न्यू पेंशन स्कीम : रिटायरमेंट से पहले वेतन 2.24 लाख प्रतिमाह, पेंशन सिर्फ 13700
न्यू पेंशन स्कीम कर्मचारियों के लिए छलावा साबित हो रही है। रिटायरमेंट से पूर्व अच्छा खासा वेतन पाने वाले अपनी पेंशन को देखकर हैरान हैं। डॉ. आनंद कुमार चतुर्वेदी होम्योपैथिक कॉलेज के प्राचार्य थे। रिटायरमेंट के समय उनका वेतन 2.24 लाख था, लेकिन पेंशन सिर्फ 13,700 रुपये बनी है।
डॉ. आनंद का उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की ओर से प्राचार्य के पद पर चयन किया गया था। इसके बाद अक्तूबर 2009 में उन्होंने आजमगढ़ होम्योपैथिक कॉलेज में ज्वाइन किया था। वह फाफामऊ स्थित होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज के नवंबर 2011 से जून 2018 तक प्राचार्य रहे। इसके बाद उनका तबादला कानपुर होम्योपैथिक कॉलेज में हो गया जहां से वे पिछले महीने रिटायर हो गए।
बुधवार को वेरिफिकेशन के लिए कलक्ट्रेट स्थित कोषागार पहुंचे डॉ. आनंद ने बताया कि उन्हें आखिरी महीने का वेतन 2.24 लाख रुपये मिला। पेंशन खाते में 25 लाख रुपये गए। इसके एवज में पेंशन मात्र 13,700 रुपये बनी है। इससे निराश डॉ. आनंद का कहना है कि एनपीएस तो कर्मचारियों के साथ मजाक है। सरकार को इस पर विचार करना चाहिए। इनके अलावा मेडिकल कॉलेज से रिटायर डॉ. सहाय समेत अन्य कई लोगों की भी काफी कम पेंशन बनी है।
पुरानी पेंशन के तहत 67200 रुपये बनती पेंशन
पेंशन निर्धारण के जानकार एजी ब्रदरहुड के पूर्व अध्यक्ष हरिशंकर तिवारी का कहना है कि पेंशन के लिए न्यूनतम 10 वर्ष की नौकरी जरूरी है। 20 साल की नौकरी पूरी होने पर आखिरी वेतन की 50 प्रतिशत पेंशन बनती है। 20 वर्ष से कम लेकिन 10 वर्ष से अधिक नौकरी पूरी होने पर फार्मूले के तहत पेंशन का निर्धारण होता है। यदि आखिरी वेतन 2.24 लाख रुपये और 12 साल की नौकरी है तो पेंशन 67200 रुपये बनेगी। यानी, पुरानी पेंशन के तहत डॉ. आनंद की 67200 पेंशन बननी चाहिए थी। इतना ही नहीं पुरानी पेंशन के तहत महंगाई राहत भी मिलती है, लेकिन एनपीएस में पेंशन में कोई बढ़ोतरी नहीं होगी।
एनपीएस का लाभ ले ले सरकार... हमें दे पुरानी पेंशन
प्रयागराज। पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर कर्मचारी लगातार आंदोलनरत हैं। एनपीएस को लेकर सरकार के दावों को नकारते हुए कर्मचारियों का स्पष्ट कहना है कि सरकार अपनी अच्छी स्कीम वापस ले ले, हमें पुरानी पेंशन ही वापस कर दे।
उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी का कहना है कि एनपीएस का हर स्तर पर विरोध किया जाता रहा है। आगे भी आंदोलन जारी रहेगा। इसी के दबाव में सरकार फंड में अब 14 फीसदी जमा करती है। इसके अलावा सरकार एनपीएस को कर्मचारियों के हित में बताती है, लेकिन यह सिर्फ छलावा है।
उनका कहना है कि पीएफ फंड पर आठ प्रतिशत ब्याज है तो 26 साल की नौकरी पर वेतन का 50 फीसदी पेंशन मिलेगी। जबकि, पीएफ पर ब्याज इससे अधिक है। हमारी यही मांग है कि सरकार अपनी अच्छी पेंशन स्कीम वापस ले ले। कर्मचारियों को न्यूनतम पेंशन की गारंटी मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पुरानी पेंशन के अन्य लाभ भी कर्मचारियों को मिलने चाहिए।
पुरानी पेंशन के लिए आंदोलन की अगुवाई करने वाले राज्य कर्मचारी नेता राजेंद्र त्रिपाठी का कहना है कि नई पेंशन नीति कर्मचारियों के साथ धोखा है। इसकी सच्चाई अब सामने आने लगी है। पुरानी पेंशन के लिए एक बार फिर बड़ा आंदोलन होगा।
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