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मंगलवार, 22 मार्च 2022

Shaheed Diwas 2022 Speech , Essay : शहीद दिवस पर दें ये दमदार भाषण, पढ़ें भगत सिंह के क्रांतिकारी विचार



 Shaheed Diwas 2022 Speech , Essay : शहीद दिवस पर दें ये दमदार भाषण, पढ़ें भगत सिंह के क्रांतिकारी विचार

Shaheed Diwas 2022 Speech Essay : देश की आजादी की लड़ाई में महान स्वंतत्रता सेनानियों शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। 23 मार्च ही वह दिन है, जब ये तीनों महान देशभक्त अपने मुल्क के लिए हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूल गए थे। 23 मार्च 1931 की रात भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को ब्रिटिश हुकूमत ने फांसी पर लटका दिया था।  

भगत सिंह और उनके साथी राजगुरु और सुखदेव को फांसी दिया जाना भारत के इतिहास में दर्ज सबसे बड़ी एवं महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है। भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु ने 1928 में लाहौर में एक ब्रिटिश जूनियर पुलिस अधिकारी जॉन सॉन्डर्स की गोली मारकर हत्या कर दी थी (लाहौर षड्यंत्र केस)। इसके लिए तीनों को फांसी की सजा सुनाई थी। तीनों को 23 मार्च 1931 को लाहौर सेंट्रल जेल के भीतर ही फांसी दे दी गई। इस मामले में सुखदेव को भी दोषी माना गया था। सजा की तारीख 24 मार्च थी, लेकिन 1 दिन पहले ही फांसी दे गई थी।  

शहीद-ए-आज़म भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के शहीदी दिवस के अवसर पर देश भर में जगह-जगह कई कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं। कई जगहों पर शहीदी दिवस को युवा सशक्तिकरण दिवस के तौर पर मनाया जाता है।

Shaheed Diwas 2022 Speech , Essay : शहीद दिवस पर आप दे सकते हैं ये दमदार भाषण

आदरणीय शिक्षक गण और प्यारे साथियों, 

वैसे तो देश की आजादी की लड़ाई में कई स्वतंत्रता सेनानी हुए, लेकिन इनमें तीन ऐसे क्रांतिकारी थे जिनके विचार और व्यक्तित्व आज भी युवाओं को प्रेरणा देते हैं। आज महान देशभक्त शहीद-ए-आजम भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की कुर्बानी को याद करने का दिन है। 23 मार्च ही वो दिन था जब ये तीनों हंसते-हंसते देश के लिए फांसी के फंदे पर झूल गए। 23 मार्च 1931 की रात भगत सिंह को सुखदेव और राजगुरु के साथ लाहौर षडयंत्र के आरोप में अंग्रेजी सरकार ने फांसी पर लटका दिया था। यही वजह है कि हर साल 23 मार्च का दिन इन तीन शहीदों की याद में शहीदी दिवस के तौर पर मनाया जाता है।

भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव भारत मां के वे सच्चे सपूत थे, जिन्होंने अपनी देशभक्ति और देशप्रेम को अपने प्राणों से भी अधिक महत्व दिया और मातृभूमि के लिए प्राण न्योछावर कर गए। 23 मार्च शहीद दिवस पर पूरा देश इन वीरों के बलिदान को भीगे मन से श्रद्धांजलि देता है। 

12 साल की उम्र में शहीदे आजम भगत सिंह  आजादी के आंदोलन में कूद पड़े थे। भगत सिंह अपने साहसी कारनामों के कारण युवाओं के लिए प्रेरणा बन गए थे। उन्होंने ही इंकलाब जिंदाबाद का नारा दिया। उन्होंने अपने छोटे से जीवन में वैचारिक क्रांति की जो मशाल जलाई, वह आज भी जिंदा है।

 अंत में मैं अपने देश के लिए कुर्बान हुए शहीदों को सलाम करता हूं। 

साथियों अब मैं अपने भाषण का अंत कुछ पंक्तियों के साथ करना चाहूंगा जो इस अवसर पर सटीक प्रतीत होती हैं - 

वीर जवानों की गाथाएं, तुमको आज सुनाता हूं, 

तूफानों में डटे रहे जो, उनको शीश झुकात हूं, 

कर्मपथ के वे अनुरागी, मैं तो उनका दास हूं, 

उनकी ही आजादी में, लेता खुलकर सांस हूं, 

भारत मां के प्रणय हेतु, करता ये अहसास हूं, 

गाकर गाथा उन वीरों की, मन से मैं मुस्काता हूं, 

वीर जवानों की गाथाएं, तुमको आज सुनाता हूं, 

वीर जवानों की गाथाएं, तुमको आज सुनाता हूं... 


जय हिन्द जय भारत।

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भगत सिंह की पुण्यतिथि पर आप उनके ये क्रांतिकारी विचार भी शेयर कर सकते हैं - 

1. बम और पिस्तौल से क्रांति नहीं आती, क्रांति की तलवार विचारों की सान पर तेज होती है। 

2. निष्‍ठुर आलोचना और स्‍वतंत्र विचार, ये दोनों क्रांतिकारी सोच के दो अहम लक्षण हैं।

3. राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है. मैं एक ऐसा पागल हूं जो जेल में आजाद है।

4. प्रेमी पागल और कवि एक ही चीज से बने होते हैं और देशभक्‍तों को अक्‍सर लोग पागल कहते हैं।

5. जिंदगी तो सिर्फ अपने कंधों पर जी जाती है, दूसरों के कंधे पर तो सिर्फ जनाजे उठाए जाते हैं।

6. व्‍यक्तियों को कुचलकर भी आप उनके विचार नहीं मार सकते हैं।

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