IPS बनने के बाद छपरा की बेटी दिव्या शक्ति ने फिर क्रैक किया UPSC CSE, अब बनेंगी IAS ऑफिसर
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2021 में दिव्या शक्ति को दूसरे ही प्रयास में 58वीं रैंक मिली है। बिहार के छपरा जिले के जलालपुर के कोठयां गांव की रहने वाली इंजीनियर दिव्या शक्ति ने प्रथम प्रयास में 79वीं रैंक हासिल की थी। वह अभी हैदराबाद में आईपीएस की ट्रेनिंग कर रही हैं। इस दौरान अपनी पढ़ाई जारी रखी। वह हाल में आईएएस को क्रैक करना चाहती थीं।
दिव्या एसपी नहीं बल्कि कलक्टर बन लोगों को सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिलाना चाहती थीं। ऐसे में उन्होंने आईएएस लक्ष्य बनाकर पढ़ाई जारी रखी। इसके लिए उसने ट्रेनिंग के दौरान पढ़ाई के लिये अवकाश भी लिया था। बेतिया मेडिकल कॉलेज के रिटायर सुपरिटेंडेंट डॉक्टर धीरेंद्र कुमार सिंह व गृहिणी मंजुल प्रभा की बेटी ने प्रतिष्ठित परीक्षा में टॉप 100 में जगह बनाई तो गांव से लेकर मामा के घर बड़ा गोपाल तक जश्न का माहौल है। दिव्या को एक भाई और एक बहन है। भाई एमबीए का निजी क्षेत्र में जॉब कर रहा है तो बहन भटिंडा में लेक्चरर है। दिव्या ने बिट्स पिलानी से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की है।
सफलता के बाद दिव्या ने बताया कि माता-पिता के अलावा भाई अभिषेक आनंद व बहन प्रियंका सिंह हमेशा बेहतर करने के लिये प्रोत्साहित करते थे। दिव्या को एक भाई और एक बहन है। भाई एमबीए का निजी क्षेत्र में जॉब कर रहा है तो बहन भटिंडा में लेक्चरर है। दिव्या के चचेरे भाई व जलालपुर हाई स्कूल में शिक्षक अखिलेन्द्र कुमार सिंह व बचपन प्ले स्कूल में शिक्षिका भाभी सारिका सिंह ने बताया कि दिव्या ने खुशी का मौका दिया है। वह शुरू से ही यूपीएससी परीक्षा बेस्ट रैंक से क्वालीफाई करने के लिए लगी हुई थी। बीट्स पिलानी से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के बाद भी उसने अपना लक्ष्य आईएएस में सफलता पाने को ही बनाया था। कड़ी मेहनत व परिश्रम के बल पर वह अपना लक्ष्य भी हासिल कर ली।
दिव्या का मानना है कि प्रत्येक बच्चे का एक उद्देश्य (लक्ष्य) होता है और वो उसे पाना चाहता है। इसी तरह से, मैं एक आईएएस अधिकारी बनना चाहता थी। सभी अपने सपने देखते हैं और यह मेरे माता- पिताजी ही थे, जिन्होंने मुझे प्रोत्साहित किया और इसके लाभों और महत्व के बारे में बताया था। मुझे वास्तव में यह बहुत पसंद है क्योंकि मैं खुद अपने राष्ट्र के लिए कुछ करना चाहती हूं। एक दिन मैं आईएएस बनना है, इसके लिए मैं दृढ़ संकल्प के साथ कड़ी मेहनत कर रही थी। आईपीएस में चयन होने के बाद भी दिव्या अपने गांव आई हुई थी और लोगों का प्रेम व आशीर्वाद प्राप्त की थी।सारण से अपने आत्मीय लगाव की चर्चा करते हुए कहा कि गांव की माटी के कारण ही वह इस ऊंचाई को पा सकी है।
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