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सोमवार, 27 दिसंबर 2021

नई शिक्षा नीति लागू लेकिन, पढ़ाई पुरानी किताबों से ही हो रही, जानें पुस्तकालयों में नई किताबें क्यों नहीं आ रहीं

 


नई शिक्षा नीति लागू लेकिन, पढ़ाई पुरानी किताबों से ही हो रही, जानें पुस्तकालयों में नई किताबें क्यों नहीं आ रहीं

नई शिक्षा नीति में स्नातक प्रथम वर्ष के कोर्स में संशोधन हो गया। लेकिन, कालेजों के पुस्तकालयों में नए पाठ्यक्रम के हिसाब से किताबें नहीं हैं। जिससे छात्र-छात्राएं बदले पाठ्यक्रम के तहत किताबें कालेजों के पुस्तकालय से नहीं ले पा रहे हैं। प्रथम वर्ष ही नहीं द्वितीय व तृतीय वर्ष के बीए, बीएससी के छात्रों के लिए किताबों का संकट खड़ा हो गया है। जिससे छात्र-छात्राएं पुरानी किताबें ही पढ़ने को मजबूर हैं।

स्नातक प्रथम वर्ष की किताबों में करीब 40 फीसद संशोधन नई शिक्षा नीति के तहत हुआ है। यूजीसी से पांच हजार रुपये प्रति विषय ग्रांट मिलती है। केजीके कालेज की बात करें तो पिछले पांच साल से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की ग्रांट नहीं मिली है। हिंदू कालेज में छात्र संख्या के हिसाब से पांच हजार रुपये की ग्रांट कम पड़ रही है। प्रवेश के वक्त 27 रुपये शुल्क पुस्तकालय का भी शामिल है। जिसमें 14 रुपये किताबें खरीदने और 13 रुपये नए जर्नल, प्रतियोगी किताबें और समाचार पत्र मंगाने के लिए निर्धारित हैं। 14 रुपये प्रति छात्र के हिसाब से केजीके कालेज में करीब एक लाख रुपये पुस्तकालय शुल्क जमा होता है। लेकिन, इन मद से भी किताबें खरीदने पर ध्यान नहीं है।

नई शिक्षा नीति अभी छात्रों की समझ से बाहरः प्रथम सेमेस्टर की पहली मिड टर्म परीक्षाएं हो गईं। आधी-अधूरी तैयारी के साथ मिड टर्म परीक्षाएं बिना किताबों के छात्रों ने दी हैं। पुरानी किताबें भी सभी को जारी नहीं हो रही हैं। यही नहीं नई शिक्षा नीति को समझाने का प्रयास ही नहीं किया गया। नई शिक्षा नीति पर कालेजों में सेमिनार हुए थे, लेकिन सेमिनार शिक्षकों तक ही सीमित रहे। जिससे इस नई नीति को छात्र अभी तक नहीं समझ पाए हैं। अर्थ शास्त्र की नीतियां बदलीं तो उसको नई शिक्षा नीति के तहत पाठ्यक्रम में शामिल किया गया।

खास बातें

  • केजीके में छात्र संख्या : 10500
  • हिंदू कालेज में छात्र संख्या : 14000
  • केजीके कालेज में पुस्तकों की संख्या करीब : 70,000
  • हिंदू कालेज में पुस्तकों की संख्या करीब : 1,00,000
  • पुस्तकालय शुल्क 27 रुपये
  • यूजीसी से हर साल प्रति विषय : 50000 रुपये
  • 10 से 15 दिन के लिए किताबें होती हैं आवंटित

क्या कहते हैं अधिकारीः हिंदू कालेज के प्राचार्य डा. एसएस रावत ने बताया कि पूरी तरह कोर्स में बदलाव नहीं हुआ है। प्रथम वर्ष की किताबों को मंगाने के लिए पुस्तकालय प्रभारी का निरीक्षण करके किताबों के आवंटन की स्थिति चेक करेंगे। साथ ही संशोधन के हिसाब से किताबें भी खरीदाी जाएंगी। नई शिक्षा नीति की जानकारी भी छात्रों में नहीं है। इसको लेकर भी सेमिनार करके नई शिक्षा नीति को छात्रों को जानकारी दी जाएगी।

केजीके कालेज के प्राचार्य डा. सुनील चौधरी ने बताया कि पुस्तकालय में दो तरह की दिक्कत है। प्रथम वर्ष के पाठयक्रम में जोर बदलाव हुआ है, उसके तहत किताबें जितना भी पुस्तकालय फीस में किताबें खरीदने का शुल्क निर्धारित है। उससे नई किताबें खरीदी जाएंगी। दूसरा किताबें आवंटन के बाद जो छात्र नहीं लाैटाते हैं,उन पर जुर्माना बढ़ाया जाएगा। अभी तक 50 पैसे निर्धारित है।

क्या कहते हैं छात्रः गौरव का कहना है कि कई बार प्राचार्य से मिलकर पुस्तकालयों से किताबें जारी नहीं होने की समस्या बताई जा चुकी है। इसके बाद भी ध्यान नहीं दिया जा रहा। पहली मिड टर्म परीक्षाएं बिना किताबों के ही देनी पड़ी। रजत दिवाकर ने बताया कि बाजार में नई शिक्षा नीति के तहत किताबें उपलबध हैं। लेकिन, महंगी होने के कारण हर कोई नहीं खरीद सकता। जब पुस्तकालय फीस वसूली जाती है तो फिर नई किताबें क्यों नहीं खरीदी जातीं।मानवीर विश्नोई का कहना है कि स्नातक प्रथम वर्ष के तहत काफी बदलाव नई शिक्षा नीति के तहत आया है। सबसे ज्यादा दिक्कत प्रथम वर्ष को ही है। इस पर तो कम से कालेज प्रशासन को ध्यान देना चाहिए।अनुभव गुप्ता बताते हैं कि पुस्तकालय में 25 साल पुरानी किताबें भी हैं। जबकि अब शिक्षा में बहुत कुछ बदलाव हुआ है। किताबों के पन्ने भी जर्जर हो चुके हैं, जिन्हें छूने से ही फटने का डर रहता है।


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