यूपीएससी परीक्षा में आरक्षण सीमा पर याचिका खारिज, एससी सूची में बदलाव के खिलाफ अर्जी पर सुनवाई से इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने सिविल सेवा परीक्षा के एक उम्मीदवार की रिट याचिका पर शुक्रवार को विचार करने से इनकार कर दिया। इसमें यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2020 की अंतिम चयन सूची को 50 फीसदी आरक्षण सीमा का उल्लंघन करने की वजह से रद्द करने की मांग की गई थी। कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए याचिकाकर्ता पर कड़ा जुर्माना लगाने की चेतावनी भी दी। याचिकाकर्ता नीतीश शंकर 2020 की सिविल सेवा परीक्षा में उम्मीदवार थे। उन्होंने दलील दी कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) कोटा लागू करने से कुल आरक्षण 60 फीसदी हो गया है और सामान्य वर्ग के लिए केवल 40 फीसदी पद ही बचे हैं।
एससी सूची में बदलाव के खिलाफ अर्जी पर सुनवाई से इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में अनुसूचित जाति की सूची में फेरबदल करने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है। याचिका में राज्य सरकार के 14 मई 2014 के परिपत्र को निरस्त करने की मांग की गई थी। इस परिपत्र में राज्य सरकार ने राज्य की एससी सूची में कुछ बदलाव कर दिए थे। सरकार ने खटवे जाति को एससी जाति चौपाल के साथ मिला था। इसके बाद एक जुलाई 2015 को तांती/तत्वा को पान/ स्वासी के साथ मिला था जो एससी वर्ग है। याचिकाकर्ता का कहना था राज्य को एससी एसटी सूची में बदलाव करने का अधिकार नहीं है यह काम संसद ही कर सकती है। जस्टिस एस अब्दुल नजीर और कृषण मुरारी की पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर करें।
उम्मीदवारों के चयन में गड़बड़ी का आरोप
याचिका में तर्क दिया गया था कि यूपीएससी ने सामान्य वर्ग के तहत 34.55 फीसदी उम्मीदवारों की नियुक्ति की सिफारिश की है, जबकि आरक्षित वर्ग के तहत 65.44 फीसदी उम्मीदवारों के चयन की सिफारिश की गई है इससे उम्मीदवारों के चयन में गड़बड़ी हुई है। जस्टिस एल नागेश्वर राव की बेंच ने कहा कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण की (103वें संविधान संशोधन के तहत) वैधता के सवाल को एक बड़ी पीठ को सौंपा जा चुका है। पीठ ने कहा कि जब मामला बड़ी पीठ के समक्ष लंबित है, तब याचिकाकर्ता नियुक्तियों को रोकने की मांग नहीं कर सकता।
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