Breaking

Primary Ka Master Latest Updates | Education News | Employment News latter 👇

सोमवार, 21 फ़रवरी 2022

बेरोजगारों से ठगी करने वाले गिरोह के सरगना सहित तीन गिरफ्तार, मिलिट्री इंटेलिजेंस से मिले इनपुट पर एसटीएफ की कार्रवाई


 

बेरोजगारों से ठगी करने वाले गिरोह के सरगना सहित तीन गिरफ्तार, मिलिट्री इंटेलिजेंस से मिले इनपुट पर एसटीएफ की कार्रवाई   

रेलवे, सेना सहित अन्य सरकारी विभागों में नौकरी के नाम पर बेरोजगारों से करोड़ों रुपये ठगने वाले अंतरराज्यीय गिरोह के मास्टरमाइंड सहित तीन जालसाजों को एसटीएफ वाराणसी यूनिट ने रविवार को विद्यापीठ रोड स्थित भारत माता मंदिर के पास से गिरफ्तार किया।कब्जे से रेलवे, सेना, सिंचाई सहित अन्य विभागों के फर्जी नियुक्ति पत्र, आईडी, मोहर, बैंक फार्म, कूटरचित दस फोटो सहित अन्य कागजात बरामद हुए। आरोपियों को न्यायालय में पेश किया गया, जहां से जेल भेज दिया गया।

एसटीएफ वाराणसी इकाई के एएसपी विनोद कुमार सिंह के अनुसार मिलिट्री इंटेलिजेंस से सूचना मिली कि अंतरराज्यीय गिरोह के जालसाज विभिन्न राज्यों में सरकारी नौकरी दिलवाने के नाम पर बेरोजगारों संग ठगी कर रहे हैं, जिनके खिलाफ सिगरा थाने में धोखाधड़ी समेत अन्य आरोपों में मुकदमा भी दर्ज है।इसके बाद एसटीएफ फील्ड यूनिट के निरीक्षक अनिल कुमार सिंह के नेतृत्व में गठित टीम को सूचना मिली कि गिरोह का मास्टरमाइंड सहित अन्य आरोपी सिगरा थाना अंतर्गत भारत माता मंदिर विद्यापीठ रोड के पास कुछ बेरोजगारों को नौकरी देने के लिए बुलाए हैं।

इस पर घेराबंदी करते हुए एसटीएफ निरीक्षक ने सिगरा इंस्पेक्टर धनंजय पांडेय के सहयोग से मास्टरमाइंड सहित तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया। इनमें मास्टरमाइंड नई दिल्ली के मदनगिरी निवासी अजीत प्रताप सिंह उर्फ अमन सिंह है। इनके अलावा नई दिल्ली मदनगिरी के अंबेडकरनगर निवासी आशु सिंह और कानपुर देहात के साड थाना अंतर्गत अरनज हामी निवासी धर्मेंद्र कुमार गिरोह जुड़े हुए थे।इन सभी के पास से एसटीएफ को सेना से संबंधित दस कागजात, दस रेलवे का फर्जी आईडी कार्ड, एसबीआई बैंक का एक लाख का विड्राल फार्म, तीन भारत सरकार लिखा हुआ लिफाफा, बारह रेलवे के फर्जी नियुक्ति पत्र, आठ विभिन्न विभागों की मोहर, चौदह वर्क रेलवे में नौकरी का फार्म, दस अभ्यर्थियों की फोटो सहित कागजात की छायाप्रति, डायरी, चार मोबाइल अन्य कागजात बरामद हुए।

बेरोजगारों से वसूलते थे पांच से सात लाख रुपये  

एसटीएफ के अनुसार पूछताछ में गिरोह का मास्टरमाइंड अजीत प्रताप सिंह ने बताया कि वह पहले एक प्राइवेट कॉल सेंटर पर नौकरी के दौरान प्राइवेट कंपनियों में नौकरी दिलाने के नाम पर पांच-पांच हजार रुपये लेता था। इसी दौरान इसका संपर्क बिहार और पश्चिम बंगाल के अन्य जालसाजों से हुआ, जो नौकरी दिलाने के नाम पर पहले से ही ठगी का काम करते थे।इन लोगाें ने मिलकर सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने की योजना बनाई। ये लोग विभिन्न स्थानों पर अपने स्थानीय एजेंट विकसित कर उनके माध्यम से इच्छुक अभ्यर्थियों से संपर्क कर इनका विभिन्न सरकारी विभागों में नौकरी के लिये फार्म भरवाते थे। इसके बाद संबंधित अभ्यर्थी का फर्जी एडमिट कार्ड बनाकर जरिये डाक उनके पते पर भेज देते थे।

इसके बाद संबंधित विभाग के परिसर में अभ्यर्थियों को बुलाकर उनको झांसा देते हुए इस गिरोह के सदस्य स्वयं साक्षात्कार लेते थे और इसके बाद इनका मेडिकल संबंधित विभाग के अस्पताल में कराते थे, जिससे कि अभ्यर्थियों को यह विश्वास हो जाये कि उनकी नौकरी सही प्रक्रिया के तहत हो रही है।इस दौरान जालसाज ध्यान रखते थे कि कार्यालय के किसी अधिकारी व कर्मचारी को इन पर संदेह न होने पाये। इसके बाद इन अभ्यर्थियों से पांच से सात लाख रुपये लेकर इनके पते पर फर्जी नियुक्ति पत्र व आईडी बनाकर भेज देते थे।

दो से तीन माह का देते थे प्रशिक्षण

एसटीएफ और सिगरा पुलिस की पूछताछ में जालसाजों ने बताया कि वह संबंधित विभाग के कार्यालय के परिसर के पास किराए पर कमरा लेकर वहां इन अभ्यर्थियों को दो-तीन माह का प्रशिक्षण कराते थे और इसके बाद अभ्यर्थियों के बैंक खाते में इन्हीं के पूर्व में लिये गये पैसे में से तीन माह तक 25-25 हजार रुपये वेतन के नाम पर भेजते थे।

इससे इन अभ्यर्थियों को यह आभास होता था कि उनकी वास्तव में नौकरी मिल गयी है और ये अभ्यर्थी अपने परिचित अन्य अभ्यर्थियों को इनसे मिलवा देते थे। इस तरह से जब ठगी से काफी पैसा एकत्रित हो जाता था, तब यह गायब हो जाते थे।एसटीएफ के अनुसार पूछताछ में पता चला कि सरगना अजीत प्रताप सिंह आर्मी, रेलवे, सिंचाई विभाग आदि में आउटसोर्सिंग के माध्यम से भरे जाने वाले पदों का टेंडर लेने लगा। अभ्यर्थियों से भारी धन लेकर यहां पर रखवा देता था और यह भरोसा दिलाता था कि दो साल काम करने के बाद से यहां पर नियमित रूप से नौकरी लग जाएगी।

जब काफी संख्या में अभ्यर्थी आने लगे तो ये लोग हैदराबाद, नई दिल्ली, कोलकता, भुवनेश्वर आदि जगहों पर अपनी आफिस खोलकर फर्जी तरीके से नौकरी लगवाने लगे। इस तरीके से इस गिरोह ने करोड़ों रुपये कमाए। इनके पास से एक डायरी भी बरामद हुई है, इसमें जिन अभ्यर्थियों के साथ ठगी की गयी है, उनका नाम, पता व विवरण दर्ज है।इसमें दर्ज नाम व पता का सत्यापन किया जा रहा है। सिगरा इंस्पेक्टर धनंजय पांडेय के अनुसार दर्ज मुकदमे के आधार पर गिरोह के अन्य सदस्यों के बारे में और जानकारियां जुटाई जा रही हैं। 


शिक्षा समाचार से अपडेट रहने के लिए ज्वाइन करें हमारा टेलीग्राम चैनल

Join FREE Telegram Channel

वॉट्सएप ग्रुप में जुड़ने के लिए क्लिक करें

Join GovJobsUP WhatsApp Group

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें