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बुधवार, 21 सितंबर 2022

खैरात में बांट दिये ईपीएफ के 18.91 करोड़



 खैरात में बांट दिये ईपीएफ के 18.91 करोड़

लखनऊ। सहकारिता विभाग की संस्था उ.प्र. सहकारी ग्राम विकास बैंक (पुराना नाम एलडीबी) में कर्मचारियों के भविष्य निधि फंड (ईपीएफ) से 18.91 करोड़ रुपये की हेराफेरी का मामला प्रकाश में आया है। वर्ष 2015 में ही इस हेराफेरी की प्रारंभिक सूचना विभाग को मिल गई थी लेकिन मामले को दबाया जाता रहा। अब स्पेशल आडिट रिपोर्ट आने के बाद मामले में दोषियों की जिम्मेदारी तय करते हुए रिकवरी करने की तैयारी चल रही है।

एलडीबी जैसी बैकिंग संस्था में कार्मिकों के ईपीएफ के प्रबंधन के लिए बने ट्रस्ट (ईपीएफ बोर्ड) ने सालों तक बैलेंस सीट ही तैयार नहीं की। साल दर साल ब्याज की कल्पना करते हुए कार्मिकों के ईपीएफ पर ब्याज दिया जाता रहा जबकि उन वर्षों में ब्याज कम बना था। इसका लाभ कुछ चुनिंदा लोगों को मिला। भारी नुकसान मौजूदा कार्मिकों को होगा।

यह मामला पहली बार 2015 में संज्ञान में आया था। जब 2012-13 की आडिट में 18.91 करोड़ रुपये का हिसाब नहीं मिलने का जिक्र था। 15 जुलाई 2020 को सहकारिता विभाग के तत्कालिन आयुक्त ने मामले को संज्ञान में लेते हुए वर्ष 2012-13 की आडिट रिपोर्ट में आए 18.91 करोड़ रुपये के अंतर की पड़ताल के लिए ईपीएफ ट्रस्ट का स्पेशल आडिट नये सिरे से कराने का आदेश बैंक प्रबंधन को दिया था। अनियमितता पाए जाने पर जिम्मेदार अधिकारियों व कर्मचारियों को दंडित करने का आदेश दिया था। ईपीएफ ट्रस्ट से ईपीएफओ ट्रस्ट में हस्तांतरण का स्टेशन भी चेक कराने के निर्देश दिए थे।

ईपीएफ बोर्ड की बैठक में भी छाई रही रिपोर्ट

दूसरी तरफ बैंक ईपीएफ बोर्ड की मंगलवार को हुई बैठक में भी स्पेशल आडिट रिपोर्ट पर मंथन किया गया। बैठक के दौरान बोर्ड ने 2021-22 में करीब 14 करोड़ रुपये आय के मुकाबले कर्मचारियों को 4.55 फीसदी ब्याज दिए जाने का निर्णय इस वर्ष के लिए लिया गया।

● 2007 से 2012 तक ईपीएफ का बैलेंस सीट तक नहीं बनाया गया

● 2020 में आयुक्त ने जांच और कार्रवाई करने का आदेश दिया था

जो भी दोषी हैं उनकी जिम्मेदारी तय करते हुए रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी। रिकवरी भी कराई जाएगी। ईपीएफ धनराशि में आ रहे अंतर का वर्षवार आंकड़ा निकलवाया जाएगा जिससे पता चल सके कि किस वर्ष में ईपीएफ से कितनी अधिक धनराशि का भुगतान किया गया है।-आरके कुलश्रेष्ठ, एमडी उ.प्र. सहकारी ग्राम विकास बैंक

कर्मचारी संगठनों ने कहा गबन है यह

आयुक्त के आदेश के बाद बैंक प्रबंधन ने स्पेशल आडिट कराई। ईपीएफ ट्रस्ट द्वारा बिना बैलेंस सीट के काल्पनिक आधार पर जमा राशि पर अधिक ब्याज देने के साथ ही भारत सरकार की गाइडलाइन का उल्लंघन किया गया। हेराफेरी की पुष्टि के बाद सहकारी ग्राम विकास बैंक कर्मचारी परिषद ने एमडी को पत्र लिखकर कहा है कि कर्मचारियों के ईपीएफ से प्रोविजनिंग करना गबन के समान है।

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