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रविवार, 6 फ़रवरी 2022

Lata Mangeshkar: महज एक दिन स्कूल गई थीं लता मंगेशकर, लेकिन मिली थीं छह डॉक्टरेट उपाधि, जानें पूरा मामला

 

Lata Mangeshkar: महज एक दिन स्कूल गई थीं लता मंगेशकर, लेकिन मिली थीं छह डॉक्टरेट उपाधि, जानें पूरा मामला

भारत रत्न से सम्मानित और स्वर कोकिला कही जाने वाली विश्व प्रसिद्ध गायिका लता मंगेशकर अब नहीं रहीं। रविवार, 6 फरवरी, 2022 को 92 साल की उम्र में उन्होंने मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में आखिरी सांसें ली। लता मंगेशकर बीते दिनों कोरोना संक्रमित हुई थीं, इसके बाद से ही उनका इलाज चल रहा था। हालांकि, कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद भी उनकी हालत में सुधार न हो सका और वह दुनिया को अलविदा कह गईं। उनके जाने से देश पूरे देश में शोक की लहर सी आ गई है। 

उपलब्धियों भरा रहा जीवन 

मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में जन्म लेने वाली लता मंगेशकर का पूरा जीवन उपलब्धियों से भरा रहा। बचपन से गाने के शौक और कड़ी मेहनत से उन्होंने जो मुकाम हासिल किए उन्हें एक वाक्य में समेटा नहीं जा सकता। इसलिए कुछ प्रमुख पुरस्कार और सम्मानों की सूची निम्न हैं-: 

  • 1969 में पद्मभूषण से सम्मानित।
  • 1989 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार प्राप्त करने वाली फिल्म इंडस्ट्री की पहली महिला।
  • वर्ष 1974 में लंदन के सुप्रसिद्ध रॉयल अल्बर्ट हॉल में गाने वाली पहली भारतीय गायिका।
  • सन 1974 में दुनिया में सबसे अधिक गीत गाने का 'गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड। 
  • 1999 में विभूषण से सम्मानित।
  • 2001 में देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित।
  • 2001 में महाराष्ट्र रत्न से सम्मानित।
  • 36 भाषाओं में 30,000 से अधिक गाने गाएं।
  • 1984 में मध्य प्रदेश सरकार ने उनके नाम पर संगीत का पुरस्कार रखा।

इन पुरस्कारों के अलावा उन्हें फिल्म जगत और दुनियाभर के संस्थानों से कई अन्य बड़े पुरस्कार भी प्राप्त हुए थे। 

केवल 1 दिन ही गईं स्कूल

उपल्ब्धियों का यह सफर लता मंगेशकर के लिए शुरू से इतना आसान नहीं रहा था। खबरों के अनुसार वह केवल एक दिन के लिए ही स्कूल गईं थी। दरअसल, जब वह स्कूल में अपनी छोटी बहन आशा भोसलें को लेकर पहुंचीं तो स्कूल के हेडमास्टर ने उन्हें (आशा भोसलें) यह कहकर निकाल दिया, कि उन्हें भी स्कूल की फीस जमा करनी होगी। इस दिन के बाद लता मंगेशकर ने कभी स्कूल न जाने का फैसला किया। हालांकि, एक समय ऐसा भी आया जब उनकी पहचान के दम पर न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय समेत 6 विश्वविद्यालयों ने उन्हें डॉक्टरेट की मानद उपाधि दी। 

शुरुआती दिनों में रिजेक्ट भी हुईं

देश की स्वर कोकिला कही जाने वालीं लता मंगेशकर को शुरूआती दिनों में रिजेक्ट भी होना पड़ा था। कई बार उनकी आवाज को पतला बताकर नापसंद कर दिया गया था। हालांकि, उन्होंने हिम्मत न हारते हुए अपनी मेहनत के दम पर कई मुकाम हासिल किए।  


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