सेना भर्ती : सिर्फ महिला नर्सों की नियुक्ति के खिलाफ याचिका पर कोर्ट ने केंद्र सरकार से मांगा जवाब
सेना में केवल महिला नर्सों की नियुक्ति किए जाने पर उच्च न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। न्यायालय ने यह आदेश उस याचिका दिया है, जिसमें सैन्य नर्सिंग सेवा में सिर्फ महिला नर्सों की भर्ती के लिए जारी विज्ञापन को चुनौती देते हुए, इसपर रोक लगाने की मांग की है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की पीठ ने केंद्र सरकार व अन्य संबंधित पक्षकारों को नोटिस जारी कर 6 सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। पीठ ने इंडिया प्रोफेशनल नर्सेज एसोसिएशन की ओर से दाखिल याचिका पर यह आदेश दिया है। हालांकि पीठ ने सैना में नर्सों की भर्ती के लिए जारी विज्ञापन पर रोक लगाने के लिए किसी तरह का कोई अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया।
एसोसिएशन ने सेना में नर्स के पदों पर सिर्फ महिलाओं की नियुक्ति को चुनौती देने वाली पहले से लंबित याचिका में ही यह अर्जी दाखिल की है। एसोसिएशन की ओर से अधिवक्ता अमित जॉर्ज ने पीठ को बताया कि सेना में सिर्फ महिलाओं की नियुक्ति पुरुषों के खिलाफ भेदभावपूर्ण है और इसे रद्द किया जाना चाहिए। याचिका में कहा गया है कि नर्सों की नियुक्ति के लिए जारी विज्ञापन पुरुषों को संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 के तहत मिले अधिकारों का हनन है।
हालांकि केंद्र सरकार ने याचिका का विरोध करते हुए सेना में नर्स के पदों पर सिर्फ महिलाओं की नियुक्ति का बचाव किया और कहा कि यह किसी भी तरह के भेदभावपूर्ण नीति नहीं है। इंडियन प्रोफेशनल नर्सेज एसोसिएशन ने याचिका में कहा है कि भारत में कई हजार पुरुष प्रशिक्षित और पेशेवर नर्स के रूप में योग्य हैं और सेना की नर्सिंग सेवा से उन्हें वंचित करना अन्यायपूर्ण और असंवैधानिक है क्योंकि यह उन्हें रोजगार के अवसर से वंचित करती है।
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