दरोगा भर्ती : एक घंटे बैठे रहे, तीन मिनट में हल कर डाले 50 सवाल, आगरा व मेरठ के दो केंद्रों पर सबसे ज्यादा फर्जीवाड़ा
उत्तर प्रदेश दरोगा भर्ती परीक्षा में 18 ऐसे अभ्यर्थी पकड़े गए हैं, जिन्होंने गलत तरीके से ऑनलाइन लिखित परीक्षा पास की है। रिकॉर्ड की जांच की गई तो इन अभ्यर्थियों ने शुरुआती एक घंटे में एक भी सवाल का जवाब नहीं दर्ज किया था। इसके बाद महज तीन से चार मिनट में धड़ाधड़ 40-50 सवालों के जवाब दे डाले। यह क्रम पूरी परीक्षा के दौरान करीब तीन से चार बार चला।
गलत तरीके से परीक्षा पास करने वाले 18 अभ्यर्थियों के खिलाफ उत्तर प्रदेश भर्ती व प्रोन्नति बोर्ड की अधिकारी ने महानगर थाने में मुकदमा दर्ज कराया है। अधिकारी के मुताबिक अभी यह संख्या और बढ़ेगी। भर्ती में हुई जालसाजी को सामने लाने के लिए कैंडिडेट रिस्पॉन्स लॉग की गहनता से पड़ताल की गई। पुलिस भर्ती बोर्ड के अधिकारियों के मुताबिक इस तरह के फर्जीवाड़े आगरा व मेरठ के परीक्षा केंद्रों पर मिले हैं। इन परीक्षा केंद्रों का इतिहास खंगाला जा रहा है। जल्द ही इन केंद्राें के संचालक व ड्यूटी पर तैनात जिम्मेदारों पर भी कार्रवाई की जाएगी।
उत्तर प्रदेश पुलिस दरोगा भर्ती के लिए ऑनलाइन परीक्षा 12 नवंबर 2021 से दो दिसंबर 2021 तक हुई थी। इसमें 36170 अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया गया है। इनके शैक्षिक व अन्य दस्तावेजों का परीक्षण व शारीरिक परीक्षा का आयोजन जिला मुख्यालय पर किया जा रहा है। लखनऊ में 300 अभ्यर्थियों के दस्तावेजों की जांच और फिजिकल स्टैंडर्ड की परीक्षा हो रही है। इसमें अब तक 18 अभ्यर्थी गलत तरीके से ऑनलाइन परीक्षा पास करने के आरोपी पाए गए हैं। भर्ती व प्रोन्नति बोर्ड में तैनात अपर पुलिस अधीक्षक रश्मि रानी की तहरीर पर महानगर थाने में दो मुकदमे दर्ज किए गए हैं। इनमें सभी नामजद 18 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है। ऑनलाइन परीक्षा में अभ्यर्थियों को दो घंटे में 160 सवाल हल करने थे। फर्जीवाड़ा कर पास हुए अभ्यर्थियों ने 150 से ज्यादा सवाल सही हल किए थे।
परीक्षा केंद्रों की जुटाई जा रही जानकारी
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक गलत तरीके से परीक्षा पास करने वाले अभ्यर्थियों की संख्या सबसे अधिक आगरा व मेरठ के दो परीक्षा केंद्रों पर रही। इसमें आगरा का कृष्णा इंफोटेक सेंटर व मेरठ का राधेश्याम विद्यापीठ शामिल है। अब तक पकड़े गए 18 आरोपी परीक्षार्थी इन्हीं दो सेंटर के हैं। भर्ती बोर्ड के अधिकारी के मुताबिक इन परीक्षा केंद्रों के बारे में पूरी जानकारी जुटाई जा रही है। वहीं परीक्षा के समय किन कर्मचारियों की ड्यूटी थी, इसकी जानकारी जुटाने के बाद परीक्षा केंद्रों के संचालक व अन्य जिम्मेदारों पर भी मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी।
सात लाख रुपये में हुआ था सौदा
आगरा व मेरठ के इन परीक्षा केंद्रों से पास हुए 18 परीक्षार्थियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर पूछताछ की तो सामने आया कि ऑनलाइन लिखित परीक्षा पास कराने के लिए दलालों ने प्रति परीक्षार्थी सात-सात लाख रुपये में सौदा तय किया था। इसके लिए दो-दो लाख रुपये एडवांस लिए थे।
कोई और ऑपरेट कर रहा था कंप्यूटर
पुलिस भर्ती व प्रोन्नति बोर्ड के चेयरमैन के निर्देश पर टॉपर्स की सूची तैयार की गई। इसमें उन परीक्षार्थियों को शामिल किया गया था, जिन्होंने 150 से अधिक सवालों के सही जवाब दिए थे। इस सूची में लखनऊ के लिए शारीरिक व शैक्षिक दस्तावेज जांच के लिए आए 300 में 18 अभ्यर्थी भी शामिल थे। जब इन अभ्यर्थियों के कैंडिडेट रिस्पॉन्स लॉग (सीआरएल) की गहनता से जांच की गई तो सारा फर्जीवाड़ा सामने आ गया। धांधली कर पास हुए परीक्षार्थियों ने 40-50 सवालों का जवाब तीन से चार मिनट में दे दिया। अध्ययन से इस बात की पुष्टि हुई कि इन अभ्यर्थियों के कंप्यूटर को कोई और चला रहा था। सीआरएल से साफ हो गया कि शुरुआती एक घंटे में एक या दो सवालों के ही जवाब दिए। जबकि आखिरी 15 से 20 मिनट में 140 से 150 सवालों के जवाब दे डाले।
चार सवालों का भी जवाब नहीं दे पाया
सामान्यत: गणित के 30 से 40 सवाल हल करने में कम से कम 15 से 20 मिनट लगते हैं, लेकिन गिरफ्तार अभ्यर्थियों ने 30 से 40 सवाल दो मिनट में हल कर लिए थे। हर सवाल का जवाब भी सही था। धांधली करने वाले अभ्यर्थी इस बात से नावाकिफ थे कि कंप्यूटर स्क्रीन पर होने वाली एक-एक हरकत पर पुलिस भर्ती बोर्ड की नजर थी। हिरासत में लेकर जब संदिग्ध अभ्यर्थियों से पूछताछ की गई तो प्रतीक चौधरी, जिसके 160 में से 158 सवाल सही हुए थे, वह चार सवालों के भी जवाब नहीं दे पाया। लखनऊ पुलिस लाइन में 300 अभ्यर्थियों का परीक्षण होना है। दो दिन के भीतर ही लखनऊ पुलिस ने 18 अभ्यर्थियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा है। पुलिस अधिकारी के मुताबिक फर्जीवाड़ा करने वाले इस बात से अनभिज्ञ थे कि उनकी हरकतों पर नजर रखी जा रही है। ऑनलाइन परीक्षा में अभ्यर्थी की सभी हरकतों का रिकॉर्ड सीआरएल में मिल जाता है। इन सभी का रिकॉर्ड ऑडिट लॉग करते ही सामने आ जाता है।
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