संशोधित अनुमान से कम रहा देश का राजकोषीय घाटा, समझें इसके मायने
वित्तीय वर्ष 2021-22 में भारत का राजकोषीय घाटा 6.9 फीसदी के संशोधित अनुमान के मुकाबले 6.7 फीसदी रहा। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए राजकोषीय घाटा 15.87 लाख करोड़ रुपये अनुमानित है।
पिछले वित्त वर्ष के लिए, सरकार ने फरवरी 2021 में पेश किए गए बजट में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद का 6.8 प्रतिशत आंका था। बीते फरवरी माह के बजट में सरकार ने इस अनुमान को संशोधित कर 6.9 प्रतिशत या 15,91,089 करोड़ रुपये कर दिया। आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2021-22 के अंत में राजस्व घाटा 4.37 प्रतिशत रहा।
इस बार बढ़ेगा दबाव: चालू वित्त वर्ष में पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती करने के केंद्र सरकार के फैसले से राजकोषीय घाटे पर दबाव पड़ने की आशंका है। इसके 6.4 प्रतिशत के लक्ष्य से पीछे रह जाने का अनुमान लगाया जा रहा है। आपको बता दें कि सरकार ने पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में आठ रुपये प्रति लीटर और डीजल पर छह रुपये प्रति लीटर की कटौती की है। इससे सरकारी खजाने पर करीब एक लाख करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा।
क्या है राजकोषीय घाटा: आपको बता दें कि राजकोषीय घाटा उस रकम को कहते हैं, जो सरकार की कुल कमाई और खर्च के बीच का अंतर है। इस अंतर को पूरा करने के लिए सरकार बाजार से कर्ज लेती है। राजकोषीय घाटा जितना कम होगा, इकोनॉमी के लिए अच्छी बात है। वहीं, अगर यह बढ़ता है तो इकोनॉमी के लिए चिंता की बात है।
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