हर तीसरा अध्यापक काम के बोझ तले दबा, नेशनल अचीवमेंट सर्वे की रिपोर्ट में सामने आया तथ्य
स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता, अध्यापकों की दक्षता, कार्य व्यवहार, विद्यालयों में संसाधन, शिक्षकों की मनोदशा व कार्यप्रणाली आदि को परखने के लिए देशभर में नेशनल अचीवमेंट सर्वे कराया गया। इसकी रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। सर्वे के अनुसार प्रयागराज का हर तीसरा शिक्षक काम के बोझ से दबा है। 50 प्रतिशत स्कूलों में ही सपोर्टिव स्टाफ है। विद्यालयों में तैनात शिक्षकों की दक्षता देखी जाए तो 83 प्रतिशत स्टाफ दक्ष है। शेष को और बेहतर करने की जरूरत है। इसीक्रम में हर दूसरे विद्यार्थी के घर में इंटरनेट कनेक्टिविटी भी है। प्रस्तुत है सर्वे रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं को उठाती रिपोर्ट।
जिले में कुल स्कूल - 5571
सरकारी स्कूल - 2944
वित्त पोषित स्कूल - 272
केंद्रीय विद्यालय - 11
मान्यता प्राप्त निजी स्कूल - 2344
जिले में कुल शिक्षक - 36616
सरकारी स्कूलों के शिक्षक - 15503
वित्त पोषित स्कूलों के शिक्षक - 3646
केंद्रीय स्कूलों में शिक्षक - 424
निजी स्कूलों में शिक्षक - 17043
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साक्षरता दर - 72.32 प्रतिशत
लिंगानुपात - 893
बच्चे बोले --
93 प्रतिशत - बच्चों ने कहा स्कूल जाना पसंद
81 प्रतिशत - बच्चों ने माना घर और स्कूल की भाषा समान है
91 प्रतिशत - बच्चों ने कहा शिक्षक की भाषा और अध्यापन का तरीका समझ में आता है
55 प्रतिशत - विद्यार्थी खेल गतिविधियों में रुचि लेते हैं
62 प्रतिशत - विद्यार्थी बोले डिजिटल डिवाइस स्कूल में प्रयोग करते हैं
सर्वे के अनुसार प्रयागराज का हर तीसरा शिक्षक काम के बोझ से दबा है।
नेशनल अचीवमेंट सर्वे के अनुसार प्रयागराज का हर तीसरा शिक्षक काम के बोझ से दबा है। 50 प्रतिशत स्कूलों में ही सपोर्टिव स्टाफ है। विद्यालयों में तैनात शिक्षकों की दक्षता देखी जाए तो 83 प्रतिशत स्टाफ दक्ष है। शेष को और बेहतर करने की जरूरत है।
अमलेंदु त्रिपाठी, प्रयागराज। स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता, अध्यापकों की दक्षता, कार्य व्यवहार, विद्यालयों में संसाधन, शिक्षकों की मनोदशा व कार्यप्रणाली आदि को परखने के लिए देशभर में नेशनल अचीवमेंट सर्वे कराया गया। इसकी रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। सर्वे के अनुसार प्रयागराज का हर तीसरा शिक्षक काम के बोझ से दबा है। 50 प्रतिशत स्कूलों में ही सपोर्टिव स्टाफ है। विद्यालयों में तैनात शिक्षकों की दक्षता देखी जाए तो 83 प्रतिशत स्टाफ दक्ष है। शेष को और बेहतर करने की जरूरत है। इसीक्रम में हर दूसरे विद्यार्थी के घर में इंटरनेट कनेक्टिविटी भी है। प्रस्तुत है सर्वे रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं को उठाती रिपोर्ट।
जिले में कुल स्कूल - 5571
सरकारी स्कूल - 2944
वित्त पोषित स्कूल - 272
केंद्रीय विद्यालय - 11
मान्यता प्राप्त निजी स्कूल - 2344
जिले में कुल शिक्षक - 36616
सरकारी स्कूलों के शिक्षक - 15503
वित्त पोषित स्कूलों के शिक्षक - 3646
केंद्रीय स्कूलों में शिक्षक - 424
निजी स्कूलों में शिक्षक - 17043
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साक्षरता दर - 72.32 प्रतिशत
लिंगानुपात - 893
बच्चे बोले --
93 प्रतिशत - बच्चों ने कहा स्कूल जाना पसंद
81 प्रतिशत - बच्चों ने माना घर और स्कूल की भाषा समान है
91 प्रतिशत - बच्चों ने कहा शिक्षक की भाषा और अध्यापन का तरीका समझ में आता है
55 प्रतिशत - विद्यार्थी खेल गतिविधियों में रुचि लेते हैं
62 प्रतिशत - विद्यार्थी बोले डिजिटल डिवाइस स्कूल में प्रयोग करते हैं
43 प्रतिशत - बच्चे बोले घर में इन्टरनेट कनेक्टीविटी है
74 प्रतिशत - बच्चों ने माना माता पिता पढ़ाई में सहयोग करते हैं
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शिक्षक बोले-
39 प्रतिशत - शिक्षक मानते हैं कि पर्याप्त शिक्षण सामग्री उपलब्ध है
50 प्रतिशत - शिक्षकों का मानना है कि विद्यालय में पर्याप्त स्थान है
38 प्रतिशत - शिक्षक मानते हैं कि उनके पास काम का बोझ है
24 प्रतिशत - शिक्षक मानते हैं कि उनके विद्यालय भवन का मरम्मतीकरण होना चाहिए
15 प्रतिशत - शिक्षकों ने विद्यालय में पानी की समस्या बताई
16 प्रतिशत - शिक्षकों ने विद्यालयों में शौचालक की कमी बताई
45 प्रतिशत - शिक्षक ही व्यावसायिक दक्षता कार्यक्रम में शामिल होते हैं
85 प्रतिशत - अभिभावक बच्चों की पढ़ाई में रुचि लेते हैं
48 प्रतिशत - स्कूलों में पुस्तकालय की व्यवस्था है
30 प्रतिशत - स्कूलों में आडियो विजुअल संसाधन हैं
कोरोना काल में भी असाइनमेंट से दबे रहे विद्यार्थी
कोरोना काल में स्कूलों में भौतिक रूप से कक्षाएं बाधित रहीं। सर्वे रिपोर्ट से पता चला है कि आनलाइन पढ़ाई के दौरान भी 78 प्रतिशत विद्यार्थी तमाम असाइनमेंट से दबे रहे। 50 प्रतिशत विद्यार्थियों ने कहा जैसे उनके लिए स्कूल था वैसे ही घर में वातावरण बना रहा। 38 प्रतिशत ने कहा पढ़ाई में कठिनाई हुई जब कि 24 प्रतिशत ने डिजिटल डिवाइस न उपलब्ध होने की बात बताई। 45 प्रतिशत विद्यार्थी बोले कोरोना काल को इंजाय किया। 70 प्रतिशत ने कहा महामारी के दौर में बहुत कुछ सीखने को मिला।
तीसरी और पांचवीं के बच्चों में सीखने की क्षमता अधिक
नेशनल अचीवमेंट सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार आठवीं और दसवीं के विद्यार्थियों की तुलना में कक्षा तीन और पांच के बच्चों में सीखने की क्षमता अधिक होती है। गणित जैसे विषय में भी उनका प्रदर्शन बेहतर रहा। भाषा की पढ़ाई में बच्चों ने अच्छा किया जब कि विज्ञान विषय में उतना उत्साह नहीं दिखाया। प्रयागराज में बालिकाओं ने भाषा में बाजी मारी। गणित और ईवीएस में बालक सभी स्तर पर अव्वल रहे।
संसाधनों को जुटाने के बाद अब गुणवत्ता पर जोर
बीएसए प्रवीण कुमार तिवारी ने बताया कि जिन स्कूलों में पीने का पानी और शौचालय का अभाव है उनकी रिपोर्ट तलब की गई है। एक महीने में सब कुछ ठीक करा लिया जाएगा। यह सही बात है कि कोरोना और चुनाव आदि के समय शिक्षकों पर अधिक कार्यभार आ गया था। अब प्रयास है कि अध्यापन को गुणवत्तापूर्ण बनाया जाए। इसके लिए कई प्रशिक्षण भी कराए जा रहे हैं। रिपोर्ट में जनपद के 15.3 प्रतिशत विद्यार्थी पढ़ाई में दक्ष बताए गए हैं जब कि 84.7 प्रतिशत सामान्य या मानक से नीचे हैं। प्रदेश स्तर पर बनी सूची में प्रयागराज 30वें स्थान पर है। सिद्धार्थनगर, गौतम बुद्धनगर और वाराणसी क्रमश: पहले, दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं।
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