पहल: केंद्र सरकार ने लिया वॉलंटियर सेवा शुरू करने का फैसला, महामारी में पढ़ाई के नुकसान को पूरा करेगा ‘विद्यांजलि’
कोविड-19 महामारी के कारण शहरी और ग्रामीण इलाकों में पढ़ाई का काफी नुकसान हुआ है। कमजोर वर्ग के छात्रों के पास ऑनलाइन पढ़ाई के साधन नहीं थे, कई परिवार बेरोजगारी के कारण बच्चों को नहीं पढ़ा पाएं तो कुछ तकनीक से वाकिफ न होने के कारण पिछड़ गए। ऐसे छात्रों की मदद के लिए, नई शिक्षा नीति के तहत समग्र और बहुविषयक शिक्षा को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने ‘विद्यांजलि’ कार्यक्रम के तहत वॉलंटियर सेवा शुरू करने का फैसला किया है।
इसके लिए उच्च शिक्षण संस्थानों में 5 हजार कोचिंग सेंटर भी शुरू किए जाएंगे। यहां पर आर्थिक, सामाजिक रूप से कमजोर वर्ग के अलावा अन्य छात्रों को विभिन्न विषयों में निपुण करवाया जाएगा। खास बात यह है कि नेशनल एजूकेशन एलायंस फॉर टेक्नोलॉजी (नीट) के तहत आर्थिक व सामाजिक रूप से पिछड़े वर्ग के छात्रों के लिए 25 फीसदी सीटें मुफ्त रखी जाएंगी ।
यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालयों को लिखा पत्र
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के सचिव प्रो. रजनीश जैन की ओर से राज्यों और सभी विश्वविद्यालयों व उच्च शिक्षण संस्थानों को इस विद्याजंलि योजना को आगामी शैक्षणिक सत्र 2022-23 से लागू करने के लिए पत्र लिखा गया है। योजना की गाइडलाइन एआईसीटीई के विशेषज्ञों ने तैयार की है। योजना यूजीसी रेग्यूलेशन 2018 के सेक्शन 17 के तहत (कोड ऑफ प्रोफेशनल एथिक्स) और यूजीसी रेग्यूलेशन 2018 में लागू होगी।
आम लोग दे सकते हैं सहयोग
अभी तक विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और उच्च शिक्षण संस्थानों में इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए सरकार की ओर से यूजीसी बजट देता है। हालांकि इस योजना में अब आम लोग विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों में लैब, डिजिटल व इलेक्ट्रिकल इक्विपमेंट आदि देकर भी मदद कर सकते हैं। किसी के घर में जन्मदिन, शादी की सालगिरह आदि कार्यक्रम को यादगार करने के लिए शिक्षण क्षेत्र में इस प्रकार सेवा सहयोग दे सकते हैं। इसमें किताबें, फर्नीचर, ब्लैकबोर्ड, कंप्यूटर, स्कॉलरशिप आदि शामिल हैं।
छात्र के वॉलंटियर बनने पर मिलेंगे क्रेडिट
आम लोगों और प्रोफेशनल के अलावा इन विषयों में होनहार छात्र भी वॉलंटियर के रूप में सेवाएं दे सकते हैं। यूजीसी और एआईसीटीई 45 घंटे की वॉलंटियर सेवा देने पर छात्रों को एक क्रेडिट स्कोर देने के संबंध में गाइडलाइन बनाएंगे। एक अकादमिक वर्ष में अधिकतम तीन क्रेडिट स्कोर मिल सकेंगे।
तक्षशिला और नालंदा की शिक्षण पद्धति की दिखेगी झलक
आगामी शैक्षणिक सत्र से शुरू हो रहे चार वर्षीय डिग्री प्रोग्राम में छात्र को किताबी ज्ञान के साथ-साथ बाणभट्ट की कादंबरी के तहत 64 कलाओं की पढ़ाई एक साथ करवाना है, जिसमें 64 कलाओं की पढ़ाई एक साथ कराई जाती हैै। इसमें गायन, पेंटिंग, केमिस्ट्री, गणित, कारपेंटरी, क्लॉथ मेकिंग आदि शामिल हैं। इसके अलावा तक्षशिला और नालंदा की शिक्षण पद्धति को आधुनिक तरीके से शामिल किया जा रहा है। इसमें समग्र व बहुविषयक ज्ञान को शामिल किया है।
वॉलंटियर देश व समाज के लिए देंगे योगदान
रिटायर्ड फैकल्टी या वर्तमान में कार्यरत, पूर्व वैज्ञानिक, पूर्व सैनिक, स्वरोजगार या किसी संस्थान में कार्यरत प्रोफेशनल, एनआरआई, एनसीसी, एनएसएस कैडेट वॉलंटियर आधार पर सेवा दे सकते हैं। इसका मकसद है कि रिटायरमेंट के बाद या अपनी नौकरी या काम के साथ विभिन्न क्षेत्रों के प्रोफेशनल देशसेवा के नाम पर शिक्षण में अपना योगदान दे सकते हैं। शिक्षण संस्थानों में ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाए जाएंगे, जहां पर उक्त वॉलंटियर सहयोग देंगे।
ऐसे करवाएंगे पढ़ाई
वॉलंटियर जेनरिक सर्विस/एक्टिविटी : अकादमिक विषय, योग, खेलकूद, भाषा ज्ञान, वोकेशनल स्किल, कैरियर काउंसलिंग।
बिल्डिंग प्रोग्राम, स्पांसरशिप/एंडोमेंट : रिसर्च, लैबोरेटरी, कंसलटेंसी, चेयर स्थापित करना, मेडल और स्कॉलरशिप देना, इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए सामान, सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, डिजिटल पढ़ाई के लिए इक्विपमेंट, इंक्यूबेशन सपोर्ट, इंटर्नशिप, इंडस्टी मान्यता, मार्केटिंग आदि एरिया में मदद करेंगे। इसके अलावा गेस्ट लेक्चर, ट्यूशन, छात्रों को प्रशिक्षण देकर जैसे वर्चुअल रियल्टी, मीडिया-एंटरटेनमेंट, टेक्नोलॉजी, मशीन लर्निंग, रोबोटिक्स, डाटा साइंस आदि क्षेत्रों में उद्योगों की जरूरतों के अनुसार प्रशिक्षण दे सकते हैं। वहीं, व्यक्तिक विकास (पर्सनालिटी डेवलपमेंट) के तहत भाषा और सॉफ्ट स्किल ट्रेनिंग मेंटर या कोच बनकर सलाह देना, शिक्षकों को प्रशिक्षित करना भी शामिल है।
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