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मंगलवार, 1 मार्च 2022

UP Election 2022 : आज थम जाएगा छठे चरण का चुनाव प्रचार, 10 जिलों की 57 सीटों पर 3 मार्च को डाले जाएंगे वोट



 UP Election 2022 : आज थम जाएगा छठे चरण का चुनाव प्रचार, 10 जिलों की 57 सीटों पर 3 मार्च को डाले जाएंगे वोट

छठे चरण का चुनाव प्रचार मंगलवार को थम जाएगा। इस चरण में 3 मार्च को 10 जिलों की 57 सीटों पर मतदान होगा। जिन जिलों में चुनाव होने हैं छठे चरण में अंबेडकरनगर, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, बस्ती, संतकबीर नगर, महराजगंज, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया व बलिया में मतदान होगा।मुख्य निर्वाचन अधिकारी अजय कुमार शुक्ला ने बताया कि कटेहरी, टांडा, आलापुर (सु), जलालपुर, अकबरपुर, तुलसीपुर, गैंसड़ी, उतरौला, बलरामपुर (सु), शोहरतगढ़, कपिलवस्तु (सु), बांसी, इटवा, डुमरियागंज में मतदान होगा।

इसके अलावा हरैया, कप्तानगंज, रूधौली, बस्ती सदर, महादेवा (सु), मेंहदावल, खलीलाबाद, धनघटा (सु), फरेंदा, नौतनवा, सिसवा, महराजगंज (सु), पनियरा, कैंपियरगंज, पिपराइच, गोरखपुर शहर, गोरखपुर ग्रामीण, सहजनवा, खजनी (सु), चौरी-चौरा, बांसगांव (सु), चिल्लूपार, खड्डा, पडरौना, तमकुही राज, फाजिलनगर, कुशीनगर, हाटा, रामकोला (सु), रूद्रपुर, देवरिया, पथरदेवा, रामपुर कारखाना, भाटपार रानी, सलेमपुर (सु), बरहज, बेल्थरा रोड, रसड़ा, सिकंदरपुर, फेफना, बलिया नगर, बांसडीह और बैरिया में मतदान होगा।इन जिलों के 2.14 करोड़ से अधिक मतदाता 676 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे। 

योगी, लल्लू और रामगोविंद की प्रतिष्ठा दांव पर

इस चरण में जिन प्रमुख प्रत्याशियों की किसमत दांव पर है उसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राज्य सरकार में मंत्री सतीश द्विवेदी, सूर्य प्रताप शाही, उपेंद्र तिवारी, श्रीराम चौहान व राम स्वरूप शुक्ला मुख्य हैं। इनके अलावा नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी, विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय, बसपा छोड़ सपा में आए लालजी वर्मा, राम अचल राजभर, पूर्व मंत्री राममूर्ति वर्मा, राज किशोर सिंह, स्वामी प्रसाद मौर्य, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू समेत कई अन्य दिग्गज शामिल हैं। 

विधानसभा चुनाव अब समापन की ओर बढ़ चला है। शेष बचे दो दौर के चुनाव में कई क्षत्रप ऐसे हैं जो सालों से जीतते चले आ रहे हैं। वर्ष 2017 में चली भाजपा की आंधी में भी वे अपना गढ़ बचाए रखने में कायम रहे थे। यह बात अलग है कि तीन चुनावों से लगातार जीतने वाले सपा के वरिष्ठ नेता माता प्रसाद पांडेय इटवा में भाजपा के सतीश चंद्र द्विवेदी से हार गए। बसपा छोड़ भाजपा और फिर सपा में आए स्वामी प्रसाद मौर्य की प्रतिष्ठा भी इस बार दांव पर है।

सीट बदलने का कितना मिलेगा फायदा

फाजिलनगर सीट से भाजपा से सपा में आए स्वामी प्रसाद मौर्य चुनाव लड़ रहे हैं। इसके पहले वह दो बार 2012 व 2017 में पडरौना सीट से विधायक चुने गए। पहली बार बसपा तो दूसरी बार भाजपा से विधायक बने। फाजिलनगर सीट पर लगातार दो बार 2012 व 2017 में भाजपा का कब्जा रहा है। अब देखना होगा स्वामी प्रसाद भाजपा का विजय रथ रोकने में कितना कामयाब होते हैं। सोहरतगढ़ की इटावा विधानसभा सीट सपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बनी है। माता प्रसाद पांडेय वर्ष 2002 से 2012 तक लगातार तीन बार जीते, लेकिन वर्ष 2017 में वह हार गए। माता प्रसाद पांडेय इस बार फिर सपा से और सतीश चंद्र द्विवेदी भाजपा से मैदान में हैं।

अंबेडकरनगर की चार सीटें अहम

अंबेडकरनगर की कटेहरी सीट बसपा की गढ़ मानी जाती रही है। यहां से पांच बार बसपा व एक बार 2012 में सपा के शंखलाल मांझी और वर्ष 1991 में भाजपा जीती। पिछला चुनाव बसपा से लालजी वर्मा जीते थे इस बार वह सपा से मैदान में हैं। जलालपुर अब तक केवल एक बार 1996 में भाजपा जीती है। इसके अलावा पांच बार बसपा और वर्ष 2012 में सपा जीती। टांडा में वर्ष 2017 में पहली बार भाजपा जीती है। इसके पहले चार बार बसपा 1993 से 2007 तक और 2012 में सपा जीती। अकबरपुर सीट भी बसपा के खाते में पांच बार जा चुकी है। इसलिए बसपा के लिए यह चारों सीटें अहम मानी जा रही हैं।

रसड़ा सीट भाजपा के लिए चुनौती

बलिया की रसड़ा विधानसभा सीट से लगातार दो बार से बसपा के उमा शंकर चुनाव जीत रहे हैं। उमाशंकर की प्रतिष्ठा का सवाल है, तो भाजपा के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। बलिया की सिकंदरपुर सीट पर अब तक एक बार सिर्फ भाजपा 2017 में चुनाव जीती है। सपा इस सीट पर तीन बार चुनाव जीत चुकी है। भाजपा के सामने जीत बरकरार रखने की चुनौती है। बलिया की बांसडीह से सपा के राम गोविंद चौधरी लगातार दो बार से 2012 व 2017 से चुनाव जीतते आ रहे हैं। भाजपा वर्ष 1974 से आज तक एक भी चुनाव नहीं जीत पाई है। 


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