आरटीई के तहत मुफ्त शिक्षा पाने के इच्छुक छात्रों को झटका, सहारनपुर में इस कारण प्रवेश न देने का स्कूलों का फैसला
प्राइवेट स्कूलों में आरटीई से बच्चों को निश्शुल्क प्रवेश मिलने का सपना इस बार अधूरा रह सकता है। स्कूल संचालकों ने आरटीई से चयनित बच्चों को इस बार प्रवेश न देने का फैसला लिया है।
निश्शुल्क शिक्षा का यह है प्रावधान
आरटीई यानी शिक्षा अधिकार अधिनियम के अंतर्गत 3 से 6 आयु वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में निश्शुल्क प्रवेश दिलाकर शिक्षा देने का प्रावधान है। यह सीमा 25 फ़ीसदी तक निर्धारित की गई है। जिले के प्राइवेट स्कूलों में करीब 5000 बच्चे आरटीई के अंतर्गत निश्शुल्क पढ़ रहे हैं। अभिभावकों को स्कूलों को कोई फीस नहीं देनी होती, बल्कि सरकार की ओर से उन्हें बच्चे की पढ़ाई के खर्च के लिए 5000 वार्षिक देने का प्रावधान भी है।
शुल्क प्रतिपूर्ति नहीं दे रही सरकार
गत 5 वर्षों के दौरान स्कूलों को बच्चों की फीस की शुल्क प्रतिपूर्ति सरकार की ओर नहीं मिल रही है। जिले में ही करीब 10 करोड़ से अधिक की शुल्क प्रतिपूर्ति की राशि बेसिक शिक्षा विभाग पर बकाया है। मामले में उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त विद्यालय शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर अशोक मलिक का कहना है कि संगठन लगातार बेसिक शिक्षा विभाग को चेताता रहा है कि बच्चों की बकाया शुल्क प्रतिपूर्ति स्कूलों को शीघ्र दिलाई जाए, ताकि उनकी आर्थिक स्थिति सुधर सके। कोरोना काल के दौरान प्राइवेट स्कूलों की आर्थिक स्थिति पहले ही खराब हो चुकी है। उनका कहना है कि यदि जल्दी शुल्क प्रतिपूर्ति स्कूलों को नहीं मिली तो नए सत्र से आरटीई से चयनित बच्चों को प्रवेश नहीं देंगे और जो बच्चे स्कूल में पढ़ रहे हैं उन्हें भी निकालने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। उधर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अमरीश कुमार का कहना है शुल्क प्रतिपूर्ति के मध्य में 6 करोड़ की डिमांड विभाग से की गई है जैसे ही प्रतिपूर्ति की राशि मिलेगी स्कूलों को चरणबद्ध ढंग से आवंटित कर दी जाएगी।
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