लंबित पड़ी हैं शिक्षकों की कई समस्याएं, खाते में वेतन नहीं दिलवा पाई सरकार
प्रदेश के नए उच्च शिक्षा मंत्री के सामने कई चुनौतियां होंगी। कुछ ऐसे भी मुद्दे अभी तक लंबित हैं, जिन पर विधानसभा चुनाव से पहले ही फैसला होने की उम्मीद जताई जा रही थी। शिक्षकों की सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाए जाने और प्रोफेसर पद पर प्रोन्नति से संबंधित शासनादेश में संशोधन की मांग सबसे बड़ा मुद्दा बनी हुई है।
प्रदेश सरकार ने स्ववित्तपोषित महाविद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों व कर्मचारियों को बैंक खाते में वेतन दिए जाने का शासनादेश तो जारी कर दिया लेकिन उस पर अमल नहीं करा सकी। प्रदेश में पांच हजार के करीब स्ववित्तपोषित महाविद्यालय हैं। इनमें लगभग पचास हजार के करीब शिक्षक कार्यरत हैं। इन शिक्षकों को कम वेतन दिए जाने और सेवा शर्तों का पालन न किए जाने की शिकायतें अक्सर मिलती रहती हैं। विधान परिषद में शिक्षक विधायकों द्वारा यह मामला उठाए जाने के बाद सरकार ने शासनादेश जारी किया था। इस शासनादेश पर अमल करा पाना अभी भी चुनौती बनी हुई है।प्रोन्नति की पेंचीदगी दूर कराना चाहते हैं शिक्षक
महाविद्यालयों के शिक्षक प्रोफेसर पद पर प्रोन्नति के लिए लगाई गई शर्तों से परेशान हैं। प्रोन्नति की प्रक्रिया शुरू होने के बाद भी शिक्षक शासनादेश में संशोधन कराने जाने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि इस शासनादेश से उनकी वरिष्ठता का भी नुकसान हो रहा है। इसके तहत कोई भी शिक्षक शासनादेश की तिथि यानी वर्ष 2021 से ही प्रोफेसर पद पर प्रोन्नत हो सकता है, जबकि उसकी अर्हता वर्षों पूर्व से है। इसी तरह उन्हें ऐसी योग्यताएं हासिल करनी हैं, जिसके बारे में उन्हें पहले पता भी नहीं था।
पीएचडी इंक्रीमेंट का प्रस्ताव भी लंबित
पीएचडी उपाधि के साथ असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर नियुक्त होने वाले शिक्षकों को स्पेशल इंक्रीमेंट देने का प्रस्ताव भी शासन स्तर पर लंबित है। तत्कालीन उच्च शिक्षा मंत्री इसकी घोषणा भी कर चुके थे। इसी तरह सेवानिवृत्ति की उम्र 62 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष किए जाने की मांग भी लंबित है। यूजीसी की सिफारिशों के आधार पर केंद्रीय विश्वविद्यालयों समेत कई राज्यों में सेवानिवृत्ति की उम्र 65 वर्ष की जा चुकी है।
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