UPSC CSE : सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, यूपीएससी में एक्स्ट्रा अटेम्प्ट पर फैसला कार्मिक विभाग लेगा
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को कहा कि यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में अतिरिक्त मौका देने के मामले में कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डोओपीटी) फैसला लेगा। न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति एएस ओका की पीठ उन तीन अभ्यर्थियों की तीन याचिका पर सुनवाई कर रही थी जो यूपीएससी सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा पास करने के बाद कोविड-19 संक्रमित होने के कारण मुख्य परीक्षा के सभी पेपर में नहीं बैठ सके। अब ये अभ्यर्थी परीक्षा में बैठने का एक और मौका देने की मांग कर रहे हैं।
केंद्र की ओर से एडिश्नल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ऐश्वर्या भाटी ने पीठ को बताया कि यूपीएससी का पक्ष रख रहे वकील ने कहा है कि वह दिन में इस मामले में जवाबी हलफनामा दाखिल करेंगे। पीठ ने कहा कि वह इस मामले पर अब 25 मार्च को सुनवाई करेगी।भाटी ने कहा, "अब इस मामले में इमरजेंसी जैसा कुछ नहीं है क्योंकि इस मुख्य परीक्षा परिणाम घोषित कर दिया गया है। मुद्दा अब सिर्फ अतिरिक्त प्रयास का है।"पीठ ने कहा कि अब यूपीएससी को यह बयान देना है कि एक अवसर संभव है या नहीं।
एएसजी ने कहा, "यह फैसला असल में डीओपीटी को लेना होगा। मुझे निर्देश प्राप्त करने होंगे।"शीर्ष अदालत ने कहा कि पिछली बार यह बताया गया था कि यह एक "जटिल मुद्दा" है और निर्देश लेने की आवश्यकता है और इसीलिए पीठ ने समय दिया था। पीठ ने पूछा कि इस पर निर्णय यूपीएससी द्वारा ही लिया जाएगा ना या नहीं?," पीठ ने पूछा।
एएसजी ने कहा, "एक्स्ट्रा अटेम्प्ट का फैसला डीओपीटी द्वारा लिया जाएगा।"याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने पीठ को बताया कि अदालत ने पिछली बार यूपीएससी को मौका दिया था लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं आया है।7 मार्च को यूपीएससी की ओर से पेश हुए वकील ने शीर्ष अदालत से कहा था कि इस मुद्दे पर कोई भी फैसला लेने से पहले उन्हें निर्देश लेने और सभी पहलुओं को रिकॉर्ड में रखने की जरूरत है।तीन में दो याचिकाकर्ता शुरुआत के कुछ पेपर देने के बाद सात से 16 जनवरी के बीच हुई मुख्य परीक्षा में नहीं बैठे थे जबकि तीसरा अभ्यर्थी कोविड के कारण किसी भी परीक्षा में नहीं बैठ पाया था।
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