UPHJS 2021 : न्यायिक अधिकारी एचजेएस सीधी भर्ती में शामिल नहीं हो सकते
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि उच्चतर न्यायिक सेवा (एचजेएस) सीधी भर्ती में सात साल के वकालत अनुभव के आधार पर न्यायिक अधिकारियों को आवेदन करने का अधिकार नहीं है। वे केवल पदोन्नति से एचजेएस भर्ती में ही अर्जी दे सकते हैं।
कोर्ट ने इसी के साथ वकालत व न्यायिक अधिकारी के रूप में सात साल के अनुभव के आधार पर सीधी भर्ती में शामिल करने की मांग में दाखिल याचिका खारिज कर दी है।यह आदेश न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर एवं न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा के शशांक सिंह व चार अन्य की याचिका पर दिया है।कोर्ट ने कहा उप्र उच्चतर न्यायिक सेवा नियमावली 1975 के अनुसार एचजेएस भर्ती दो तरह (प्रोन्नति व सीधी) से की जाती है। सिविल जज सीनियर डिवीजन प्रोन्नति और सात साल की वकालत व 35 से 45 वर्ष आयु के वकीलों से सीधी भर्ती की जाती है। यह नियमावली संविधान के अनुच्छेद 233 सहित अनुच्छेद 309 में प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग करते हुए बनाई गई है। इसके नियम 5 में स्पष्ट है कि न्यायिक अधिकारी सात साल की वकालत अनुभव पर सीधी भर्ती में चयनित नहीं किए जा सकते।
मामले के तथ्यों के अनुसार एचजेएस भर्ती 2018 के तहत 59 अपर जिला जजों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की गई। तीन फरवरी 2019 को इसके लिए प्रारंभिक परीक्षा हुई। याची यूपी बार कौंसिल से पंजीकृत अधिवक्ता हैं और मध्य प्रदेश में न्यायिक अधिकारी पद पर कार्यरत हैं। याचिका में नियम पांच की वैधानिकता को यह कहते हुए चुनौती दी गई कि न्यायिक अधिकारियों को सीधी भर्ती में शामिल होने पर रोक लगाना मूल अधिकारों का उल्लघंन है। कोई भर्ती केवल वकील के लिए नहीं की जा सकती। साथ ही याची पहले वकील थे, फिर न्यायिक अधिकारी बने। ऐसे में वकालत व न्यायिक अधिकारी के तौर पर सात साल के अनुभव के आधार पर उन्हें सीधी भर्ती में शामिल होने की अनुमति दी जाए।कोर्ट ने कानूनी पहलुओं पर विचार करते हुए राहत देने से इनकार कर दिया और याचिका खारिज कर दी।
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