40,765 बच्चों को नहीं मिली ड्रेस व स्वेटर की धनराशि
सुल्तानपुर। सर्दी का मौसम खत्म हो गया है। शिक्षण सत्र बीतने में भी कुछ दिन ही शेष हैं। जिले के परिषदीय, राजकीय एवं सहायता प्राप्त विद्यालयों में अध्ययनरत कक्षा एक से आठ तक के 40,765 बच्चों को ड्रेस, स्वेटर, जूता-मोजा और स्कूल बैग मिलने की आस पूरी नहीं हो पाई है। ये बच्चे अभी भी डीबीटी के लाभ से वंचित हैं।
सरकार की योजनाओं के संचालित की बानगी परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों के ड्रेस स्वेटर और बैग के लिए दी जाने वाली धनराशि में देखने को मिल रही है। सर्दी का मौसम खत्म हो गया है लेकिन बच्चों को यूनिफॉर्म और स्वेटर नसीब नहीं हो सका है। वहीं, शैक्षिक सत्र 2021-22 का भी अंतिम महीना चल रहा है। इसके बावजूद 40,765 बच्चे अभी भी यूनिफॉर्म, स्वेटर, जूता-मोजा और स्कूल बैग का पैसा नहीं पा सके हैं। इस बार सरकार ने बच्चों को दिए जाने वाले यूनिफॉर्म, स्वेटर, स्कूल बैग और जूता-मोजा के वितरण की व्यवस्था बदल दी थी। स्कूल में वितरित होने वाली इन सामग्रियों का पैसा सीधे अभिभावकों के खाते में भेजने की योजना बनाई गई थी।
सितंबर माह से ही इस योजना पर काम करने के लिए डीबीटी एप लांच किया गया था। इस एप के जरिए विद्यार्थियों व उनके अभिभावकों का डाटा बैंक खाते के विवरण के साथ फीड कराया जा रहा था। उम्मीद थी कि सर्दी शुरू होने से पहले बच्चों को ड्रेस, स्वेटर व जूता-मोजा मिल जाएगा। जिले में आठवीं कक्षा तक पढ़ने वाले 40,765 बच्चों के अभिभावकों के खाते में अब तक 1100 रुपये की धनराशि नहीं पहुंच पाई है। बच्चों ने पूरी सर्दी पुराने यूनिफॉर्म या अन्य कपड़ों और बिना जूते-मोजे के ही गुजार दी है। इन्हें किताबें ले जाने के लिए नया बैग भी नहीं मिल सका। कपड़े के झोले या पॉलिथीन में बच्चे पाठ्य सामग्री लेकर स्कूल जाते देखे जा सकते हैं।
2,77,904 विद्यार्थी हैं पंजीकृत
जिले के परिषदीय प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक, सहायता प्राप्त और राजकीय विद्यालयों में कक्षा एक से आठ तक के 2,77,904 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। इन विद्यार्थियों में से 2,37,139 को अब तक डीबीटी का लाभ दिया जा चुका है। 40,765 विद्यार्थी ऐसे हैं, जिनके अभिभावकों के खाते में पैसा अभी तक नहीं पहुंच पाया है। जिला समन्वयक एमआईएस धर्मेश गुप्ता ने बताया कि डीबीटी से वंचित विद्यार्थियों के खाते में धनराशि भेजे जाने की प्रक्रिया चल रही है। जल्द ही शेष विद्यार्थियों के अभिभावकों के खाते में भी पैसा पहुंच जाएगा।
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