मुख्यमंत्री जन सुनवाई पोर्टल से दूर हैं उत्तर प्रदेश के ये विश्वविद्यालय, जानें- क्या है वजह
किसी भी संस्थान, विभाग में यदि आपकी सुनवाई नहीं हो रही है तो आप मुख्यमंत्री समंवित शिकायत निवारण प्रणाली के जनसुनवाई एप के माध्यम से शिकायत न केवल दूर होगी बल्कि उसकी समय सीमा का निर्धारण भी कर दिया जाएगा। कोई शिकायतकर्ता इसके माध्यम से शिकायत कर सकता है। पोर्टल से शिकायत में अक्षम व्यक्ति 1076 पर फोन करके भी शिकायत दर्ज कर सकता है। इससे इतर उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों की लापरवाही से राज्य स्तरीय विश्वविद्यालयों को इससे दूर रखा गया है।
लखनऊ में डा.शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय विश्वविद्यालय को पाेर्टल से गायब है तो कानून की पढ़ाई कराने वाला डा.राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय भी पोर्टल पर नजर नहीं आता है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इन विश्वविद्यालयों में कोई गड़बड़ी नहीं होती है? सुनवाई न हाेने पर पोर्टल पर शिकायत क्यों नहीं की जा सकती? इसको लेकर आरटीआइ कायकर्ता सिद्धार्थ ने सरकार सरकार से सूचना अधिकार के तहत जानकारी मांगी है।
शिकायतकर्ता का कहना कि प्रदेश में 28 राज्य विश्वविद्यालय हैं और पोर्टल पर केवल 16 ही नजर आते हैं। प्राविधिक विश्वविद्यालय को तकनीकी विश्वविद्यालय होने का हवाला देकर छोड़ दें तो अन्य विश्वविद्यालय पोर्टल पर क्यों नहीं हैं। सूचना के तहत अभी तक कोई जानकारी नहीं मिली है। सिद्धार्थ का कहना है कि सूचना आयुक्त से भी इस बारे में मुलाकात करेंगे। आम आदमी के लिए बनाई गई इस प्रणाली में भी पारदर्शिता होनी चाहिए।
आइजीआरएस पर पंजीकृत विश्वविद्यालयों पर एक नजर
- एमजेपी रुहेलखंड विश्वविद्यालय, बरेली
- छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर
- डा.भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा
- डा.राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, फैजाबाद
- वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर
- दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय, गोरखपुर
- चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ
- उप्र राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, प्रयागराज
- महात्मा गांधी विद्यापीठ, वाराणसी
- सिद्धार्थ विश्वविद्यालय, सिद्धार्थनगर
- जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय, बलिया
- इलाहाबाद राज्य विश्वविद्यालय, प्रयागराज
- लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ
- इंटीग्रल विश्वविद्यालय, लखनऊ
- संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी
- बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झांसी
- ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ची उर्दू विश्वविद्यालय, लखनऊ
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें