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शुक्रवार, 29 अप्रैल 2022

संसदीय कमेटी के रडार पर UPSC: नोटिफिकेशन से लेकर अंतिम परिणाम आने तक लगातार बदल रही है सिविल सेवा के 'पदों' की संख्या!



 संसदीय कमेटी के रडार पर UPSC: नोटिफिकेशन से लेकर अंतिम परिणाम आने तक लगातार बदल रही है सिविल सेवा के 'पदों' की संख्या!

संघ लोक सेवा आयोग (UPSC), विभाग से संबंधित कार्मिक, लोक शिकायत, कानून और न्याय, के लिए गठित संसदीय स्थायी समिति के रडार पर आ गया है। समिति की 112वीं रिपोर्ट में यूपीएससी की कार्य प्रणाली को लेकर कई तरह की टिप्पणियां की गई हैं। राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी की अध्यक्षता में गठित इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यूपीएससी जब सिविल सेवा भर्ती की अधिसूचना जारी करती है,

 तो उस वक्त निर्धारित पदों की एक तय संख्या बताई जाती है। हैरानी की बात है कि जब सिविल सेवा की प्रारंभिक परीक्षा होती है तो उस वक्त पदों की संख्या बदल जाती है। इसके बाद जब मुख्य परीक्षा होती है, तो एक बार फिर से पदों की संख्या परिवर्तित हो जाती है। इतना ही नहीं, परीक्षा का फाइनल रिजल्ट आने से पहले फिर से पदों की संख्या बदल जाती है। संसदीय समिति ने अपनी सिफारिश में कहा,  यह एक स्वस्थ परंपरा नहीं है। संघ लोक सेवा आयोग ने पिछले एक दशक के दौरान यह परपंरा कई बार दोहराई है।

यूं बदल जाती है तय पदों की संख्या

रिपोर्ट के मुताबिक, 2010 में यूपीएससी ने सिविल सेवा के 965 पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया की अधिसूचना जारी की थी। जब प्रारंभिक परीक्षा हुई तो निर्धारित पदों की संख्या में बदलाव कर दिया गया। पदों की संख्या 965 से 1014 हो गई। मुख्य परीक्षा का रिजल्ट जारी करने से पहले 1064 पद कर दिए गए। इतना ही नहीं, भर्ती प्रक्रिया का फाइनल रिजल्ट आने से पहले 1043 पद हो गए। साल 2011 में भी ऐसा ही कुछ हुआ था। तब 880 पदों के साथ अधिसूचना जारी हुई थी। प्रारंभिक परीक्षा का नतीजा आने से पहले पदों की संख्या 957 कर दी गई। 2012 में भी अधिसूचना के वक्त 1037 पद बताए गए थे,

 लेकिन प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम आने से पहले पदों की संख्या 1044 हो गई। 2014 में जब अधिसूचना जारी हुई तो भर्ती के लिए 1291 पद तय थे। प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम आने से पहले 1364 पद कर दिए गए। 2016 में भी इसी तरह से 1079 पदों की संख्या को बाद में 1209 कर दिया गया। 2019 में 896 पदों पर भर्ती की अधिसूचना जारी की गई। प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम आने से पहले पदों की संख्या 936 हो गई। मुख्य परीक्षा का परिणाम आने से पहले पदों की संख्या 927 कर दी गई। 2020 में 796 पदों के लिए अधिसूचना जारी की गई, लेकिन प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम आने से पहले उसे 836 कर दिया गया।

...तो ज्यादा उम्मीदवारों को मिल सकता था मौका

विभाग से संबंधित कार्मिक, लोक शिकायत, कानून और न्याय, के लिए गठित संसदीय स्थायी समिति की 112वीं रिपोर्ट में इस पर कहा गया है कि एक दशक में कई बार पदों की यह अदला-बदली हुई है। यह रिपोर्ट संसद के पिछले सत्र में पेश की गई थी। कमेटी ने कहा, यह एक स्वस्थ परंपरा नहीं है। जब भर्ती की अधिसूचना जारी हो तो पदों की संख्या कुछ और रहती है। प्रारंभिक परीक्षा का नतीजा आने से पहले वह संख्या बदल जाती है। मुख्य परीक्षा का परिणाम आने से पहले वह संख्या बदल जाती है। इतना ही नहीं, भर्ती का अंतिम परिणाम आने से पहले भी उस संख्या में बदलाव देखा गया है।

कमेटी ने महसूस किया है कि यदि भर्ती की अधिसूचना जारी होने के दौरान ही उतने पद बढ़ा दिए जाएं, जितने कि प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा और फाइनल नतीजा आने से पहले बढ़ाए जाते हैं, तो ज्यादा उम्मीदवारों को आगे आने का मौका मिल सकता है। अगर प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम आने से पहले वह संख्या बढ़ती है, तो कहीं ज्यादा उम्मीदवार मुख्य परीक्षा तक पहुंच सकते हैं। समिति ने यूपीएससी को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि वह पदों की संख्या परीक्षा के शुरू होने से लेकर अंतिम परिणाम आने तक वही रखे। आयोग को इसके लिए एक एक्सपर्ट कमेटी का गठन करना चाहिए। वह कमेटी समय-समय पर होने वाले बदलावों के प्रभाव का अध्ययन करे। स्कीम और सिलेबस को लेकर अपने सुझाव दे।

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