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शुक्रवार, 7 जनवरी 2022

EWS की आय सीमा 8 लाख रुपये हो या नहीं, सुप्रीम कोर्ट 5 मार्च को करेगा सुनवाई


 

EWS की आय सीमा 8 लाख रुपये हो या नहीं, सुप्रीम कोर्ट 5 मार्च को करेगा सुनवाई

आने वाले वर्षों में आर्थिक रूप से कमजोर ( ईडब्ल्यूएस ) वर्ग के लिए आठ लाख की आय सीमा संबंधी सरकार के क्राइटेरिया की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट दो माह बाद सुनवाई करेगा। 5 मार्च से शीर्ष अदालत नीट-पीजी उम्मीदवारों की उन याचिकाओं पर सुनवाई करेगी जिनमें सरकार द्वारा ईडब्ल्यूएस की आय सीमा आठ लाख रुपये तय करने के पैमाने पर सवाल उठा गया है। उम्मीदवारों का कहना है कि इसे लेकर कोई अध्ययन नहीं किया गया। अंतरिम फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शैक्षणिक वर्ष 2021-22 के लिए नीट पीजी काउंसलिंग में ईडब्ल्यूएस के लिए मौजूदा नियम (8 लाख रुपये सालाना आय और 10 फीसदी आरक्षण ) ही माने जाएंगे। भविष्य में होने वाले नीट पीजी दाखिले ईडब्ल्यूएस आय सीमा पर अदालत के अंतिम फैसले को ध्यान में रखकर ही होंगे।

आपको बता दें कि 29 जुलाई को केंद्र ने नीट यूजी की 15 फीसदी और नीट पीजी की 50 फीसदी ऑल इंडिया कोटा सीटों पर ओबीसी के लिए 27 फीसदी और ईडब्ल्यूएस के लिए 10 फीसदी आरक्षण लागू किया था। ईडब्ल्यूएस आरक्षण आय सीमा के खिलाफ याचिकाओं पिछले वर्ष अगस्त माह में दाखिल की गई थीं। कोर्ट ने केंद्र से ईडब्ल्यूएस आरक्षण नियम पर स्पष्टीकरण मांगा था जिसमें जनरल कैटेगरी के लोगों के लिए 8 लाख रुपये की आय सीमा रखी गई है। इस आरक्षण से उन लोगों को बाहर रखा गया है जिसके पास 5 एकड़ की कृषि भूमि और 1000 वर्ग फीट का घर का है। 

याचिकाकर्ता के वकील अरविंद दातार ने अपनी दलील में कहा, कि आठ लाख रुपए की सीमा ज्यादा है और मनमानी है। इससे उनको फायदा होगा, जो आर्थिक रूप से कमजोर नहीं हैं। जब वे आठ लाख रुपए पर क्रीमी लेयर को बाहर कर रहे हैं तो ईडब्ल्यूएस के लिए आठ लाख रुपए कैसे जायज है। केंद्र सरकार ने आठ लाख रुपए की सीमा को सही ठहराया और कहा कि यह पांच लाख रुपये ही है। लेकिन यदि आठ लाख रुपये सालाना कमाने वाला डेढ़ लाख रुपये की सेविंग कर, डेढ़ लाख रुपए बीमा आदि में लगाता है तो उसे टैक्स नहीं देना पड़ता, इस प्रकार वह ईडब्लूएस में आ जाता है।

केंद्र सरकार के वकील सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, सरकार ने बढ़े हुए आरक्षण को समायोजित करने के लिए हर सरकारी मेडिकल कॉलेज में उसी अनुपात में सीटें बढ़ाई हैं, जिससे इस आरक्षण का किसी वर्ग पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। गुरुवार को मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ और एएस बोपन्ना ने लंबी बहस पर एक वकील से नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि अदालत में कोई ईडब्लूएस नहीं हैं, यहां सीनियर-जूनियर सब बराबर हैं। आप बहस करना चाहते हैं तो हम कल के सुनवाई टाल देते हैं। हम राष्ट्र हित में मामले को जल्द खत्म करना चाहते हैं जिससे काउंसलिंग शुरू हो सके।


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