सुप्रीम कोर्ट ने कहा, पद खाली होने से नहीं मिल जाता प्रमोशन
केवल इस आधार पर किसी कर्मचारी को पीछे की तारीख से प्रमोशन नहीं दिया जा सकता है कि वह पद पहले से खाली था। सुप्रीम कोर्ट ने प्रमोशन के एक मामले में सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। शीर्ष अदालत ने कहा कि जिन पदों पर नियुक्ति के लिए नियम अलग-अलग हैं, पदोन्नति की स्थिति में उन्हें एक नहीं माना जा सकता है। जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
दिल्ली हाई कोर्ट ने जूनियर एडमिनिस्ट्रेटिव ग्रेड (जेएजी)-1 पर पदोन्नति के एक मामले में 2014 में याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला दिया था। फैसले में हाई कोर्ट ने एक याचिकाकर्ता को कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग द्वारा 2012 में जारी सर्कुलर के तहत लाभ का पात्र माना था। इस सर्कुलर में कहा गया था कि सेवा मुक्ति के समय पदोन्नति की योग्यता वाला कर्मचारी बढ़े हुए वेतन का हकदार होगा। वहीं एक अन्य याचिकाकर्ता के मामले में हाई कोर्ट का कहना था कि पद पहली अक्टूबर, 2009 से खाली था, जबकि याचिकाकर्ता को पहली जुलाई, 2011 से पदोन्नत माना गया। इस देरी का कोई कारण स्पष्ट नहीं है। कर्मचारी को 2009 से ही पदोन्नत माना जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नियमों में कोई अस्पष्टता नहीं है। जेएजी-1 को केवल जेएजी-2 का अपग्रेडेशन नहीं माना जा सकता है। इन पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया एवं योग्यता के मानक अलग हैं। केवल इस आधार पर किसी को पदोन्नत नहीं किया जा सकता है कि ऊपर वाला पद खाली है। योग्यता एवं अन्य मानकों के आधार पर ही पदोन्नति का फैसला हो सकता है। पद कब से खाली है, इसे आधार बनाकर कोई भी पिछली तारीख से अपने लिए पदोन्नति की मांग नहीं कर सकता है।
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