबारने की चुनौती मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कंधे पर होगी। ऐसा इसलिए भी जरूरी है क्योंकि इस बार भाजपा ने कई बड़े चुनावी वादे किए हैं। इसमें कॉलेज जाने वाली छात्राओं को मुफ्त स्कूटी, दो करोड़ युवाओं को मुफ्त लैपटॉप-टैबलेट, किसानों को सिंचाई के लिए मुफ्त बिजली, संविदा कर्मचारियों के मानदेय में बढ़ोतरी जैसे वादे शामिल हैं। इन्हें पूरा करने के लिए सरकार को भारी-भरकम वित्तीय मदद की जरूरत होगी। पहले से ही यूपी पर आठ लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। ऐसे में इन वादों को पूरा करने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाना पड़ेगा।
6. महंगाई को काबू करना : पेट्रोल-डीजल, गैस के दाम तो लगातार बढ़ ही रहे हैं, लेकिन यूपी में भी बिजली, पानी के दाम सातवें आसमान पर हैं। चुनाव में भी इसका बड़ा असर देखने को मिला। इसी वजह से भाजपा ने सस्ती बिजली, किसानों को सिंचाई के लिए मुफ्त बिजली जैसे वादे किए। अब योगी सरकार के सामने ये बड़ी चुनौती होगी कि वो अपने वादे पर अमल करें।
7. बेरोजगारी दूर करना : बेरोजगारी का मुद्दा भी चुनाव प्रचार के दौरान हावी था। कोरोना के दौर में प्रदेश में बेरोजगारी का दर भी बढ़ी है। अब योगी सरकार के सामने बेरोजगारी दूर करके वापस सभी को रोजगार मुहैया कराने की बड़ी जिम्मेदारी है।
8. गठबंधन दलों को संतुष्ट रखना : 2017 में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। ओम प्रकाश राजभर मंत्री भी बनाए गए, लेकिन दो साल में ही वह बगावत पर उतर आए। भाजपा सरकार पर कई तरह के आरोप लगाने लगे। 2019 से पहले वह भाजपा से अलग भी हो गए। इस बार अपना दल (एस) और निषाद पार्टी के साथ भाजपा गठबंधन को साधे रखने की जिम्मेदारी भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर होगी।
9. विपक्ष को काउंटर करना : 2017 के मुकाबले इस बार विपक्ष मजबूत हुआ है। इसके चलते वो ज्यादा आक्रमक भी होगा। विधानसभा में खुद सपा प्रमुख अखिलेश यादव सरकार को घेरने की पूरी कोशिश करेंगे। मजबूत विपक्ष भाजपा सरकार के सामने लगातार चुनौती पेश करेगा।
10. कानून व्यवस्था दुरूस्त करना: अगर ये कहा जाए कि विपक्ष के सारे वादे भाजपा के इस इकलौते मुद्दे ने ध्वस्त कर दिया तो गलत नहीं होगा। पूरे पांच साल योगी आदित्यनाथ सरकार ने डंका बजाकर कानून व्यवस्था को दुरूस्त रखने की बात कही। खुले मंच से योगी कहते रहे कि या तो अपराधी यूपी छोड़कर भाग जाएं, या फिर उन्हें यूपी पुलिस ऊपर पहुंचा देगी। इस बार भी योगी सरकार के कानून व्यवस्था को दुरुस्त रखने की चुनौती होगी।
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