पद खाली, लेकिन भर्तियां नहीं: केंद्र सरकार में कैसे मिलेंगी आठ लाख से ज्यादा नौकरियां? लंबी प्रक्रिया तोड़ रही बेरोजगारों की कमर
'युवा हल्ला बोल' के राष्ट्रीय संयोजक अनुपम के अनुसार, सरकार के कुछ लोग चाहते हैं कि उनका सारा काम 'बड़े' लोगों के कंट्रोल में चला जाए। यानी निजीकरण को आगे बढ़ाया जाए। एक विभाग में लेटरल एंट्री स्कीम के जरिए संयुक्त सचिव के पद पर आकर कोई बैठ रहा है, वह दो साल तक काम करेगा और उसके बाद किसी दूसरी कंपनी में जॉब करेगा। उसका ध्यान तो इस बात पर लगा रहेगा कि दो साल बाद कहां पर सेटिंग होनी है...
केंद्र सरकार में आठ लाख से ज्यादा पद रिक्त पड़े हैं। कई वर्षों से नौकरी मिलने की रफ्तार बेहद सुस्त है। लंबे समय तक लटकी रहने वाली भर्ती प्रक्रिया बेरोजगारों की कमर तोड़ रही है। उन्हें मानसिक पीड़ा पहुंचा रही है। बिहार में टीचरों की भर्ती के लिए आंदोलन हो रहा है। एसएससी जीडी 2018 के मेडिकल पास अभ्यर्थी 14 माह से सड़कों पर हैं। यूपीएससी आवेदकों द्वारा दो वर्ष की समय सीमा बढ़ाने की मांग हो रही है। भर्ती बोर्ड या आयोगों की लापरवाही के चलते, युवा उम्रदराज हो रहे हैं। देश भर में युवाओं के मुद्दे उठा रहे 'युवा हल्ला बोल' के राष्ट्रीय संयोजक अनुपम कहते हैं, सरकार की नीयत ठीक नहीं है। जब संसद या विधानसभा में किसी सदस्य का पद रिक्त होता है तो छह माह में वह भर जाता है। सरकारी विभागों में ऐसा क्यों नहीं होता। अगर किसी विभाग में कुल पदों के दस फीसदी पद खाली हैं, तो उन्हें भर्ती के 'मॉडल एग्जाम कोड' के जरिए छह माह की अवधि में भरा जाए।
कोरोना में रैली ठीक है, मगर सेना की भर्ती बंद है
'युवा हल्ला बोल' के राष्ट्रीय संयोजक अनुपम ने बताया, कई वर्षों से देश का युवा परेशान है। उसे समय पर जॉब नहीं मिल रही है। भर्ती प्रक्रिया तीन चार साल तक लटकी रहती है। अनेक प्रतिभागी ओवरएज हो जाते हैं। एसएससी 2018 की भर्ती प्रक्रिया में ऐसा ही हुआ है। 2018 में भर्ती का विज्ञापन निकला था और परिणाम 2021 में आया था। विचार करें कि कितने आवेदक ओवरएज हो गए होंगे। कोविड के दौरान चुनाव हो रहा है। धड़ाधड़ रैलियां हो रही हैं। ये सब महीनों तक चलता है। परीक्षा, जो कि एक या दो दिन की होती है और बड़े सलीके से होती है, उसे कोरोना के नाम पर टाल दिया गया। बतौर अनुपम, इससे बड़ा कुतर्क और क्या हो सकता है। दरअसल सरकार की नीयत में खोट है। सरकार, खुद सच्चाई बताए कि नौकरी क्यों नहीं दे पा रही है। केंद्र सरकार को निजीकरण की एक नई धुन शुरू हुई है, इसके चलते सरकारी नौकरियों से ध्यान तो हटेगा ही। सरकार को अपने विभागों पर भरोसा नहीं है, लेकिन निजी क्षेत्र पर पूरा विश्वास है। ये लोग तो स्वीकार कर बैठे हैं कि देश उन्हें नहीं चलाना है। बस मुनाफे वाले उद्योगों की बोली लगाते जाओ।
बेरोजगारों को राजनीतिक भीड़ का हिस्सा बनाने की साजिश
'युवा हल्ला बोल' के राष्ट्रीय संयोजक का कहना है, सरकारी नौकरियों में जानबूझ कर देरी करने का एक सीधा सा मतलब है। बेरोजगारों को राजनीतिक भीड़ का हिस्सा बनाने की साजिश रची जा रही है। सरकार, नौकरी नहीं देना चाहती। बैंक बिक रहे हैं, रेलवे जैसा बड़ा विभाग है, तो उसे छोटे-छोटे टुकड़ों में इधर-उधर करने की बात हो रही है। लाभ वाले सरकारी उपक्रम, निजी हाथों में जा रहे हैं। सरकार चाहती है कि बेरोजगार युवा एक पार्टी विशेष का झंडा थाम लें। उनका बूथ मैनेजमेंट करता रहे। केंद्र सरकार अगर कह रही है कि उसके पास आठ लाख से ज्यादा पद खाली हैं तो उसे इन पदों को भरने का तरीका भी बताना चाहिए। कितने समय में ये पद भरे जाएंगे, सरकार इसकी घोषणा करे।
अनुपम के अनुसार, सरकार के कुछ लोग चाहते हैं कि उनका सारा काम 'बड़े' लोगों के कंट्रोल में चला जाए। यानी निजीकरण को आगे बढ़ाया जाए। एक विभाग में लेटरल एंट्री स्कीम के जरिए संयुक्त सचिव के पद पर आकर कोई बैठ रहा है, वह दो साल तक काम करेगा और उसके बाद किसी दूसरी कंपनी में जॉब करेगा। उसका ध्यान तो इस बात पर लगा रहेगा कि दो साल बाद कहां पर सेटिंग होनी है। किस कंपनी के साथ जॉब करनी है। वह अपने कार्यकाल के दौरान उन्हीं कंपनियों के हित साधने में व्यस्त रहेगा। युवा हल्लाबोल ने सरकार को मॉडल एग्जाम कोड का फॉर्मूला बताया था। इसके जरिए कोई भी भर्ती प्रक्रिया नौ माह में पूरी की जा सकती है। सरकार ने उस ओर कभी ध्यान ही नहीं दिया।
अधिकांश मंत्रालयों में पद खाली
केंद्र सरकार के 77 मंत्रालयों और विभागों में जितने पद स्वीकृत हैं, वे भी पूरी तरह नहीं भरे जा सके हैं। गृह मंत्रालय, परमाणु ऊर्जा, कैबिनेट सचिवालय, रक्षा (सिविल), व्यय, रेलवे, ग्रामीण विकास, अंतरिक्ष, स्वास्थ्य, संसदीय कार्य और विदेश मंत्रालय सहित विभिन्न विभागों में आठ लाख से अधिक स्वीकृत पद खाली हैं। साल 2016 में स्वीकृत पदों की संख्या 3,63,3935 के मुकाबले पदस्थ कर्मियों का आंकड़ा 3,22,1183 था। 2018 में 38 लाख स्वीकृत पदों की तुलना में 31 लाख कार्मिक पदस्थ थे। अब रिक्त पदों की संख्या लगभग पौने नौ लाख हो गई है। सेना की सामान्य भर्ती प्रक्रिया शुरू नहीं हो पा रही है। सेना भर्ती को लेकर बवाल मचा तो संसद में रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट को जवाब देना पड़ा।
भट्ट ने कहा, भारतीय सेना में भर्ती मुख्य रूप से कोविड-19 महामारी के प्रसार को रोकने के लिए स्थगित की गई है। संक्रमण धीमा हो गया है, लेकिन यह अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। इसी वजह से बड़े भर्ती मेलों का आयोजन नहीं किया जा रहा है। 2020-21 और 2021-22 के दौरान सेना में भर्ती निलंबित रही। हालांकि, 2020-21 के दौरान नौसेना में 2,722 आवेदकों और वायु सेना में 8,423 आवेदकों को नामांकित किया गया था। 2021-22 में नौसेना में 5,547 और भारतीय वायुसेना में 4,609 आवेदकों को नामांकित किया गया था।
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