Lucknow University में शासनादेश का उल्लंघन, एक समान परीक्षा शुल्क लागू होने पर भी छात्रों को नहीं दी गई राहत
राज्य सरकार की ओर से राज्य विश्वविद्यालयों एक समान परीक्षा शुल्क लागू करने का आदेश तो जारी कर दिया गया। लेकिन लखनऊ विश्वविद्यालय एवं पांच जिलों के सहयुक्त महाविद्यालयों के छात्र-छात्राओं को इससे कोई राहत नहीं मिल पाई है। विश्वविद्यालय इसे लागू करने के मूड में नहीं है। यही वजह है कि ढाई महीने बाद भी अब तक इस पर न तो कोई निर्णय लिया गया न ही कालेजों को कोई निर्देश भेजे गए। इस वजह से नए छात्र-छात्राओं से भी पुराना शुल्क ही जमा करा लिया गया।
लखनऊ विश्वविद्यालय से 545 महाविद्यालय जुड़ चुके हैं। इनमें लखनऊ, सीतापुर, रायबरेली, हरदोई और लखीमपुर खीरी के डिग्री कालेज शामिल हैं। इनमें लखनऊ विश्वविद्यालय की ओर से स्नातक व परास्नतक में निर्धारित परीक्षा शुल्क लिया जाता है। इसमें भी कई कालेज में अलग-अलग दर निर्धारित है। अन्य राज्य विश्वविद्यालयों में लिए जाने वाले परीक्षा भी शुल्क अलग-अलग हैं।
शासन ने परीक्षा शुल्क में एक समानता लाने के लिए राज्य विश्वविद्यालयों के विभिन्न पाठ्यक्रमों में परीक्षा शुल्क एक समान करने का निर्णय लिया था। विशेष सचिव मनोज कुमार ने 11 जुलाई को इसका आदेश भी जारी कर दिया था। लेकिन लखनऊ विश्वविद्यालय से कालेजों को कोई निर्देश नहीं भेजे गए। लिहाजा, कालेजों में पुराना लागू परीक्षा शुल्क ही लिया गया। इसमें कहीं बीए में 1500 रुपये तो कहीं बीकाम में 2000 रुपये प्रति सेमेस्टर जमा कराया गया।
शासन ने तय किया प्रति सेमेस्टर परीक्षा शुल्क
- बीए, बीएससी, बीकाम, बीबीए, बीसीए, बीएफए, बीएड, बीपीएड, बीजेएमसी, बीएफए, बीवोक-800 रुपये प्रति सेमेस्टर
- एलएलबी, बीएससी एग्रीकल्चर (आनर्स), विधि (आनर्स), बीटेक, बीएससी बायोटेक, बीलिब-1000 रुपये
- बीडीएस, नर्सिंग, बीएएमएस, बीयूएमएस-1500 रुपये
- परीक्षा शुल्क संबंधी आदेश आया है। लेकिन अभी इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है। - प्रोफेसर आलोक कुमार राय, कुलपति, लखनऊ विश्वविद्यालय
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