OPS in CAPF: पुरानी पेंशन लागू कराने के लिए जवानों ने मांगा अफसरों का साथ, बलों में जल्द सुनाई देगी गूंज!
केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में पुरानी पेंशन लागू कराने के लिए अब कंपनी, बटालियन, सेक्टर व फ्रंटियर स्तर पर आवाज सुनाई पड़ेगी। इसके लिए सिपाही से लेकर इंस्पेक्टर स्तर तक के कार्मिकों ने एक खास रणनीति तैयार की है। दिल्ली हाईकोर्ट ने 11 जनवरी को अपने एक फैसले में 'केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को 'भारत संघ के सशस्त्र बल' माना है। केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में एनपीएस को स्ट्राइक डाउन करने की बात कही गई। अदालत ने कहा था, इन बलों में चाहे कोई आज भर्ती हुआ हो, पहले कभी भर्ती हुआ हो या आने वाले समय में भर्ती होगा, सभी जवान और अधिकारी, पुरानी पेंशन के दायरे में आएंगे। जवानों को उम्मीद थी कि केंद्र सरकार, 26 जनवरी को सीएपीएफ में पुरानी पेंशन लागू करने की घोषणा कर सकती है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। विभिन्न बलों के जवानों ने 'ओपीएस' की मांग पर अब अपने अधिकारियों का साथ मांगा है।
एनपीएस को स्ट्राइक डाउन करने की बात
सूत्रों के मुताबिक, इस बाबत सीएपीएफ में एक मैसेज प्रसारित किया जा रहा है। सोशल मीडिया पर कहा गया है कि इन बलों में पुरानी पेंशन लागू कराने के लिए सभी को एक साथ आना होगा। केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में पुरानी पेंशन व्यवस्था को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला दिया था। अदालत ने केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को 'भारत संघ के सशस्त्र बल' मानते हुए इन बलों में से एनपीएस को स्ट्राइक डाउन करने की बात कही थी। इससे पहले केंद्र सरकार, कई मामलों में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को सशस्त्र बल मानने को तैयार नहीं थी। पहली जनवरी 2004 के बाद केंद्र सरकार की नौकरियों में भर्ती हुए सभी कर्मियों को पुरानी पेंशन के दायरे से बाहर कर उन्हें एनपीएस में शामिल कर दिया गया। सिविल कर्मचारियों के साथ सीएपीएफ को भी पुरानी पेंशन से बाहर कर दिया गया। देश में केवल सेना, नेवी और वायु सेना ही सशस्त्र बल माना गया है।
हर दरबार, सैनिक सम्मेलन व वेलफेयर मीटिंग में उठेगा मुद्दा
सीएपीएफ से जुड़े सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार जानबूझकर, दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को लागू करने में देरी कर रही है। राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने संसद में यह मुद्दा उठाने की बात कही है। विपक्ष के दूसरे नेता भी इस संबंध में आवाज उठा रहे हैं। कॉन्फेडरेशन ऑफ एक्स पैरामिलिट्री फोर्सेस मार्टियरस वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा भी लगातार यह मुद्दा उठाया जा रहा है कि सीएपीएफ में अविलंब 'ओपीएस' को लागू किया जाए। चूंकि अब केंद्र सरकार इस मामले में अपना रुख स्पष्ट नहीं कर रही है, इसलिए जवान अपने स्तर पर इस मामले को उठाएंगे। विभिन्न सेक्टरों, ग्रुप सेंटर या बटालियन स्तर पर जो भी दरबार, सैनिक सम्मेलन या वेलफेयर मीटिंग होगी, वहां ये मुद्दा रख जाएगा। जवान, अपनी कंपनी और बटालियन के रोल कॉल में भी इस प्वाइंट को शामिल करेंगे। इसके अलावा सीएपीएफ जवानों के परिजन भी सोशल मीडिया के माध्यम से सरकार के समक्ष ओपीएस लागू करने की मांग रखेंगे। ये सब गतिविधियां, बल के अनुशासन में रहते हुए पूरी होंगी। कैडर अफसरों से आग्रह किया गया है कि वे भी ओपीएस पर जवानों का साथ दें। वजह, दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला लागू होने पर वे भी ओपीएस के दायरे में आ जाएंगे।
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