Allahabad High Court ने पुलिस भर्ती में नियुक्ति मांगने पर सरकार से तलब की जानकारी
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 313600 पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2018 में सामान्य वर्ग महिला अभ्यर्थी के कटआफ अंक से अधिक अंक पाने के आधार पर नियुक्ति की मांग करते हुए दाखिल याचिका पर राज्य सरकार व पुलिस भर्ती बोर्ड से जानकारी मांगी है। अब याचिका की सुनवाई 25 नवंबर को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने सुषमा चौधरी की याचिका पर दिया है।
सामान्य वर्ग महिला अभ्यर्थी के कटआफ अंक से अधिक
इस याचिका पर अधिवक्ता सुनील चौधरी ने बहस की। इनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने सौरव यादव केस में अपने फैसले में कहा है कि कटआफ से अधिक अंक पाने वाले को नियुक्ति पाने का अधिकार है। हाई कोर्ट ने कुमारी रुचि यादव केस में कहा है कि कटआफ से अधिक अंक पाने वाले को नियुक्ति देने में उपेक्षित नहीं किया जा सकता। याची का कहना है कि महिलाओं का 20 प्रतिशत कोटा है। 306 महिला सीट खाली है। सामान्य महिला अभ्यर्थी का कट आफ अंक 42.584 है, जबकि याची को 162.8995 अंक मिले हैं। अन्य पिछड़ा वर्ग महिला अभ्यर्थी का कटऑफ अंक 167.3889 है। जो सामान्य वर्ग महिला अभ्यर्थी के कटआफ अंक से अधिक है। अभी सीट खाली है, इसलिए याची की नियुक्ति पर विचार किया जाय।
जानलेवा हमले के आरोपित को सात साल सजा
युवक पर जानलेवा हमले करने के दोषी को अपर सत्र न्यायाधीश संतोष कुमार तिवारी ने कड़ी सजा दी है। बुधवार को आए फैसले में दोषी पाए गए बचान पासी निवासी अजगरा रानीगंज लालगंज को सात वर्ष के कठोर कारावास की सजा दी। साथ ही 25 हजार रुपये अर्थदंड से भी दंडित किया है। अर्थदंड की राशि में से बीस हजार घायल दीपांकर को प्रतिकर के रूप में मिलेगी। इस मामले में सुभाष चंद्र ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी। कहा था कि एक अप्रैल 2017 को शाम साढ़े छह बजे रानीगंज अजगरा मार्ग पर सड़क के उत्तर कब्रिस्तान के पास गांव का बचान पासी लोगों को गालियां दे रहा था। सुभाष का पुत्र दीपांकर वहां पहुंचा और कहने लगा कि गाली न दो। इस बात पर बचान नाराज हो गया उसे भी भद्दी-भद्दी गालियां देने लगा। उसने मना किया तो बचान पासी ने जान से मारने के इरादे से चाकू निकालकर वार करने लगा। आवाज सुनकर उसका भाई शुभंकर दौड़कर पहुंचा। बचाव करने की कोशिश की तो बचान पासी ने धमकी दी व मौके से भाग गया। दीपांकर को कई दिन अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा था। इस मुकदमे में राज्य की ओर से पैरवी एडीजीसी रवींद्र बहादुर सिंह ने की।
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