करेंट अफेयर्स – 20 सितंबर 2022
पांग ल्हबसोल महोत्सव, सिक्किम
पांग ल्हबसोल सिक्किम के सबसे लोकप्रिय सांस्कृतिक त्योहारों में से एक है। यह त्यौहार तीसरे सबसे ऊंचे पर्वत, कंचनजंगा पर्वत को सम्मान और श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि यहां बौद्ध धर्म के प्रसार में पर्वत देवता ने सक्रिय भूमिका निभाई थी।
ल्हाटसुन चेंपो ( सिक्किम में बौद्ध धर्म के प्रमुख प्रचारक ) की हस्तलिखित जीवनी के अनुसार, पर्वत देवता द्वारा भेजे गए दिव्य दर्शन ने उन्हें डेमाजोंग के लिए निर्देशित किया था। डेमाजोंग को “hidden valley of rice” भी कहा जाता है।
सिक्किम की रक्षा के लिए पांग ल्हबसोल में पर्वत देवता का आह्वान किया जाता है और प्रार्थना की जाति है। हर साल तिब्बती चंद्र कैलेंडर के 7 वें महीने के 15वें दिन पांग ल्हबसोल का उत्सव मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से यह अगस्त- सितंबर के बीच में कहीं आता है।
कार्निवल, सांस्कृतिक प्रदर्शन, लामा योद्धा नृत्य, सिक्कमी व्यंजन इस त्योहार के कुछ प्रमुख आकर्षण है। नृत्य में सबसे प्रसिद्ध योद्धा नृत्य है जिसे पंग-टोड चाम कहा जाता है।
तीसरे चोग्याल चादोर और नामग्याल ने शानदार पैंगटोड या योद्धा नृत्य कोरियोग्राफ किया था। यह त्यौहार 15वी शताब्दी में काबी में लेपचा और भूटियाओं के बीच स्थापित भाईचारे के स्मरण उत्सव का भी प्रतीक है। ( करेंट अफेयर्स )
नानमाडोल तूफान
अमेरिकी सेना के ज्वाइंट टाइफून वार्निग सेंटर ( JTWC ) द्वारा एक सुपर टाइफून के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इसका अर्थ है कि यह बेहद विनाशकारी उष्णकटिबंधीय तूफान होने की क्षमता रखता है। JTWC द्वारा एक मिनट की निरंतर हवाओं का उपयोग करके टाइफून को पांच श्रेणियों में विभाजित किया जाता है।
यह उष्णकटिबंधीय तूफानों को 240 किलोमीटर प्रति घंटे ( 150 मिल प्रति घंटे ) या उससे अधिक की निरंतर हवाओं के साथ सुपर-टाइफून के रूप में परिभाषित करता है।
नानमाडोल के जल्द ही टोक्यो पहुंचने का अनुमान हैं। दक्षिणी क्यूशू में 400 मिमी ( 16 इंच ) बारिश और 235 किमी प्रति घंटे ( 145 मिल प्रति घंटे ) की रफ्तार से हवाएं चलने आशंका जताई गई है।
डूरंड कप फुटबॉल टूर्नामेंट
दुनिया का तीसरा सबसे पुराना और एशिया का सबसे पुराना फुटबॉल टूर्नामेंट डूरंड कप पहली बार वर्ष 1888 में डगशाई ( हिमाचल प्रदेश ) में आयोजित किया गया था और इसका नाम मोर्टीमर डूरंड के नाम पर रखा गया था, जो उस समय भारत के प्रभारी विदेश सचिव थे।
टूर्नामेंट शुरू में ब्रिटिश सैनिकों के बीच स्वास्थ्य और फिटनेस को बनाए रखने का सचेत तरीका था, लेकिन बाद में इसे नागरिकों हेतु खोल दिया गया और वर्तमान में यह दुनिया के प्रमुख खेल आयोजनों में से एक है। मोहन बागान और ईस्ट बंगाल डूरंड कप के इतिहास में सबसे सफल टीमें है जिन्होंने इसे 16 बार जीता है। ( करेंट अफेयर्स )
कजाकिस्तान ने अपनी राजधानी का नाम बदला
कजाखस्तान ने अपने देश की राजधानी नूरसुल्तान का नाम बदल दिया है। नूर सुल्तान को अब अस्ताना के नाम से जाना जाएगा। दरसल पहले नूरसुल्तान को अस्ताना के नाम से ही जाना जाता था।
राजधानी का नामकरण :
इसने राजधानी का नाम नूर- सुल्तान से अस्ताना में बदलने के लिए एक संवैधानिक संशोधन भी पारित किया। 1991 में एक स्वतंत्र देश बनने के बाद कजाकिस्तान ने 1997 में अपनी राजधानी को अल्माटी से अस्ताना स्थानांतरित कर दिया। सेवियत काल में अस्ताना को त्सेलिनोग्राड कहा जाता था।
बाद में जब कजाकिस्तान के पहले राष्ट्रपति नूर- सुल्तान नजरबायेव ने 2019 में लगभग 30 वर्षों तक सत्ता में रहने के बाद इस्तीफा दे दिया, तो उनके उत्तराधिकारी कासिम – जोमार्ट टोकायेव ने पूर्व नेता के सम्मान में आस्ताना का नाम बदलकर नूर- सुल्तान कर दिया था। हालंकि अब फिर से नाम बदलकर अस्ताना कर दिया गया है।
अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष (IYOM )2023 :
भारत द्वारा संयुक्त राष्ट्र को इस वर्ष को मनाने का प्रस्ताव दिया गया था। उसके बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मार्च 2021 में साल 2023 को अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष के रूप में घोषित किया था। अंतर्राष्ट्रीय वर्ष को अपनाने वाले इस प्रस्ताव को 70 से अधिक देशों ने समर्थन दिया।
इसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के चलते कठिन परिस्थितियों में मोटा अनाज के स्वास्थ्य लाभों और खेती हेतु उनकी उपयुक्तता के प्रति जन -जागरूकता बढ़ाना है।
मोटा अनाज :
- मोटे अनाज में बाजरा, ज्वार, रागी जैसे अनाज शामिल होते हैं।
- इनकी उच्च पोषण सामग्री के कारण इन्हें एक ‘ पोषक- अनाज’ माना जाता है।
- अफ्रीका और एशिया में तो यह एक परंपरिक प्रधान अनाज के रूप में प्रचलित है।
- गौरतलब है कि जलवायु परिवर्तन व अन्य कारणों के चलते इसकी खेती में गिरावट देखी जा रही है।
- भारत 170 लाख टन से अधिक उत्पादन के साथ एशिया के 80% और वैश्विक उत्पादन के 20% की हिस्सेदारी करता है।
- भारत के शीर्ष पाँच मोटा अनाज उत्पादक राज्य :
- राजस्थान ( बाजरा ), कर्नाटक ( ज्वार/ रागी ), महाराष्ट्र (रागी/ज्वार ), उत्तर प्रदेश (बाजरा ), हरियाणा (बाजरा )
एनी बेसेंट की पुण्य तिथि 2022
- हर साल 20 सितंबर को प्रसिद्ध ब्रिटिश समाज सुधारक, वक्ता और लेखिका एनी बेसेंट की पुण्यतिथि मनाई जाती है।
- इनका जन्म 1 अक्टूबर 1847 को लंदन में हुआ था। वह ईसाई धर्म को मानते थी।
- 20 साल की उम्र में इनकी शादी एक अंग्रेज पादरी फ्रैंक बेसेंट से हो गई थी। किन्तु, कुछ धार्मिक मतभेदों के चलते वह जल्द ही अपने पति से अलग हो गई।
- श्रीमती एनी बेसेंट ‘ स्वतंत्र विचारों का प्रचार’ करने वाले नेशनल सेक्यूलर सोसाइटी की सदस्य बन गई थी।
- फैबियन सोसाइटी में शामिल होकर इन्होंने उसके लिए लिखना शुरु कर दिया ।
- 1870 के दशक में एनी बेसेंट और चार्ल्स ब्रैंडलो ने एक सप्ताहिक ‘ नेशनल रिफॉर्मर’ का संपादन किया।
- इस सप्ताहिक ने ट्रेड यूनियनों, राष्ट्रीय शिक्षा, महिलाओं के मतदान के अधिकार आदि कई विषयों पर उन्नत विचारों को प्रकाशित किया।
- 1888 में वह londan match girls strike में सक्रिय रूप से शामिल रही।
- एनी बेसेंट ने पहली बार 1893 में भारत का दौरा किया और बाद में भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन में शामिल होकर यहीं बस गई. 1916 में उन्होंने इंडियन होम रुल लीग की स्थापना की, जिसकी वह अध्यक्ष बनीं. वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की एक प्रमुख सदस्य भी थी.
- एनी बेसेंट की मृत्यु भारत में ही 20 सितंबर 1933 को हो गई.
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