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मंगलवार, 29 मार्च 2022

जेब पर बोझ: स्कूलों ने फीस में की 10 फीसदी तक की बढ़ोतरी, परिवहन सेवा भी महंगी



 जेब पर बोझ: स्कूलों ने फीस में की 10 फीसदी तक की बढ़ोतरी, परिवहन सेवा भी महंगी

नए सत्र में स्कूलों की फीस अभिभावकों की जेब पर भारी पड़ने वाली है। राजधानी के कई स्कूलों ने नए शैक्षणिक सत्र 2022-23 के लिए फीस में बढ़ोतरी कर दी है।   नए सत्र के लिए दाखिले की प्रक्रिया चल रही है। स्कूल अभिभावकों से बढ़ी फीस की वसूली कर रहे हैं। स्कूलों ने औसतन 8 से 10 प्रतिशत तक का फीस में इजाफा किया है। यही नहीं स्कूलों की परिवहन सेवा भी महंगी हुई है। करीब पांच प्रतिशत तक इस मद में बढ़ोतरी हुई है।

अगर आंकड़ों को रुपये के तौर पर देखें तो मध्य वर्ग के स्कूलों ने 300 रुपये से लेकर 500 रुपये महीने फीस बढ़ाई है। वहीं, जिनकी फीस पहले से ज्यादा है उन स्कूलों ने 700 रुपये से लेकर 1200 रुपये  प्रति माह तक की फीस में बढ़ोतरी की है। स्कूलों का दावा है कि फीस अधिनियम के अनुसार ही बढ़ाई गई है।

दिल्ली पब्लिक स्कूल, मिलेनियम, जयपुरिया, सीएमएस, लखनऊ पब्लिक स्कूल समेत कुछ मिशनरी स्कूलों ने भी अपनी फीस में बढ़ोतरी की है। मिशनरी स्कूलों का दावा है कि उन्होंने 8 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी की है। वहीं, लामार्टिनियर ब्वॉयज और लामार्टिनियर गर्ल्स ने अभी अपनी फीस स्ट्रक्चर में कोई बदलाव नहीं किया है।

स्कूलों का दावा : दो साल बाद बढ़ाई फीस

स्कूलों का दावा है कि उन्होंने वर्ष 2020 और 2021 के बाद अपनी फीस में बढ़ोतरी की है। दो साल फीस नहीं बढ़ाया, बल्कि जरूरत के अनुसार 20 प्रतिशत तक छूट भी दी है। स्कूलों के अनुसार कोरोना में स्टाफ की सैलरी कम कर दी गई, कई स्टाफ हटाए भी गए। लेकिन अब जब स्कूल पूर्ण रूप से खुले हैं तो स्टाफ की भर्ती भी की जा रही है और पुराने स्टाफ की सैलरी भी बढ़ानी है। इसी वजह से फीस बढ़ाई गई है। अनएडेड प्राइवेट स्कूल्स एसोसिएशन समेत अन्य स्कूल संगठनों ने जनवरी में ही फीस बढ़ाने का प्रस्ताव सरकार को दे दिया था। जबकि सरकार ने नए सत्र में फीस न बढ़ाने का निर्देश दिए थे। इसको स्कूल संगठनों ने न्यायालय में चुनौती दी थी, जिस पर न्यायालय ने सरकार को अपने फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा था।

अपने-अपने तर्क: सरकार को पहले ही प्रस्ताव दे दिया था

अन एडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल का कहना है कि नए सत्र में फीस बढ़ाने का प्रस्ताव पहले ही सरकार को दे दिया था। इस बार फीस न बढ़ाने को लेकर सरकार ने कोई तर्क नहीं दिया था। कुछ स्कूल बढ़ा चुके हैं तो कुछ बढ़ाने वाले हैं। मामला न्यायालय में भी है। सरकार को अपने फैसले पर विचार करने को कहा है। इस पर भी निर्णय का इंतजार है।

अभिभावक अभी कोरोना की मार से उबरे नहीं

अभिभावक विचार परिषद के अध्यक्ष राकेश सिंह का कहना है कि नए सत्र में ज्यादातर स्कूलों ने अपनी फीस में बढ़ोतरी की है। औसतन 10 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हुई है। कुछ बड़े स्कूलों ने तो 15 प्रतिशत तक बढ़ाया है। सरकार से मांग है कि इस सत्र में भी फीस वृद्धि को रोकने के लिए कोई कदम उठाए। अभिभावक अभी तक कोरोना की मार से उबर नहीं पाए हैं।

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