विद्यालयों का मूल्यांकन कराने में संस्था प्रधान बेपरवाह
बांसवाड़ा. अपने विद्यालय का स्व मूल्यांकन कर ग्रेड करने, विकास योजना का निर्माण कर भौतिक, शैक्षिक एवं सह शैक्षिक सुधार लाकर स्व मूल्यांकन व बाह्य मूल्यांकन के बाद प्रविष्टि को शाला सिद्धि वेब पोर्टल पर अपलोड करने में राजकीय विद्यालयों के संस्था प्रधानों की ढिलाई सामने आई है। प्रदेश में बांसवाड़ा सहित 14 जिले ऐसे हैं, जो स्व मूल्यांकन एवं बाह्य मूल्यांकन में बेपरवाही बरत रहे हैं। राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद के राज्य परियोजना निदेशक एवं आयुक्त ने सभी मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी एवं समग्र शिक्षा के पदेन जिला परियोजना समन्वयकों को पत्र लिखकर सुधार करने के निर्देश दिए हैं। प्रदेश में शैक्षिक सत्र 2022-23 की सूचना अनुसार 63 हजार 172 राजकीय विद्यालयों की ओर से स्व मूल्यांकन का कार्य करने के उपरांत शाला सिद्धि वेब पोर्टल पर अपलोड करना था, किंतु 31 जनवरी तक 44 हजार 476 राजकीय विद्यालयों की ओर से ही स्व मूल्यांकन की प्रविष्टि की गई है। उन्होंने सभी सीडीईओ से शेष रहे विद्यालयों की स्व मूल्यांकन पूर्ण कराने को कहा है, किंतु इसमें शत-प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त होना संभव नजर नहीं आ रहा है।
यह जिले पिछड़े
प्रदेश में मूल्यांकन का राज्य औसत 70.40 प्रतिशत है। इसके बाद भी बांसवाड़ा, बाड़मेर, बारां, जैसलमेर, भरतपुर, धौलपुर, जोधपुर, नागौर, सवाई माधोपुर, दौसा, गंगानगर, प्रतापगढ़, राजसंमद एवं सीकर जिले की प्रगति राज्य औसत से कम है।
बाह्य मूल्यांकन में भी लचर
विभाग ने गत सत्र में राजकीय विद्यालयों में चयनित 21 हजार 456 राजकीय विद्यालयों की ओर से 2021-22 के स्व मूल्यांकन कार्य की समीक्षा के लिए बाह्य मूल्यांकन कराने के निर्देश दिए थे। इसके उपरांत भी अब तक 4 हजार 822 राजकीय विद्यालयों ने बाहय मूल्यांकन कराकर पोर्टल पर इंद्राज किया है। इसें भी जैसलमेर एवं सवाई माधोपुर जिले ने तो कार्य प्रारम्भ ही नहीं किया है। राज्य की औसत प्रगति 22.47 प्रतिशत है और अलवर, बांसवाड़ा, बाड़मेर, बारां, भरतपुर, चितौड़गढ़, दौसा, झुंझुनूं, झालावाड, हनुमानगढ़, गंगानगर, जोधपुर, नागौर, सिरोही, प्रतापगढ़, सीकर, उदयपुर की प्रगति राज्य औसत से अत्यंत न्यून है।
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