लखनऊ हाईकोर्ट का यूपी सरकार से सवाल:प्राइवेट स्कूलों की फीस बढ़ाने पर लगी रोक हटाने पर विचार करने में देर क्यों कर रही
प्राइवेट स्कूलों की फीस बढ़ाने पर रोक हटाने को लेकर लखनऊ हाईकोर्ट ने बुधवार को कड़ी नाराजगी जताई है। कोर्ट ने यूपी सरकार से पूछा है कि प्राइवेट स्कूलों की फीस बढ़ाने पर रोक हटाने पर अभी तक फैसला क्यों नहीं लिया? कोर्ट ने इस बाबत 16 फरवरी को आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा कि सरकार का दायित्व है कि वह कोर्ट के आदेश पर विचार करे। कोर्ट ने कहा कि उसे विश्वास है कि अगली सुनवाई तक सरकार उसके पिछले निर्देश पर विचार करके उसे अवगत कराएगी। मामले की अगली सुनवाई 11 अप्रैल को होगी।
यह आदेश जस्टिस एआर मसूदी और जस्टिस एनके जौहरी की पीठ ने एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट स्कूल्स ऑफ यूपी के अध्यक्ष अतुल राय और एक अन्य की याचिका पर दिया।
16 फरवरी को कोर्ट ने यह कहा था
16 फरवरी को याचिका पर सुनवाई करके कोर्ट ने कहा था कि 11 फरवरी को शासनादेश पारित करते हुए स्कूलों को खोलने के निर्देश दिए गए हैं। लिहाजा अब फीस वृद्धि पर लगी रोक को हटाने पर भी सरकार को विचार करना चाहिए। याची ने प्राइवेट स्कूलों की फीस इस साल भी न बढ़ाने संबंधी 7 जनवरी, 2022 के शासनादेश को चुनौती दी है। याचिका में सरकार के 7 जनवरी के शासनादेश को खारिज करने की मांग की गई है। दलील दी गई थी कि यह शासनादेश शैक्षिक संस्थानों के संवैधानिक अधिकारों का हनन कर रहा है।
फीस बढ़ाने पर लगी रोक पर फिर विचार हो
याचियों की ओर से दलील दी गई कि अब सरकार ने 11 फरवरी के शासनादेश के जरिए स्कूलों को खोलने का आदेश दिया है। इसका मतलब है कि हम सामान्य जीवन में लौट आए हैं। इसलिए सरकार को प्राइवेट स्कूलों के फीस बढ़ाने पर लगी रोक पर भी पुर्नविचार करना चाहिए। कोर्ट ने याची पक्ष की इस दलील को सही माना था।कोर्ट ने कहा कि 1 अप्रैल से नए अकादमिक सत्र की शुरुआत होनी है। इसके पहले प्राइवेट स्कूलों को फी स्ट्रक्चर भी प्रकाशित करना है। इसके प्रकाशन के बाद बच्चों के माता-पिता की यदि आपत्तियां आती हैं, तो उन पर भी विचार करना है। कोर्ट ने इन टिप्पणियों के साथ 16 फरवरी को कहा था कि हम उम्मीद करते हैं कि सरकार शुल्क वृद्धि पर लगी रोक को हटाने पर विचार करेगी।
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