CCSU : यूजी प्राइवेट प्रथम वर्ष बीए, बीकॉम रेगुलर में फंस सकता है पेंच
स्नातक प्रथम वर्ष बीए, बीकॉम रेगुलर में सेमेस्टर सिस्टम और इन्हीं कोर्स में प्राइवेट परीक्षा में केवल वार्षिक प्रणाली का विवाद बढ़ने लगा है। एक ही विषय और विवि में दो तरह की डिग्री और पेपर पैटर्न पर सवाल उठाते हुए राजभवन से हस्तक्षेप की मांग की गई है। प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए दावा है कि विवि के इस परीक्षा पैटर्न से स्नातक रेगुलर कोर्स में छात्रों की संख्या घटेगी और छात्र सीधे परीक्षा फॉर्म भरते हुए केवल तीन महीने में अपनी डिग्री पूरी कर लेंगे।
यह है व्यवस्था
विवि में स्नातक स्तर पर बीए, बीकॉम, जबकि पीजी में एमए, एमकॉम में रेगुलर और प्राइवेट मोड में पढ़ाई की सुविधा है। रेगुलर बीए, बीकॉम 2021 से एनईपी के दायरे में आ गए और सेमेस्टर सिस्टम लागू हो गया। इन दोनों कोर्स में रेगुलर छात्रों को प्रत्येक छह माह में सेमेस्टर परीक्षा और आंतरिक परीक्षा से गुजरना होगा। नियमित कक्षाओं के साथ 75 फीसदी हाजिरी अनिवार्य है। वहीं, दोनों ही कोर्स में प्राइवेट में यह व्यवस्था नहीं है। विवि दिसंबर या जनवरी में सीधे परीक्षा फॉर्म भरवाता है और मार्च में परीक्षा होती है। प्राइवेट मोड में वार्षिक प्रणाली में पेपर की व्यवस्था रखी गई है। यानी छात्र को साल में एक बार ही पेपर देने होंगे। आंतरिक मूल्यांकन और हाजिरी की बाध्यता नहीं है।
इसलिए उठा विवाद
आशीष सिंह द्वारा राजभवन को भेजे प्रत्यावेदन में एक ही विवि में एक ही कोर्स की दो-दो डिग्री पर सवाल खड़े किए गए हैं। प्रत्यावेदन के अनुसार, जब तीन माह में केवल पांच सवालों का जवाब देकर बीए, बीकॉम की डिग्री मिल जाएगी तो छात्र रेगुलर में प्रवेश क्यों लेंगे। दोनों डिग्रियों में विवि ने कोई अंतर भी नहीं रखा है। ऐसे में सेमेस्टर सिस्टम में सालभर मेहनत करने वाला छात्र डिग्री के वक्त प्राइवेट के समकक्ष ही खड़ा हो रहा है। बीए, बीकॉम प्राइवेट प्रथम वर्ष में करीब एक लाख छात्र परीक्षा लेते हैं, जबकि रेगुलर में लगभग इतने ही छात्र प्रवेश।
राजर्षि टंडन विवि भी उठा चुका सवाल
2021 में राजर्षि टंडन मुक्त विवि ने प्रदेश के विभिन्न विवि में प्राइवेट मोड में जारी परीक्षा पर सवाल उठाते हुए राजभवन से रोकने की अपील की थी। राजभवन ने विश्वविद्यालयों को इस पर कार्रवाई को भी कहा, लेकिन सभी विवि ने आर्थिक स्थिति का हवाला देकर इसे बंद करने में असमर्थता जताई थी। हालांकि कार्यपरिषद ने इन कोर्स में गुणवत्ता सुधारने और सतत मूल्यांकन लागू करने को कहा था, लेकिन यह नहीं हो पाया।
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