क्या हिंदी भाषा में हो जाएगा MBBS कोर्स? डॉक्टरों ने बताया- कितनी बढ़ सकती है परेशानी
MBBS Course in Hindi: उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने हाल ही में कहा था कि राज्य जल्द ही हिंदी भाषा में MBBS कोर्स शुरू करेगा। उन्होंने दावा किया था कि इस कदम से हिंदी मीडियम के छात्रों को अंग्रेजी मीडियम छात्रों के साथ बेहतर प्रदर्शन करने में मदद मिलेगी।
वहीं एक वेबसाइट के अनुसार, दिल्ली मेडिकल काउंसिल के अध्यक्ष डॉ अरुण कुमार गुप्ता ने कहा कि MBBS की शब्दावली पूरी तरह से अंग्रेजी पर आधारित है। उन्होंने आगे कहा, "अधिकांश पुस्तकें जो मॉर्डन मेडिकल एजुकेशन का हिस्सा हैं, वह अंग्रेजी भाषा में लिखी और प्रकाशित की गई हैं।
शिक्षा का माध्यम हिंदी में बदला जा सकता है लेकिन MBBS कोर्स की अकादमिक शब्दावली (Academic vocabulary) को बदलना संभव नहीं है। भले ही पुस्तकों का अनुवाद किया जाए, लगभग सभी प्रतिष्ठित शोध पत्र और पत्रिकाएं अंग्रेजी में प्रकाशित होती हैं, ”
बता दें, मध्य प्रदेश सरकार ने सितंबर 2021 की शुरुआत में हिंदी में मेडिकल कोर्स शुरू करने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) ने यह कहते हुए इसे मंजूरी नहीं दी कि अंग्रेजी के अलावा किसी भी भाषा में मेडिकल कोर्स को आयोग द्वारा मान्यता नहीं दी जाएगी। वहीं AIIMS ऋषिकेश के प्रोफेसर, डॉ अमित गुप्ता ने भी शिक्षकों की MBBS हिंदी में पढ़ाने में असमर्थता के बारे में चिंता जताई है।
उन्होंने आगे कहा, "जब हम छात्र थे, हम भी अपनी सभी कक्षाएं अंग्रेजी में लेते थे। पूरे देश में एक भी ऐसा कॉलेज नहीं है जो हिंदी या किसी अन्य क्षेत्रीय भाषा में MBBS, MDS या BDS कक्षाएं संचालित कर रहा हो। शिक्षक शुरू से ही अंग्रेजी में पढ़ाने के लिए तैयार रहते हैं, क्योंकि उन्हें भी उसी भाषा में पढ़ाया जाता है। इसलिए, यदि कोर्स को हिंदी में शुरू करना है, तो शिक्षकों को पूरे सिलेबस का अनुवाद करने के साथ-साथ ट्रेनिंग भी देनी होगी, जो एक कठिन प्रक्रिया हो सकती है "
उन्होंने आगे कहा कि कॉलेज उत्तर भारत के छात्रों को हिंदी में पढ़ा सकते हैं लेकिन उन छात्रों का क्या जो दक्षिणी या उत्तर-पूर्वी राज्यों के हैं? "भारत में, छात्र मेडिकल एजुकेशन के लिए एक राज्य से दूसरे राज्य में प्रवास करते हैं क्योंकि शीर्ष संस्थान देश भर में फैले हुए हैं और स्थित हैं,"
आपको बता दें, देश भर में MBBS कोर्स में दाखिला नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET-UG) के माध्यम से दिया जाता है। देश में ग्रेजुएट लेवल के मेडिकल कोर्स में सीट सुरक्षित करने के लिए 16 लाख से अधिक छात्र एकल प्रवेश परीक्षा में शामिल होते हैं। नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) 2021 के अनुसार, टॉप 10 मेडिकल संस्थानों में से पांच दक्षिणी क्षेत्र- तमिलनाडु, कर्नाटक और पांडिचेरी में स्थित हैं।
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