69000 Teachers Recruitment in UP: भर्ती में रिक्त पदों पर ओबीसी अभ्यर्थियों की नियुक्ति पर हाई कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब
उत्तर प्रदेश में 69 सहायक अध्यापकों की भर्ती में अधिकांश प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी विवाद जारी है। अब मामला रिक्त पदों पर ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों की भर्ती का है। 6800 रिक्त पदों पर ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों की नियुक्ति के शासनादेश के खिलाफ अभ्यर्थी इलाहाबाद हाई कोर्ट की शरण में हैं। कोर्ट ने इस प्रकरण पर सरकार से जवाब मांगा है।
प्रदेश में बेसिक शिक्षा विभाग में 69000 सहायक अध्यापक भर्ती में रिक्त रह गए 6800 पदों पर ओबीसी अभ्यर्थियों की नियुक्ति के खिïलाफ अभ्यर्थी इलाहाबाद हाई कोर्ट की शरण में हैं। इनकी नियुक्ति के लिए पांच जनवरी 22 को जारी शासनादेश को याचिका में चुनौती दी गई है। हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को पूरे मामले की जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव जोशी ने प्रतीक मिश्रा की याचिका पर दिया हैं।
याची के अधिवक्ता अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी का कहना था कि उत्तर प्रदेश सरकार ने 16 मई, 2020 को 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती का विज्ञापन जारी किया था। नियुक्ति प्रक्रिया पूरी हो गई। इसके बाद शासन के संज्ञान में आया कि आरक्षण लागू करने में गलती हुई है। 6800 ओबीसी के पदों पर सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों का चयन कर लिया गया है। इसके बाद शासन ने यह तय किया कि जिन सामान्य अभ्यर्थियों की ओबीसी की सीटों पर नियुक्ति कर ली गई है उनको निकाला नहीं जाएगा। बल्कि उसकी जगह खाली पदों पर 6800 ओबीसी अभ्यर्थियों की अलग से नियुक्ति कर दी जाएगी। इसे लेकर पांच जनवरी 22 को शासनादेश भी जारी कर दिया गया।
प्रतीक मिश्रा ने शासनादेश को चुनौती देते हुए कहा गया है कि बिना विज्ञापन जारी किए नियुक्ति नहीं की जा सकती है। क्योंकि याचीगण भी अर्ह अभ्यर्थी हैं और सहायक अध्यापक बनने की योग्यता रखते हैं। रिक्त पदों को सरकार बिना विज्ञापन जारी किए और नियुक्ति प्रक्रिया अपनाए नहीं भर सकती है। न ही इन रिक्त पदों को पुरानी भर्ती से जोड़ा जा सकता है। इस पर कोर्ट ने प्रदेश सरकार को पूरे मामले की जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है।
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