सीबीएसई की टेली काउंसिलिंग में रोज इससे संबंधित 120 से 125 कॉल आ रही , बच्चों में बढ़ा गुस्सा, चिड़चिड़ापन और जिद
कोरोना काल में स्कूल बंद रहे तो बच्चों की रूटीन बदल गयी। उनकी जिंदगी मोबाइल तक सिमट गयी। ऑनलाइन कक्षाएं सुबह से देर शाम तक चलती रहीं। ऐसे में इस रूटीन की उन्हें आदत लग गयी। अब जब स्कूल खुले हैं तो सुबह उठना, स्कूल जाना, घर आकर होमवर्क करना फिर से शुरू हो गया है। इन सबसे अब तक दूर रहे बच्चों के स्वभाव में चिड़चिड़ापन आ गया है। परेशान अभिभावक सीबीएसई की टेली काउंसिलिंग में सलाह ले रहे हैं।
सीबीएसई काउंसिलर प्रमोद कुमार कहते हैं,पहले रोज 65 से 100 अभिभावकों के फोन आते थे। इसमें 15 से 20 फोन बच्चों के स्वभाव में बदलाव, गुस्सा, चिड़चिड़ापन आदि को लेकर होते थे। अभी रोजाना 200 से 250 फोन आ रहे हैं, जिसमें बच्चों के स्वभाव में बदलाव से संबंधित 120 से 125 तक कॉल होती है। यह स्थिति एक शहर या कस्बे की नहीं, बल्कि सभी जिलों की है। 10वीं व 12वीं बोर्ड परीक्षा को लेकर टेली काउंसिलिंग जुलाई तक चलेगी।
बात मनवाने को झूठ का भी सहारा
सेंट जेवियर्स हाईस्कूल के प्राचार्य फादर किस्ट्रू ने बताया कि बच्चों में गंभीरता कम हो गयी है। डॉनबास्को एकेडमी की प्राचार्य मेरी अल्फांसो कहती हैं कि अपनी बात मनमाने को बच्चे अभिभावक और शिक्षक से झूठ भी बोलने लगे हैं।
जांच के बाद डॉक्टरों ने भी दिया फीडबैक
ऑफलाइन कक्षाएं शुरू होने पर कई स्कूलों ने स्वास्थ्य शिविर लगावाया। जांच में डाक्टरों की टीम ने बच्चों के स्वभाव में बदलाव महसूस किया। इसकी रिपोर्ट भी स्कूल को दी। डॉ. सुनील कुमार सिंह ने बताया कि बच्चों का खानपान बदला है। वह हेल्दी फूड नहीं खाते। मोबाइल उनकी आदत बन गई है। वहीं डॉ. सिद्धार्थ का कहना है कि बच्चों में गुस्सा व चिड़चिड़ापन बढ़ गया है। मोबाइल नहीं मिलने पर उनका रुख आक्रामक हो जा रहा है।
स्वभाव में इस तरह के बदलाव की शिकायत
- छोटी-छोटी बातों पर चिल्लाना
- गुस्सा में चुप हो जाना
- खाना छोड़ देना
- कमरे में बंद हो जाना
- किसी से बात नहीं करना
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ये है कारण :
- कोरोना काल में बच्चों की जिंदगी मोबाइल तक सिमट गयी थी
- घर में बंद रहे, उनकी हर इच्छा पूरी की गई
- खेलने नहीं निकले तो मन लगाने को मोबाइल दिया गया
- मोबाइल पर दिखने वाली चीज की मांग करते हैं, नहीं मिलने पर जिद करते हैं
- किसी बात पर रोकटोक करने पर चिल्लाते और झल्लाते हैं
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ये है समाधान
- माता-पिता खुद काउंसिलिंग करें
- बच्चे को समय देना चाहिए
- सप्ताह में एक दिन कहीं बाहर पार्क, जू आदि जगहों पर बच्चे को लेकर घूमने जायें
- दोस्त जैसा व्यवहार करें
- गलत करने पर रोकें पर बच्चे के अंदाज को देख कर
टेली काउंसिलिंग में ज्यादातर अभिभावक बच्चे के गुस्से और चिड़चिड़ापन की बात करते हैं। खासकर मोबाइल नहीं देने या उनकी इच्छा पूरी नहीं होने पर वो गुस्सा करते हैं। फोन करने वाले बोर्ड के अलावा 5वीं से 8वीं तक के बच्चों के भी अभिभावक हैं। - प्रमोद कुमार, काउंसिलर, सीबीएसई टेली काउंसिलिंग।
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