CBSE Assessment Scheme: सुप्रीम कोर्ट ने सीबीएसई की मूल्यांकन योजना पर लगाई मुहर, अब नहीं होगा बदलाव
उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि कोरोना महामारी की वजह से कक्षा बारहवीं के जिन विद्यार्थियों की बोर्ड परीक्षा रद्द कर दी गई थी, उन छात्रों के मूल्यांकन के लिए सीबीएसई की मूल्यांकन योजना अंतिम रूप ले चुकी है। इसके साथ ही इस योजना पर सर्वोच्च न्यायालय की स्वीकृति की मुहर भी लग गई है।
सुप्रीम कोर्ट नहीं करेगी पुन: विचार
मूल्यांकन योजना के मुद्दे पर अंतिम मुहर लगाते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि इस मुद्दे पर दोबारा विचार नहीं किया जाएगा। इसलिए सीबीएसई की योजना पर उन याचिकाकर्ताओं को भी चुनौती देने की अनुमति नहीं दी जाएगी, जिन्हें इस योजना या अंकों के मूल्यांकन के संबंधित में कोई शिकायत है।
कोर्ट ने याचिकाकर्ता से क्या कहा?
हम यह स्पष्ट कर रहे हैं कि जहां तक कक्षा बारहवीं के विद्यार्थियों के मूल्यांकन योजना का संबंध है, वह अंतिम रूप ले चुका है। न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील से कहा कि हम उस मुद्दे को फिर से नहीं खोलेंगे। याचिकाकर्ता केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) द्वारा तैयार की गई योजना में निर्धारित अनुपात पर सवाल उठा रहे हैं, जिसे शीर्ष अदालत की मंजूरी मिल गई है और पुनर्विचार के लिए इसी तरह के तर्क पहले खारिज कर दिए गए थे।
क्या थी मूल्यांकन योजना?
17 जून को, शीर्ष अदालत ने काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (CISCE) और सीबीएसई की मूल्यांकन योजनाओं को मंजूरी दी थी, जिसने परिणामों के आधार पर 12 वीं कक्षा के छात्रों के अंकों के मूल्यांकन के लिए 30:30:40 फॉर्मूला अपनाया था। सीबीएसई ने पहले कहा था कि वह थ्योरी के लिए कक्षा 12वीं के छात्रों का मूल्यांकन कक्षा 10वीं के बोर्ड से 30 प्रतिशत, कक्षा 11वीं से 30 प्रतिशत और कक्षा बारहवीं में प्री-बोर्ड, यूनिट और मिड टर्म में प्रदर्शन के आधार पर 40 प्रतिशत अंकों के आधार पर करेगा।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें