फर्जी डिप्लोमा पर आयोग से चयनित जेई की नौकरी पर खतरा
प्रयागराज पिछले महीने दूरस्थ शिक्षा के जिस डिप्लोमा को अमान्य करते हुए लोक निर्माण विभाग ने 106 कर्मियों का प्रमोशन रद करते हुए पदावनत किया था, उसी संस्थान के डिप्लोमा पर दर्जनभर से अधिक अभ्यर्थियों का चयन उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग और अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से हो चुका है। पीडब्ल्यूडी की इस कार्रवाई से आयोग से चयनित कर्मियों पर भी खतरे की तलवार लटक रही है।
दूरस्थ शिक्षा बोर्ड और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अनुसार कोई भी तकनीकी डिप्लोमा या डिग्री दूरस्थ शिक्षा से अमान्य है। इसके बावजूद कई संस्थानों ने दूरस्थ शिक्षा के जरिए डिप्लोमा कराया। उस डिप्लोमा के आधार पर लोक निर्माण विभाग में 2015 में 106 कर्मचारियों को जूनियर इंजीनियर (जेई) पद पर प्रमोशन मिल गया था। चूंकि यह डिप्लोमा अमान्य था, इसलिए उसकी जांच हुई। जांच के बाद विभाग ने माना कि 106 कर्मचारी फर्जी डिप्लोमा पर जेई बन गए, इसलिए 29 अप्रैल 2022 को इन सभी को जेई पद से हटाते हुए उनके मूल पद पर भेज दिया गया।
फिलहाल वह अभी अपने मूल पद पर नहीं गए और कोर्ट की शरण में है। दूसरी ओर दूरस्थ शिक्षा से लिए गए डिप्लोमा के आधार पर 2014 में उत्तर प्रदेश लोग सेवा आयोग से कई प्रतियोगियों का चयन हुआ था। इसके अलावा अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से 2016 में करीब दर्जनभर प्रतियोगी इसी डिप्लोमा के आधार पर चयनित हुए। आयोग से चयनित होकर यह अभ्यर्थी प्रदेश के कई जिले में जेई बने हुए हैं। यह डिप्लोमा पंजाब, राजस्थान और कर्नाटक के संस्थानों से लिए गए हैं।
दूरस्थ शिक्षा के जरिए अभ्यर्थियों ने खागा, फतेहपुर के एक तकनीकी संस्थान से यह डिप्लोमा लिया है। लोक निर्माण विभाग की कार्रवाई के बाद अब इन कर्मचारियों पर कभी भी कार्रवाई हो सकती है। आयोग के अधिकारियों ने बताया कि विभाग की गाइडलाइन के अनुसार जेई पद पर भर्ती की गई थी। अगर वह डिप्लोमा अमान्य है तो विभाग ऐसे लोगों पर कार्रवाई करे। विभाग को इनसे जुड़े सभी दस्तावेज दे दिए गए हैं।
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