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बुधवार, 15 फ़रवरी 2023

OPS In CAPF: पुरानी पेंशन पर लंबी लड़ाई को तैयार पैरामिलिट्री परिवार, ओपीएस नहीं दी तो होगा पीएम आवास का घेराव, शहादत पर 25 लाख देकर राम-राम बोल देती है सरकार



 OPS In CAPF: पुरानी पेंशन पर लंबी लड़ाई को तैयार पैरामिलिट्री परिवार, ओपीएस नहीं दी तो होगा पीएम आवास का घेराव, शहादत पर 25 लाख देकर राम-राम बोल देती है सरकार

OPS In CAPF: जंतर-मंतर पर आयोजित प्रदर्शन में विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधियों ने सीएपीएफ में ओपीएस लागू नहीं करने को लेकर नाराजगी जाहिर की। पदाधिकारियों ने कहा, कोई खिलाड़ी ओलंपिक में गोल्ड मेडल ले आता है, तो उसे केंद्र सरकार पांच करोड़ रुपये देती है। सीएपीएफ जवान शहीद हो जाता है, तो सरकार उसके मां-बाप को 25 लाख देकर राम-राम बोल देती है...

केंद्रीय अर्धसैनिक बलों 'सीएपीएफ' में पुरानी पेंशन की बहाली को लेकर विभिन्न राज्यों से आए प्रतिनिधियों ने मंगलवार को जंतर-मंतर पर हुंकार भरी। कॉन्फेडरेशन ऑफ एक्स पैरामिलिट्री फोर्सेस मार्टियरस वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा आयोजित इस प्रदर्शन में पदाधिकारियों का कहना था कि वे पुरानी पेंशन को लेकर लंबी लड़ाई के लिए तैयार हैं। दिल्ली हाई कोर्ट ने अब केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में पुरानी पेंशन बहाली का फैसला दिया है। दूसरी ओर केंद्र सरकार, इस फैसले को लागू करने के मूड में नहीं दिख रही।

 ऐसा लग रहा है कि केंद्र सरकार, दिल्ली हाई कोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी। एसोसिएशन के चेयरमैन एवं पूर्व एडीजी 'सीआरपीएफ' एचआर सिंह ने कहा, अगर केंद्र सरकार, सर्वोच्च न्यायालय में जाती है, तो 'पैरामिलिट्री परिवार', पीएम आवास का घेराव करने से पीछे नहीं हटेंगे।

शहादत पर 25 लाख देकर राम-राम बोल देती है सरकार

जंतर-मंतर पर आयोजित प्रदर्शन में विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधियों ने सीएपीएफ में ओपीएस लागू नहीं करने को लेकर नाराजगी जाहिर की। पदाधिकारियों ने कहा, कोई खिलाड़ी ओलंपिक में गोल्ड मेडल ले आता है, तो उसे केंद्र सरकार पांच करोड़ रुपये देती है। राज्य सरकार भी दो करोड़ रुपये दे देती है। एक प्लाट भी मिलता है और दूसरी कई सुविधाओं का अंबार लगता है। जिसे ये सब मिलता है, वह एक जिंदा व्यक्ति है। दूसरी तरफ सीएपीएफ के जवान को देखें, वह देश के लिए शहीद हो जाता है। वह दोबारा से जीवन में नहीं आ सकता। 

सरकार उसके मां-बाप को 25 लाख देकर राम-राम बोल देती है। यह राशि देकर सरकार कहती है, अब ले जाओ झंडे में लपेटकर अपने लाल को। बहुत से ऐसे कार्य क्षेत्र हैं, जहां पर सीएपीएफ जवान को आर्मी से भी ज्यादा कठोर ड्यूटी करनी पड़ती है। इसके बावजूद केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के जवानों के साथ भेदभाव होता है। फिलहाल सरकार के अगले कदम का इंतजार है। अगर सरकार ने ओपीएस लागू नहीं किया तो बहुत जल्द प्रधानमंत्री आवास का घेराव किया जाएगा।

'एनपीएस' को स्ट्राइक डाउन करने की बात

एसोसिएशन के महासचिव रणबीर सिंह ने कहा, दिल्ली उच्च न्यायालय ने 11 जनवरी को अपने एक फैसले में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों 'सीएपीएफ' को 'भारत संघ के सशस्त्र बल' माना है। इन बलों में लागू 'एनपीएस' को स्ट्राइक डाउन करने की बात कही गई है। अदालत ने अपने फैसले में कहा था, चाहे कोई आज इन बलों में भर्ती हुआ हो, पहले कभी भर्ती हुआ हो या आने वाले समय में भर्ती होगा, सभी जवान और अधिकारी, पुरानी पेंशन स्कीम के दायरे में आएंगे। केंद्र ने अभी तक इस बाबत कोई निर्णय नहीं लिया है। उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को इस फैसले का पालन करने के लिए आठ सप्ताह का समय दिया है। यह अवधि होली के दिन खत्म हो रही है। इन बलों के लिए न तो अर्ध सैनिक कल्याण बोर्ड हैं और न ही अर्ध सेना झंडा दिवस कोष स्थापित किया गया है। इनके बच्चों के लिए अर्धसैनिक स्कूल भी नहीं हैं। सीपीसी कैंटीन को जीएसटी से छूट नहीं मिलती। उक्त मांगों को लेकर एसोसिएशन ने प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा।   

जॉब छोड़ रहे हैं सीएपीएफ के युवा अफसर

सीआरपीएफ के एक्स सहायक कमांडेंट सर्वेश त्रिपाठी ने कहा, आज हमें काला दिवस मनाना पड़ रहा है। 14 फरवरी को ही पुलवामा का आतंकी हमला हुआ था। सीआरपीएफ के 40 जवानों ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया था। सीएपीएफ को तो रोजाना ही लड़ना पड़ रहा है। कभी तो कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ तो कभी नक्सल प्रभावित इलाकों में ऑपरेशन को अंजाम देना पड़ता है। वे अपने परिवार को किसके भरोसे छोड़कर जाते हैं। सीआरपीएफ के एक जांबाज अफसर नितिन भालेराव, जो 2020 में शहीद हुए थे, अब उनकी पत्नी का निधन हो गया है। परिवार में उनकी आठ वर्षीय बेटी बची है। उनकी मदद के लिए कुछ नहीं हो रहा। 

उसकी जिम्मेदारी लेने के लिए कोई तैयार नहीं है। ऐसे मामले में न तो कोई कल्याण बोर्ड है और न ही ऐसा कोई मेकेनिज्म है, जो कल्याण पर ध्यान दे सके। जीएसटी कंटीन पर छूट नहीं मिलती। 'ओजीएएस' यानी संगठित कॉडर का फैसला सुप्रीम कोर्ट से हो चुका है। सरकार ने कैबिनेट की बैठक के बाद उसकी घोषणा कर दी। 2019 के लोकसभा चुनाव के घोषणा पत्र में भी यह मुद्दा शामिल था. मगर अभी तक कुछ नहीं हो सका। 

उसे लागू नहीं किया जा रहा है। दूसरी ओर सीएपीएफ के युवा अफसर जॉब छोड़ रहे हैं। उनकी एक बड़ी दिक्कत पदोन्नति को लेकर है। 15 साल में मुश्किल से पहली पदोन्नति मिल पाती है। एनएफएफयू का फायदा भी सभी को नहीं मिल रहा। अब यह आंदोलन थमेगा नहीं। इस चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ाया जाएगा। केंद्र सरकार को सीएपीएफ बलों की लंबित मांगों को पूरा करना होगा।

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