Supreme Court: भर्ती प्रक्रिया के दौरान उम्मीदवार को नहीं मिल सकती शिकायत निवारण की अनुमति
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक अपील पर सुनवाई करते हुए कहा कि किसी उम्मीदवार को भर्ती की प्रक्रिया के दौरान किसी चरण में शिकायत निवारण ते लिए संपर्क करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एम. एम. सुंदरेश की पीठ ने इसके पीछे का कारण बताते हुए कहा कि भर्ती प्रक्रिया को कभी न कभी बंद करना ही होता है। इस कारण उम्मीदवार को किसी चरण में उसकी ओर से दर्ज कराई गई शिकायत के निवारण ते संपर्क करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। भले ही उसकी शिकायत सही क्यों न हो।
7 सालों तक किया नियुक्ति पत्र का इंतजार
पीठ एक अपीलकर्ता की अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसने साल 1999 में उपसहायक अभियंता के पद पर आवेदन किया था। अपीलकर्ता ने मेडिकल परीक्षा पास कर ली थी, लेकिन पुलिस वेरिफिकेशन रिपोर्ट के आने में देरी के कारण उसे नियुक्ति नहीं मिल पाई थी। अपीलकर्ता ने बताया कि उसने 7 सालों तक नियुक्ति पत्र का इंतजार किया, इसके बाद राज्य प्रशासनिक न्यायाधिकरण का दरवाजा खटखटाया। अपीलकर्ता ने बताया कि न्यायाधिकरण की ओर से राहत न मिलने के बाद उसने कलकत्ता हाईकोर्ट में अपील की थी। यहां उसकी अपील यह कहकर खारिज कर दी गई थी कि वह बांग्लादेशी नागरिक है।
सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की अपील
सुप्रीम कोर्ट ने अपील को खारिज करते हुए कहा कि भर्ती का विज्ञापन साल 1999 में जारी किया गया था और अब साल 2022 आ चुका है। इतना लंबा समय खुद में ही अपीलकर्ता को राहत देने की दिशा में एक बाधा है। पीठ ने कहा कि अपीलकर्ता की यह दलील नहीं मानी जा सकती की उसने सात साल तक नियुक्ति पत्र का इंतजार किया और इसके बाद राज्य प्रशासनिक न्यायाधिकरण का रुख किया। पीठ ने कहा कि हम अपीलकर्ता की ओर से सवाल खड़े किए जाने वाले पुलिस सत्यापन रिपोर्ट की तथ्यात्मक शुद्धता पर कोई टिप्पणी नहीं कर रहे हैं। इस अपील को खारिज किया जा रहा है।
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