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मंगलवार, 29 मार्च 2022

उत्तर प्रदेश की छह जातियों को एसटी में शामिल करने का विधेयक लोकसभा में पेश



 उत्तर प्रदेश की छह जातियों को एसटी में शामिल करने का विधेयक लोकसभा में पेश

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश की गोंड, धुनिया, नायक, ओझा, पठारी और राजगोंड जातियों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने का विधेयक लोकसभा में पेश हो गया है। लोकसभा ने ध्वनिमत से विधेयक पेश किए जाने को स्वीकृति दी। सरकार की कोशिश चालू सत्र में ही इस विधेयक को लोकसभा और राज्यसभा दोनों से पास कराने की होगी।

सदन में कांग्रेस दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने सरकार को अलग-अलग विधेयक लाने के बजाय पूरे देश में सभी राज्यों की मांगों को शामिल करते हुए एक विधेयक लाने की सलाह दी। अधीर रंजन ने कहा कि वह इस विधेयक का विरोध नहीं कर रहे हैं। उनके अनुसार सरकार उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव को देखते हुए यह विधेयक लाना चाहती थी, लेकिन चुनाव आचार संहिता लागू होने के कारण ऐसा नहीं कर पाई। जनजाति कार्य मंत्री अजरुन मुंडा ने इसका विरोध करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश का चुनाव खत्म हो चुका है और विधेयक का उससे कोई संबंध नहीं है। वहीं, अधीर रंजन ने बताया कि अनुसूचित जनजाति की सूची में संशोधन से संबंधित तीन विधेयक संसद में विचाराधीन है। ऐसे में सरकार को सभी राज्यों के अनुरोध को शामिल करते हुए समेकित रूप से एक विधेयक लाना चाहिए।

अनुसूचित जनजाति संशोधन विधेयक, 2022 में उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर, कुशीनगर, चंदौली, संत रविदास नगर में रहने वाली गोंड जाति को अनुसूचित जाति (एससी) की सूची से बाहर कर अनुसूचित जनजाति (एसटी) की सूची में शामिल करने का प्रविधान है। गोंड के अलावा संत कबीर नगर, कुशीनगर, चंदौली और संत रविदास नगर में रहने वाली धुनिया, नायक, ओझा, पठारी और राजगोंड को भी अनुसूचित जनजाति में शामिल करने का प्रविधान है।गोंड, धुनिया, नायक, ओझा, पठारी और राजगोंड को मिलेगा लाभ सरकार की कोशिश इसी सत्र में रास से भी पास हो जाए बिल


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